गांजा सप्लाई करने वाला कोर्ट से हो गया था फरार, तथ्य सुन कोर्ट ने कहा- यह समाज का दुश्मन, दिलाई सजा

एक ऐसा नशे का सौदागर, जो शहर के मंदिरों के आसपास वाले इलाकों को टारगेट कर पूरे सुनियोजित ढंग से नशे का सामान बेचता था। वह गांजा सप्लाई करता था। पुलिस ने जब उसे पकड़कर जेल भेजा और जब उसे लगा कि उसे सजा काटनी पड़ सकती है तो कोर्ट से ही फरार हो गया। उसे दोबारा पकड़ा गया, अतिरिक्त लोक अभियोजक धर्मेंद्र कुमार शर्मा शासन की तरफ से पैरवी कर रहे थे। उन्होंने कोर्ट के समक्ष तथ्य रखे, आरोपित खुद को निर्दोष बता रहा था। कई दबाव भी उसने अतिरिक्त लोक अभियोजक पर डलवाया, लेकिन समाज की रगों में जहर घोलने वाले के खिलाफ वह अडिग रहे। आखिर कोर्ट ने सबूत और तथ्य को गंभीरता से परखा, आरोपित को पांच साल की सजा सुनाई। अब आरोपित जेल में बंद है।

यह था मामला

 

जनकगंज थाना क्षेत्र के अंतर्गत 2021 में गुप्तेश्वर महादेव मंदिर के आसपास नशे की बड़ी खेप जनकगंज थाना पुलिस ने पकड़ी थी। यहां से बदन सिंह पकड़ा गया था, जिसके पास से 9 किलो गांजा बरामद हुआ था। वह श्योपुर-विजयपुर का रहने वाला था। राजस्थान के अलग-अलग सप्लायरों से उसका संपर्क था। वह शहर के मंदिरों के आसपास के इलाकों को ही टारगेट करक सुनियोजित ढंग से गांजा सप्लाय करता था। उसने ऐसे एजेंटों का नेटवर्क खड़ा किया जो कमीशन पर गांजे की पुड़िया बेचते थे। पुलिस ने इस मामले में एनडीपीएस एक्ट के तहत एफआइआर दर्ज कर आरोपित को जेल भेजा था।

 

चार साल चली सुनवाई, कोर्ट को बताया उसकी वजह से युवा पीढ़ी नशे में फंसकर बर्बाद हो रही

अतिरिक्त लोक अभियोजक धर्मेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि आरोपित को जेल भेज दिया गया तो आरोपित के वकील ने जमानत के लिए आवेदन लगाया। उसे जमानत तो मिल गई, लेकिन लगातार मामले की सुनवाई चलती रही। कोर्ट को इस मामले की गंभीरता बताई, कई ऐसे तथ्य और साक्षी डायरी में शामिल किए- जिससे यह स्थापित हुआ कि शहर की युवा पीढ़ी को यह नशा सप्लाय करता है। मंदिर के आसपास के इलाकों में इसलिए नशा सप्लाय करता था, क्योंकि यहां पुलिस अधिक ध्यान नहीं देती। कुछ तो भिखारी ही उसके नेटवर्क से जुड़ गए थे। उसकी वजह से कई घर बर्बाद हो रहे थे। यह तथ्य जब कोर्ट के समक्ष रखे तो कोर्ट ने इसे गंभीरता से लिया। आरोपित को लगा कि उसे सजा पड़ सकती है, जिस दिन फाइनर हियरिंग होनी थी, उस दिन वह बहस होने के बाद फरार हो गया। उस पर एफआइआर दर्ज की गई। कोर्ट ने उसे 50 हजार रुपये जुर्माना और पांच साल की सजा सुनाई। उसके जेल जाने से ऐसे इलाकों में नशे की सप्लाय ही रुक गई, जहां कई युवा इसमें फंसकर बर्बाद हो रहे थे।

 

एनडीपीएस एक्ट की कार्रवाई में विवेचक गंभीर रहे, हर मामले में हो सजा

 

अतिरिक्त लोक अभियोजक धर्मेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि एनडीपीएस एक्ट के कई मामलों में आरोपित बरी हो गए। विवेचना के स्तर पर लापरवाही का लाभ ही आरोपित को मिलता है। अगर विवेचक गंभीरता से विवेचना करे, एक्ट के अनुसार विवेचना हो तो हर आरोपित को सजा दिलाई जा सकती है। इसके लिए समय-समय पर विवेचकों का प्रशिक्षण भी जरूरी है।

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