समय के पूर्व स्ट्रांग रूम खोलने व बैलेट पेपर की शार्टिंग करने का मामले में निवार्चन सख्त

तहसीलदार, एसडीएम के बाद अब किसका बारी !
राष्ट्र चंडिका,बालाघाट। बालाघाट में समय के पूर्व बैलेट पेपर की शार्टिंग करने का मामला अब पूरे देश भर में सियासी परमान चढ चुका है। वही इस मामले में आयोग ने कर्मचारीयों की ही प्रक्रियात्मक चूक व बडी लापरवाही मानते हुए पहले बैलेट पेपर के नोडल अधिकारी ए.आर.ओ व लालबर्रा तहसीलदार हिम्मत सिंह भवेदी को सस्पेंड किया। उसके बाद कमीश्नर जबलपुर संभाग के निर्देश पर गाज गिराते हुए कलेक्टर बालाघाट गिरीश मिश्रा ने एसडीएम बालाघाट व रिटर्निंग अधिकारी गोपाल सोनी को भी सस्पेंड कर दिया। जहां मामले में चुनाव प्रक्रिया के दौरान व मतगणना के पूर्व दो बडे अधिकारीयों पर निंलबन की कार्यवाही से बालाघाट जिले में सन्नाटे का माहौल बन गया है। संस्पेंड हुए एसडीएम गोपाल सोनी की जगह बालाघाट में पदस्थ अपर कलेक्टर राहुल नायक को एसडीएम का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। परंतु उक्त दोनो कार्यवाही के बाद भी कांग्रेस में असंतुष्ठी का महौल है और कांग्रेस लगातार यह मांग की जा रही है कि तहसीलदार और एसडीएम को सस्पेंड करने से काम नही चलेगा, जिला निर्वाचन अधिकारी व कलेक्टर बालाघाट गिरीश कुमार मिश्रा को भी सस्पेंड कर निर्वाचन प्रक्रिया से तत्काल हटाया जाना चाहियें।
यह है पूरा मामला—आपको बता दे कि तहसील कार्यालय बालाघाट में अस्थाई स्ट्रांग रूम बनाया गया है। जहां डाक मतपत्रो की पेटी रखी गई है। परंतु 27 नवंबर को बैलेट पेपर की शार्टिंग के नाम पर समय के पूर्व ही दोपहर डेढ बजे ही एआरओ हिम्मत सिंह भवेदी के द्वारा अपने वरिष्ठ अधिकारीयों को बिना सूचना दिये व प्रत्याशियों को बिना जानकारी दिये ही स्ट्रांग रूम खोल दिया गया और अपने दल के कर्मचारीयों के साथ बैलेट पेपर की शार्टिंग का कार्य शुरू कर दिया गया। जबकि उक्त कार्य आयोग द्वारा निर्धारित की गई तिथि अनुसार 02 दिसंबर को किया जाना था। जब इसकी जानकारी कांग्रेस प्रतिनिधियों को लगी तो बालाघाट कांग्रेस प्रत्याशी अनुभा मुंजारे और अन्य प्रतिनिधी स्ट्रांग रूम पहुंचे, तो उन्हे आभास हुआ कि बैलेट पेपर की मतगणना की जा रही है, जिसका वीडियो बनाकर वायरल कर दिया गया। लेकिन वहां बैलेट पेपर की गणना नही, अपितु शार्टिंग का कार्य चल रहा था, जो नियम विरूद्ध ही किया जा रहा था।    उक्त गतिविधि से जुडा वीडियों जब वायरल हुआ तो जिले में हडकंप मच गया और बात प्रदेश स्तर तक पहुंच गई। जिसे गंभीरता से लेते हुए प्रदेश कांग्रेस के पदाधिकारीयों ने आयोग को लिखित शिकायत सौंपी और कलेक्टर समेत तमाम कर्मचारीयों पर कार्यवाही की मांग की।
