48 का हूं, 21 साल की लडक़ी से है प्यार

मैं 48 साल का हूं और एक 21 साल की लडक़ी से प्यार करता हूं। मैं उसकी हमेशा हेल्प करता हूं। वह मुझे चाहती है या नहीं, मैं नहीं जानता। लेकिन पिछले एक साल से मैं उसे अपने दिल की बात नहीं बता पाया हूं। हम दोनों हर तरह की बातें शेयर करते हैं। फिर भी मैं उससे अपने दिल की बात नहीं कर पा रहा हूं। उसे प्रपोज करने का कोई तरीका बताओ?
– ए.के. यादव
आपकी प्रॉब्लम तो वाकई सॉलिड वाली है। आप जिसे प्यार करते हैं। वह आप से कुछ साल नहीं बल्कि पूरे 27 साल छोटी है। चूंकि आप उससे दिल लगा चुके हैं, तो जाहिर अपने दिल की बात भी शेयर करना चाहते हैं। लेकिन पहले ये तो जान लो कि वह भी आप से प्यार करती है या नहीं। क्योंकि 21 की उम्र में वह कितना समझदार होगी। इसके बारे में ना मैं और ना ही आप कुछ कह सकते हैं। आपने बताया कि आप दोनों हर बात शेयर करते हैं, तो इससे यह तो नहीं कहा जा सकता कि वह आपसे प्यार करती है। एक जरूरी बात ये है कि आप अपना और उसका फ्यूचर भी देख लें। आप उससे शादी करना चाहते हैं या फिर बस रिलेशन बनाना। इन सबका आपके लिए क्लियर होना बहुत जरूरी है। जहां तक बात प्रपोज करने की है, तो आप उससे साफ-साफ क्चद्धद्गद्भ दिल की बात रखेंगे, तो ही आप दोनों के लिए सही रहेगा।
वह पैरंट्स से मिलवाना नहीं चाहता
मैं और मेरा लवर एक-दूसरे से बहुत प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं। दिक्कत यह है कि मेरा लवर तो शादी के लिए तैयार है, लेकिन उसका कहना है कि उसकी फैमिली कभी तैयार नहीं होंगी। मेरी फैमिली तैयार है। दरअसल, हम दोनों की कास्ट अलग है शायद इसी वजह से वह डर रहा होगा। मैं उससे अलग होने की सोचती हूं, लेकिन मुझसे ऐसा नहीं हो पाता। वह कहता है कि अगर शादी नहीं हुई तो उसके बाद भी हम दोस्त की तरह रहेंगे। मुझे समझ नहीं आता कि क्या उसका पैरंट्स से डर सही है।
– स्वाति मलिक
स्वाति अगर तुम वाकई उससे शादी करना चाहती हो तो टेंशन क्यों लेती हो। जाओ और उसके पैरंट्स से खुद मिलो। चूंकि तुम्हारे पैरंट्स तैयार हैं, इसलिए तुम अपने पैरंट्स को भी साथ में ले जा सकती हो। यह समझना जरूरी है कि क्या तुम्हारा बॉयफ्रेंड शादी करना नहीं चाहता या फिर वह सच में अपनी फैमिली से डरता है। अगर तुम खुद उसके पैरंट्स से जा कर मिलती हो तो तुम लडक़े को भी चेक कर सकोगी। देखो स्वाति वैसे भी तुम्हारा लवर तुमसे शादी करने से मना ही कर रहा है। तो क्यों न एक बार चांस लेकर देखो! यह भी तो हो सकता है कि उसके पैरंट्स मान जाएं। मैं मानती हूं कि हरेक का सपना होता है कि वह जिससे प्यार करता है, उससे ही शादी करे। मैं जानती हूं, तुम भी ये चाहती हो। तो क्यों ना लाइफ में एक बार रिस्क लिया जाए और उसके पैरंट्स से जाकर मिला जाए। मान जाएं तो अच्छा है, नहीं माने तो भी। क्योंकि तब तुम्हें जिंदगी भर यह मलाल नहीं रहेगा कि तुमने अपनी ओर से कोशिश नहीं की।
इंटरनेट एडिक्शन के अपने साइकॉलजिकल व इमोशनल साइड इफेक्ट्स हैं। पिछले कुछ समय में की गईं रिसर्च बताती हैं कि ज्यादा समय तक नेट पर रहने वाले लोगो को रीयल लाइफ प्रॉब्लम्स आती हैं। ऐसा खासतौर पर उनके साथ ज्यादा होता हैए जो सेक्स को लेकर बात करते हैं। उन्हें नेट की इतनी आदत हो जाती है कि इसके बाद वह शादीए परिवार और काम पर ध्यान ही नहीं दे पाते। ऐसे में बेहतर यही रहेगा कि आप इस मुद्दे पर किसी काउंसिलर से बात करें। वह जरूरत के मुताबिक आपकी मदद करेगा। इसके अलावाए खुद को अपने इंटरेस्ट के कामों में बिजी रखने की कोशिश करें। अपना एक शेड्यूल बनाएं और उसके मुताबिक चलें। इस तरह आपको इस बात से बाहर आने में खासी मदद मिलेगी।
ममी.पापा टोकते हैं, क्या करूं?
