भोपाल। भोपाल लोकसभा क्षेत्र में हमेशा की तरह इस बार भी भाजपा- कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है। भाजपा के आलोक शर्मा को कांग्रेस के अरुण श्रीवास्तव कड़ी चुनौती दे रहे हैं। शर्मा दो बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं तो महापौर भी रहे हैं। लोगों से सीधा जुड़ाव है तो लंबे समय तक संगठन में काम करने के कारण कार्यकर्ताओं के बीच पैठ भी है।
उधर, अरुण श्रीवास्तव का यह पहला चुनाव है। वे अभी तक संगठन में विभिन्न जिम्मेदारियां संभाल रहे थे। जिला कांग्रेस ग्रामीण का अध्यक्ष रखने के कारण उनका नेटवर्क ग्रामीण इलाकों में तगड़ा है। मां विमला श्रीवास्तव भी जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं हैं।
भोपाल लोकसभा क्षेत्र एक प्रकार से भाजपा का गढ़ है। 1989 से भाजपा ही यहां जीतती आ रही है। पिछले चुनाव में भाजपा की साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह को तीन लाख 64 हजार 822 मतों के अंतर से पराजित किया था।
इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखने के लिए भाजपा ने प्रचार में स्टार प्रचारकों को उतारा। मतदाताओं को घर से निकालने के लिए संगठन ने कार्यकर्ताओं की बूथवार जिम्मेदारी तय की है।
आलोक शर्मा केवल मोदी और बड़े नेताओं के भरोसे
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रोड शो किया तो मुख्यमंत्री डा.मोहन यादव, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी रोड शो और सभाएं कर चुके हैं। भाजपा का गढ़ होने का लाभ मिलेगा। भोापल का मेयर रहने के नाते शहरी मतदाताओं से सम्पर्क लेकिन ग्रामीण मतदाताओं के लिए अनजान चेहरा।
विरासत में मिली राजनीति
उधर, किसी गुट विशेष से जुड़ा न होने के कारण अरुण श्रीवास्तव को राजनीति विरासत में मिली है। उनके पक्ष में स्थानीय नेताओं ने ही मोर्चा संभाला। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सभा की। आरोप-प्रत्यारोप से इतर उन्होंने पूरे प्रचार में न्याय गारंटी के साथ स्थानीय मुद्दों को आगे रखा।
कर्मचारियों का रुझान होगा महत्वपूर्ण
भोपाल लोकसभा क्षेत्र में कर्मचारी मतदाता बड़ी संख्या में हैं। इनका रुझान परिणामों को प्रभावित करता है इसलिए भाजपा और कांग्रेस ने कर्मचारी वर्ग को साधने में कोई कसर नहीं रखी। हालांकि, पुरानी पेंशन बहाली और पदोन्नति में आरक्षण जैसे मुद्दे इस बार जोर-शोर से नहीं उठे।
कुल मतदाता – 23,39,411
पुरुष – 12,00,649
महिला – 11,38,585
थर्ड जेंडर – 177
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