                     कांग्रेस की ओर से मिली शिकायत के बाद आयोग ने भी मामले को गंभीरता पूर्वक लिया और जांच उपरांत नोडल अधिकारी हिम्मतसिंह भवेदी को सस्पेंड कर दिया। लेकिन यह मामला लगातार तुल पकडता गया और 28 नंवबर की देर रात तक एक और आदेश जारी हुआ। जिसमें कमीशनर जबलपुर संभाग के निर्देश पर कलेक्टर बालाघाट ने एसडीएम गोपाल सोनी को भी सस्पेंड कर दिया। जिसके बाद से बालाघाट की आबो हवा में सन्नाटा पसर गया है और लोग उक्त कार्यवाही की सराहना करते हुए ऐतिहासिक कार्यवाही बता रहे है। परंतु उक्त दोनो बडे अधिकारीयों पर हुई निलंबन कार्यवाही से कांग्रेस संतुष्ठ नही है और कांग्रेस के कार्यकारी जिलाध्यक्ष राजा सोनी ने जिला निर्वाचन अधिकारी कलेक्टर डॉ गिरीश कुमार मिश्रा को भी सस्पेंड कर उन्हे तत्काल चुनाव प्रक्रिया से हटाये जाने की मांग की है। इसके अलावा कांग्रेस के कई नेताओं द्वारा अपने व कांग्रेस के आफिसीयल ट्वीटर अकांउट के माध्यम से सोशल पोस्ट ट्वीट कर कलेक्टर को भी हटाने की मांग की जा रही है। इस सियासी परमान के बाद आयोग की ओर से क्या जिला कलेक्टर को भी हटाया जायेगा, यह देखना बेहद दिलचस्प होगा। हालांकि जिले में यह चर्चाओं का बाजार गर्म है कि तहसीलदार व एसडीएम पर कार्यवाही होने के बाद कलेक्टर गिरीश मिश्रा पर भी कार्यवाही की गाज गिर सकती है।
 सूत्रो की मानें तो अस्थायी स्ट्रांग रूम को प्रतिदिन खोला जा रहा था और इस बात की पुष्टि जिला निर्वाचन अधिकारी ने भी की है परंतु वहां आने जाने वालो के लिये रखे गये रजिस्टर में सभी ने हस्ताक्षर अंग्रेजी में किए है। किसी भी व्यक्ति का नाम नही लिखा है। जिसके कारण यह पता ही नही लग रहा कि उक्त स्ट्रांग रूम में किस पार्टी के लोग, कौन अधिकारी, कर्मचारी आते जाते रहे है। उक्त रजिस्टर में साइन की जाने वाले लोगो की जानकारी लेने का प्रयास भी किया गया परंतु पता चला कि तहसीलदार रजिस्टर लेकर चले जाते है।
नियमानुसार निर्वाचन के सभी कार्यों की रिकार्डिंग कराई जाती है जिसके लिये जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा बजरंग कलर लैब एण्ड फोटो स्टुडियो बालाघाट को टेंडर दिया गया है। (हालांकि इस टेण्डर प्रक्रिया की शिकायत भी की गई है) जिसके द्वारा अस्थायी स्ट्रांग रूम में आने जाने वाले लोगो की वीडियो रिकार्डिंग की जाना था परंतु जानकारी मिली है कि किसी भी दिन की वीडियो रिकार्डिंग नही कराई गई है। जिससे संदेह और बढता जा रहा है कि यहां गडबडी की जा रही थी। वीडियो रिकार्डिंग से स्पष्ट हो जाता है कि अस्थायी स्ट्रांग रूम कब कितने बजे खुला और कितने बजे बंद हुआ। परंतु जिम्मेदार अधिकारियों ने निर्वाचन के निदेशों की अवहेलना करके अपनी मनमानी की। बहरहाल बालाघाट में अस्थायी स्ट्रांग रूम में मत पत्रो की साटिंग का कार्य नियमों के विपरीत होने के कारण पहले प्रभारी अधिकारी व तहसीलदार हिम्मत सिंह को और रिर्टनिंग आफिसर व बालाघाट एसडीएम गोपाल सोनी को निलंबित कर दिया है।
स्ट्रांग रूम के दो पंचनामें..?