मेरी बेटी चार साल की है। दो महीने पहले तक वह खुश होकर नर्सरी स्कूल जाती थीए लेकिन अचानक वह वहां जाने से कतराने लगी है। मैंने स्कूल जाकर इसकी वजह जानना चाहीए तो पता लगा कि वह ड्रामा सिखाने वाले अपने नए टीचर से डरती है। वैसेए अजनबियों से मिलने से वह एक साल की उम्र से ही डरती रहती है। अब स्कूल के नाम से ही वह रोने लगती है। अगले साल से उसे नया स्कूल जॉइन करना है और वहां आसपास बहुत से पुरुष भी होंगे। मुझे समझ नहीं आ रहा मैं उसे ऐसे माहौल का सामना करने के लिए कैसे तैयार करूंघ्
मुक्ता
आपको यह पता लगाना पड़ेगा कि अजनबियों के प्रति उसके मन में डर कब और कैसे बैठा और इसे जल्द से जल्द दूर करना पड़ेगा। वरना उसका यह व्यवहार उसकी पर्सनैलिटी ग्रोथ को कम कर सकता है। इस सिचुएशन को आप हल्के तौर पर न लें। आप चाहेंए तो प्रफेशनल हेल्प भी ले सकती हैं। बच्चे पर जबर्दस्ती न करें और उसे प्यार व विश्वास के साथ स्कूल जाने के लिए मनाएं।
मेरी शादी सिर्फ अच्छे लडक़े से क्यों?
मां अच्छी होती है। वह जो कहती.करती हैए बच्चों के भले के लिए होता है। पर ऐसे कई मसले हैंए जिन पर मां और बच्चों के बीच जेनरेशन गैप रह जाता है। मदर्स डे पर इसी गैप को भरने की कोशिश की है एनबीटी टीम ने:
सवाल: आप मेरी शादी के बारे में पहले मुझसे बात न कर पापा से मेरे लिए कोई अच्छा.सा लडक़ा देख लेने को कह रही थीं। मुझे यह सुन कर बड़ा अजीब लगा कि जिस आदमी के साथ मुझे जिंदगी बितानी हैए उसके लिए आपकी निगाह में सिर्फ श्अच्छा.सा लडक़ाश् होना ही काफी है। मैं जानती हूं कि उसकी अच्छाई आपके लिए ओहदे और उसके कमाए गए पैसे से बनती है। लेकिन मुझे तो वह लडक़ा चाहिएए जो महज इस तरह अच्छा होने से ज्यादा मुझे समझे.जाने। और इसके लिए जरूरी है कि मैं उस लडक़े को जानूंए उसके साथ समय बिताऊं।
जवाब: तुम बिल्कुल सही कह रही हो बेटी। मैं इससे इत्तेफ़ाक रखती हूं कि शादी के लिए दोनों को एक.दूसरे को समझना बहुत जरूरी है। लेकिन मेरी बच्चीए जिंदगी को बेहतर तरीके से जीने के लिए पैसा भी बहुत मायने रखना रखता है। यह बात मैं तुम्हें अपने अनुभव से कह रही हूं। तो अगर हम लडक़े स्टेटस भी देखते हैं तो गलत नहीं कर रहे। हांए तुम्हारे पापा और मैं तुम्हारे जीवनसाथी का चयन आपसी रजामंदी से मिलकर करेंगे और तम्हें उस लडक़े को जानने का मौका मिलेए इसकी भी गुंजाइश बनाएंगे।
सवाल: आप मेरे किसी मेल फ्रेंड का फोन आने पर इतना परेशान क्यों हो जाती हैं?् क्यों आप जानबूझकर तभी कमरे में किसी बहाने आती हैंघ् उसी वक्त आपको मुझसे सबसे जरूरी सवाल पूछने की याद क्यों आने लगती हैघ् आपके इस तरह बीच में आने और शक्की अंदाज में टोकने से मेरा मन दुखता है।
जवाब: मैं मानती हूं कि यही उम्र दोस्त बनाने और उसे घुलने.मिलने की होती है। लेकिन बेटीए तुम भोली हो। 10 दोस्तों में से 2 ऐसे हो सकते हैंए जो तुम्हें बहला सकते हैं। लेकिन तुमने यह सही ध्यान दिलाया कि जब कोई बात करे तो टोकना नहीं चाहिए। मैं इस बात का ख्याल रखूंगी। मैं यह भी चाहती हूं कि तुम मुझसे कुछ भी न छुपाओ। कोई भी बात होए मुझे खुलकर बताओ। मैं तुम्हारी बात को जरूर समझूंगी।
सवाल: ऐसा क्यों है मां कि तुम शर्मा आंटी के सामने सिर्फ उनसे अपने को बेहतर साबित करने के लिए झूठी डींगें हांकती होघ् जैसे उस दिन ही तुम कह रही थी कि आज पनीर की सब्जी अनु ने बनाई हैए जबकि मुझे किचन का कितना कम काम करना आता हैए यह तुम अच्छी तरह जानती हो। हमें ऐसे शो.ऑफ की सचमुच में जरूरत है क्या?
