हनुमान जी का ऐसा मंदिर आपने कहीं नहीं देखा होगा! निद्रा अवस्था में हैं यहां भगवान, नाभि से निकलता रहता है जल

राष्ट्र चंडिका न्यूज़ ,प्रदेश में एक से बढ़कर एक मंदिर हैं। छिंदवाड़ा के सौसर में एक ऐसा ही स्थान (जामसांवली मंदिर) है जो अनोखे रहस्यों और प्रताप के लिए जाना जाता है। मंदिर को लेकर श्रद्धालुओं की आस्था है कि यहां पूजा-अर्चना करने से भूत प्रेत का साया हटता है। मंदिर में हर दिन सैकड़ों ऐसे लोग भी पहुंचते हैं जो किसी न किसी तरह की मानसिक बीमारी से ग्रस्ति रहते हैं। आज हम यहां आपको इस मंदिर की खूबियों के बारे में बता रहे हैं.
राम भक्त हनुमान के कई मंदिर मौजूद हैं। हम आपको बजरंगबली के चमत्कारी और दिव्य हनुमान मंदिरों के दर्शन कराने जा रहे हैं।
जामसांवली हनुमान धाम
छिंदवाड़ा जिले के जामसांवली में हनुमान जी का एक बेहद चमत्कारी मंदिर मौजूद है। ये मंदिर बेहद खास हैं। यहां राम भक्त हनुमान की करीब 15 फीट की मूर्ति निद्रा अवस्था में विराजमान हैं। इस मंदिर को लेकर कई किस्से प्रचलित हैं। कहा जाता है कि जहां आज हनुमान जी की प्रतिमा शयन मुद्रा में हैं वहां खजाना छुपा है। उसी खजाने की रक्षा करने के लिए यहां सालों पहले हनुमान जी की प्रतिमा खड़ी अवस्था में विराजमान थी, लेकिन एक बार कुछ चोर इस जगह में चोरी करने आए। उस खजाने को बचाने के लिए हनुमान जी यहां पर लेट गए, तब से लेकर आज तक यहां हनुमान जी पीपल के एक पेड़ के नीचे विश्राम अवस्था में ही विराजमान हैं।
जामसांवली मंदिर की एक खास बात ये भी है कि यहां विराजमान हनुमान जी की मूर्ति की नाभि से जलधारा निकलती है। पानी कहां से आता है इसके स्त्रोत के बारे में किसी को नहीं पता। ये जलधारा अनवरत बहती रहती है। मंदिर में आने वाले श्रद्धालु इस जलधारा को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। लोगों का मानना है कि इस जल को पीने से चर्मरोगों से मुक्ति मिल जाती है।मंदिर का इतिहास 100 साल से भी पुराना बताया जाता है, हालांकि मंदिर की स्थापना किसने की थी इसका कोई प्रमाण नहीं मिलता। हनुमान जी की प्रतिमा को स्वयंभू माना जाता हैं।
हनुमान जी की मूर्ति यहां निद्रा की अवस्था में हैं।
-किवदंति है कि सालों पहले यहां चोरी करने के लिए कुछ लोग पहुं
चे थे। सामग्री बचाने के लिए भगवान लेट गए तब से निद्रा की अवस्था में हैं।
70 किमी दूर छिंदवाड़ा से दूरी पर पांढुर्ना ब्लॉक की सीमा में स्थित है जामसांवली मंदिर, जो किसी चमत्कार से कम नहीं है।
15 फीट ऊंची रामभक्त हनुमान जी की प्रतिमा के नाभि से लगातार निकलता जल किसी औषधि और चमत्कार से कम नहीं है।
-भगवान की नाभी से निकले जल का प्रसाद जिसने पा लिया उसे कभी त्वचा से संबंधित रोग नहीं होता ऐसा भक्तों का मानना है।
-मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र से सबसे अधिक श्रद्धालु यहां पूजा-अर्चना करने के लिए पहुंचते हैं।
-इस मंदिर की स्थापना के बारे में कोई तथ्य या प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं, पर भू और राजस्व अभिलेख के रिकॉर्ड अनुसार यह मंदिर 100 वर्ष पुराना है।
पौराणिक कथाओ में ऐसा माना जाता है कि रामायण काल में हनुमान जी संजीवनी बूटी लाते समय जामसांवली में इसी पीपल के पेड़ के नीचे विश्राम करने के लिए रुके थे।
क्या है इस मंदिर का रहस्य
यह मंदिर पर रोज हजारो की संख्या में लोग दर्शन के लिए आते है।जामसावली में हनुमानजी की लेटी हुई प्रतिमा है जो बहोत ही कम जगह पर देखने मिलती है । यहाँ पर जो मूर्ति है उसकी नाभि से निरन्तर पानी बहता है और यही पानी लोगो को प्रसादी के रूप में दिया जाता है । यह चमत्कारी पानी किसी औषधि से कम नहीं है। इस पानी से भूत प्रेत का साया हो या कोई भी दुष्कर मानसिक रोग दूर हो जाता है। इसी लिए इस मंदिर को चमत्कारी हनुमान मंदिर कहा जाता है।
पूरी दुनिया में नहीं है ऐसा चमत्कारिक श्री हनुमान मंदिर: मंदिर समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि पूरी दुनिया में जामसांवली में विराजित हनुमान जी की प्रतिमा जैसी प्रतिमा और कहीं नहीं है. इसलिए इस मंदिर का नाम विश्व प्रसिद्ध चमत्कारिक श्री हनुमान मंदिर है. कहा जाता है कि किसी भी प्रकार की बुरी शक्तियों का साया हो या फिर कोई भी असाध्य रोग भगवान के चरणों में जाने से ही समाप्त हो जाते हैं.

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