बालाघाट के तहसील कार्यालय में बनाये गये स्ट्रांग रूम में मत पत्रों की सार्टिंग का विवाद बालाघाट से दिल्ली तक गूंज उठा हैं। दरअसल, 27 नवम्बर को शार्टिग के कार्य की घटना को लेकर एक नही बल्कि दो पंचनामा बनाया गया है। जिसने और भी प्रशासन की परेशानी बड़ा दी है। जो शोसल मीडिया पर वायरल पंचनामों में नामों और हस्ताक्षर को लेकर स्थिति स्पष्ट नही हो पा रही है। एक पंचनामें में कांग्रेस के दो लोगो के नाम लिखे गये है जिनमें एक नाम विजय दशरिये व दूसरा नाम निराला सिंह बघेले का है। दिनांक तो एक ही पेन से लिखे गये है, परंतु नीचे कोष्टक में कांग्रेस अलग पेन से लिखा गया है। एक हस्ताक्षर ए. आर. ओ, तथा एक हस्ताक्षर आर.आई के है। हालांकि दोनो हस्ताक्षर के नीचे ना तो नाम लिखे गये है और ना ही पता हैं। इसी तरह पांच साईन और है जो अंग्रेजी में है और नाम किसी का नही लिखा है। दूसरे पंचनामें में सबकुछ वही है पर उसमें कृष्ण गोपाल बिसेन का नाम लिखा गया है। जिसे भाजपा का प्रतिनिधि उल्लेख किया गया है। पहला सवाल तो यह कि पंचनामा दो क्यो..? एक ही स्थान पर एक ही पंचनामें में सभी के नाम होने चाहिए। परंतु पहले में भाजपा के एजेंट के नाम का उलेख नही है और दूसरे में उसका नाम लिखा है। ऐसा लगता है कि प्रकरण की गंभीरता बहने के कारण उसी पंचनामें में के.जी. बिसेन का नाम जोड दिया गया। दूसरा महत्वपूर्ण विषय यह कि कही भी पंचनामा बनता है तो साईन करने वालों की साईन के नीचे उसका नाम भी लिखा होता है और कोई अधिकारी है तो उस अधिकारी का पद भी उल्लेखित किया जाता है। परंतु यहां ऐसा नही किया गया। सभी ने अंग्रेजी में हस्ताक्षर किये है पर पहले वाले में दो और दूसरे वाले में एक (कुल तीन) व्यक्ति का नाम ही दिख रहा है। बाकि के लोग कौन है, किसने हस्ताक्षर किये है। इसका कोई उल्लेख नही किया गया है। दोनो ही पंचनामों का मैटर सेम है। जिसमें डाक मत पत्रों का बंडल बनाकर थैली में रखने का उल्लेख किया गया है। पंचनामें में शरद बिसेन का नाम का उल्लेख नही, अब ऐसे में सवाल खड़े हो रहें हैं कि कौनसा सही है और कौनसा गलत है.. यह तो जिला निर्वाचन अधिकारी ही जानें..
वहीं आपको बता दें कि 27 नवंबर को वाइरल वीडियों में भाजपा प्रत्याशी गौरीशंकर बिसेन के सगे संबंधी शरद बिसेन भी दिखाई दे रहे है जो कृषि महाविधालय मुरझड में पदस्थ है। पंचनामें में शरद बिसेन नामक व्यक्ति के ना तो हस्ताक्षर है और ना ही उसके नाम का उल्लेख किया गया है। सूत्रों की माने तो उसके मुताबिक शरद बिसेन की ड्यूटी तहसील कार्यालय के स्ट्रांगरूम में नही लगी है बल्कि कही अन्यत्र लगी है। परंतु वे 27 नवंबर को अस्थायी स्ट्रांग रूम में क्या कर रहे थे। इसकी जानकारी प्रशासन द्वारा नही दी जा रही है। इस मामले के गरमाने का कारण भी शरद बिसेन की वहां उपस्थिति है। इसके अतिरिक्त कांग्रेस के आरोप को सही माने तो भाजपा प्रत्याशी के अधिकांश लोग वहां थे और मतपत्रों में गडबडी करने की नीयत से वहां पहुंचे थे।
यह पता ही नही लग रहा कि उक्त स्ट्रांग रूम में किस पार्टी के लोग, कौन अधिकारी, कर्मचारी आते जाते रहे है। उक्त रजिस्टर में साइन की जाने वाले लोगो की जानकारी लेने का प्रयास भी किया गया परंतु पता चला कि तहसीलदार रजिस्टर लेकर चले जाते है।
नियमानुसार निर्वाचन के सभी कार्यों की रिकार्डिंग कराई जाती है जिसके लिये जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा बजरंग कलर लैब एण्ड फोटो स्टुडियो बालाघाट को टेंडर दिया गया है। (हालांकि इस टेण्डर प्रक्रिया की शिकायत भी की गई है) जिसके द्वारा अस्थायी स्ट्रांग रूम में आने जाने वाले लोगो की वीडियो रिकार्डिंग की जाना था परंतु जानकारी मिली है कि किसी भी दिन की वीडियो रिकार्डिंग नही कराई गई है। जिससे संदेह और बढता जा रहा है कि यहां गडबडी की जा रही थी। वीडियो रिकार्डिंग से स्पष्ट हो जाता है कि अस्थायी स्ट्रांग रूम कब कितने बजे खुला और कितने बजे बंद हुआ। परंतु जिम्मेदार अधिकारियों ने निर्वाचन के निदेशों की अवहेलना करके अपनी मनमानी की। बहरहाल बालाघाट में अस्थायी स्ट्रांग रूम में मत पत्रो की साटिंग का कार्य नियमों के विपरीत होने के कारण पहले प्रभारी अधिकारी व तहसीलदार हिम्मत सिंह को और रिर्टनिंग आफिसर व बालाघाट एसडीएम गोपाल सोनी को निलंबित कर दिया है।
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