जवाब: मेरी प्यारी बेटीए मैं तुम्हारी शुक्रगुजार हूं कि तुमने मेरी गलती की ओर ध्यान दिलाया। मैं आगे से कभी झूठी तारीफ नहीं करूंगी। पर मुन्नीए रसोई के कामकाज में तुम्हारा सिफर होना मुझे अखरता है। दुनिया सच न जानेए इसलिए तुम्हारी झूठी तारीफ करती रहती हूं। पर मेरा ऐसा करना गलत है। तुम भी थोड़ा.थोड़ा किचन के कामों में दिलचस्पी लो। अच्छा पढऩे के साथ.साथ धीरे.धीरे तुम अच्छी कुकिंग भी करने लगोगी तो यह तुम्हारे काम ही आएगा।
मम्मी पापा के झगड़ेे से परेशान हूं
सवाल: मैं समझ नहीं पा रही कि आपको यह कैसे कहूं कि आपका और पापा का रोज.रोज का झगड़ा मुझे जऱा भी अच्छा नहीं लगता। मैं इससे बहुत परेशान हो जाती हूं। मैंने कई बार नोटिस किया है कि आप पापा से झगडऩे के बाद उसका गुस्सा मुझ पर उतार देती हैं। मैं चाहती हूं कि आप फिर से मुझे प्यार करने वाली अच्छी ममा बन जाओ।
जवाब मैं यह बात समझती हूं कि हमें आपस में झगडऩा नहीं चाहिए। कम.से.कम तुम्हारे सामने तो बिल्कुल नहीं। मुझे मालूम है कि हमारा झगड़ा करना तुम्हें बुरा लगता है। लेकिन मेरी बच्चीए हर इंसान में अच्छाई और बुराईए दोनों होती हैं। ऐसे में साथ रह रहे दो इंसानों के बीच छोटी.मोटी तकरार हो ही जाती है। यह जिंदगी का हिस्सा है। इसलिए परेशान मत हुआ करो। वैसे हम इसे कम करने की कोशिश करेंगे।
सवाल मांए आप हमेशा दीदी और मुझे मॉडर्न कपड़े पहनाती थीं। लेकिन हमारे बड़े होते ही आपने इन्हीं कपड़ों पर एक तरह से पाबंदी लगा दी है। न हमें ऐसे कपड़े पहनने देती हैं और न ही खरीदने का मौका। समझ में नहीं आता कि कपड़ों को लेकर ही आपके मॉडर्न खयालात इतने तंग क्यों हो जाते हैं?
जवाब: बेटीए मुझे तुम्हारे मॉडर्न कपड़े पहनने पर ऐतराज नहीं है। लेकिन किस कपड़े को कहां और किस मौके पर पहना जाएए यह ध्यान रखना चाहिए। मैं अपने अनुभव से कहती हूं कि गलत जगह पर गलत ढंग के कपड़े पहनने से खतरा बढ़ जाता है। अगर मैं कभी किसी ड्रेस को पहनने से रोकती हूं तो उसके पीछे यही वजह होती हैं।
सवाल आपका बाहरवालों के सामने मुझे टोकना बिल्कुल पसंद नहीं है। ऐसी छोटी.छोटी बातें आप बाहरवालों के जाने के बाद भी समझा सकती हैं। लेकिन पता नहीं क्यों आपको दूसरों के सामने टोकना और कई बार डांटना अच्छा लगने लगा है। इससे मेरी आदत कितनी सुधरीए मैं नहीं जानतीए लेकिन अब मेरे मन में इससे चिड़चिड़ापन जरूर आने लगा है।
जवाब: बेटीए मैंने अगर तुम्हें दूसरों के सामने डांटा तो यह मेरी गलती थी। मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। मैं ध्यान रखूंगी कि आगे से अगर मुझे तुम्हारा कुछ गलत या बुरा लगेगा तो मैं अकेले में तुमसे बात करूंगी।
सवाल: मुझे आप हर वक्त हम बेटियों को श्बेटा.बेटाश् कह कर क्यों बुलाती हैंघ् मैं आपकी बेटी हूं। मैं बेटा नहींए आपकी बेटी कहलाना चाहती हूं। मेरा कोई भाई नहींए इससे भी मैं आपको कई दफा उदास होते देख चुकी हूं। ऐसा क्यों है ममाघ् आज बेटियां बेटों से कहां कम हैं
जवाब: ऐसा नहीं बेटी। मैंने कभी भी जान.बूझकर तुम्हें बेटा नहीं कहा। बेटा मेरे लिए हमेशा सिर्फ एक प्यार का शब्द रहा है। इसके पीछे बेटा और बेटी में फर्क करने जैसी कोई बात नहीं। लेकिन अगर तुम्हारे मन में यह सवाल उठा है तो मैं आगे से कोशिश करूंगी कि तुम्हें बेटी ही बोलूं।
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