धार्मिक शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन के दिन देवी-देवताओं के पूजन का विधान है।
इस दिन आप इन 10 देवी-देवताओं का पूजन करके उनके विशेष वरदान प्राप्त कर सकते हैं। आइए जानते हैं उन खास देवताओं के बारे में जानकारी-
1. विष्णु पूजा : होलिका और प्रहलाद के साथ ही भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है। खासकर दूसरे दिन विष्णु पूजा की जाती है। कहते हैं कि त्रैतायुग के प्रारंभ में विष्णु ने धूलि वंदन किया था। इसकी याद में धुलेंडी मनाई जाती है। धूल वंदन अर्थात लोग एक दूसरे पर धूल लगाते हैं।
होलिका दहन के बाद धुलेंडी अर्थात धूलिवंदन मनाया जाता है। सुबह उठकर नित्यकर्म से निवृत्त होकर होलिका को ठंडा किया जाता है। मतलब पूजा करने के बाद जल चढ़ाया जाता है। धूलिवंदन अर्थात् धूल की वंदना। राख को भी धूल कहते हैं। होलिका की आग से बनी राख को माथे से लगाने की बाद ही होली खेलना प्रारंभ किया जाता है। अतः इस पर्व को धूलिवंदन भी कहते हैं।
2. नृसिंह भगवान पूजा : होली के दिनों में विष्णु के अवतार भगवना नृसिंह की पूजा का भी प्रचलन है क्योंकि श्रीहरि विष्णु ने ही होलिका दहन के बाद नृसिंह रूप धारण करके हिरण्याकश्यप का वध करने भक्त प्रहलाद की जान बचाई थी। इस दिन उनके चित्र या मूर्ति की पूजा करते हैं।
3. श्रीशिव पूजा : होली का त्योहार भगवान शिव से भी जुड़ा हुआ है। भगवान शिव ने इसी दिन कामदेव को भस्म करने के बाद देवी रति को यह वरदान दिया था कि तुम्हारा पति श्रीकृष्ण के यहां प्रद्युम्न के रूप में जन्म लेगा। इस दिन शिव मंदिर में घी का दीपकल जलाकर उनका जलाभिषेक करते हैं।
4. कामदेव : यदि आप वैवाहिक जीवन में सुख, शांति और प्यार चाहते हैं तो रति के साथ ही कामदेव की पूजा भी करें। इसके लिए कामदेव और रति के चित्र की पूजा करते हैं।
5. श्रीकृष्ण पूजा : होली का त्योहार श्रीकृष्ण से भी जुड़ा हुआ है। इसे ब्रज में ‘फाग उत्सव’ के रूप में मनाया जाता है। श्रीकृष्ण ने रंगपंचमी के दिन श्रीराधा पर रंग डाला था। इसी की याद में रंगपंचमी मनाई जाती है। श्रीकृष्ण की अष्टप्रहर पूजा की जाती है और उन्हें भोग लगया जाता है।
6. श्रीराधा : श्रीराधा के बरसाने में होली की धूम फाल्गुन मास लगते ही प्रारंभ हो जाती है। यहां पर 45 दिन का होली उत्सव रहता है। इसे दौरान श्रीराधा रानी का विशेष श्रृंगार होने के साथ ही उनकी विशेष पूजा होती है। श्रीराधा की पूजा करने से जीवन में सभी तरह की सुख, शांति, प्रेम और रिश्ते नाते बने रहते हैं।
7. श्रीपृथु पूजा : होली के दिन ही राजा पृथु ने राज्य के बच्चों को बचाने के लिए राक्षसी ढुंढी को लकड़ी जलाकर आग से मार दिया था। राजा पृथु को विष्णु का अंशावतार भी माना जाता है। इसीलिए उनकी भी पूजा होती है।
8. श्रीहनुमान पूजा : इस दिन हनुमानजी की पूजा करने से सभी तरह के संकट दूर हो जाते हैं। इस दिन हनुमानजी को चौला चढ़ाना चाहिए।
9. लक्ष्मी पूजा : होली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा भी श्रीहरि विष्णुजी के साथ की जाती है। इससे घर में धन समृद्धि बनी रहती है। महालक्ष्मी मंदिर में जाकर कमल का फूल और खीर अर्पित करना चाहिए।
10. अग्नि एवं संपदा देवी की पूजा : होलिका दहन के दिन होलिका अग्नि में प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठी थी। उस समय में सिर्फ होलिका ही अग्नि से जली थी और प्रह्लाद सुरक्षित ही अग्नि ही से बाहर आ गया था। इसी कारण होलिका के रूप में अग्नि देव की पूजा की जाती है।
इसके बाद दूसरे दिन संपदा देवी की पूजा होती है। धन-धान्य की देवी संपदाजी का पूजन होली के दूसरे दिन किया जाता है। इस दिन स्त्रियाँ संपदा देवी का डोरा बांधकर व्रत रखती हैं तथा कथा कहती-सुनती हैं।
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