धनंजय सिंह की सजा से बदला जौनपुर का समीकरण, सपा ने चली ‘रेड्डी चाल’ तो बीजेपी के शंकर पर क्या होगी ‘कृपा’?
जौनपुर में नमामि गंगे क प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल के अपहरण और रंगदारी मामले में पूर्व सांसद धनंजय सिंह और उनके सहयोगी संतोष विक्रम सिंह को सात साल की सजा हुई. इसका साइड इफेक्ट यह हुआ कि लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे धनंजय सिंह की सियासी पारी पर एक बड़ा ग्रहण लग गया. धनंजय सिंह के चुनाव लड़ने के अरमानों पर फिलहाल भले ही पानी फिर गया हो, लेकिन जेल में रहकर अपनी पत्नी श्रीकला रेड्डी या फिर अपने किसी करीबी नेता को चुनावी मैदान में उतारने का दांव चल सकते हैं.
धनंजय सिंह के जेल जाने से जौनपुर का राजनीतिक समीकरण भी बदलता दिख रहा है, जिसमें एक तरफ बीजेपी के उम्मीदवार कृपा शंकर सिंह हैं तो दूसरी तरफ धनंजय सिंह. जौनपुर की सियासत में धनंजय सिंह की अपनी एक ताकत है, जिसके दम पर वो विधायक और सांसद बनते रहे हैं. जौनपुर सीट पर कब्जा जमाने के लिए बीजेपी ने कृपा शंकर सिंह को प्रत्याशी बनाया है, जो अभी तक मुंबई की सियासत करते रहे हैं, लेकिन अब अपने गृह जनपद से किस्मत आजमा रहे हैं. बीजेपी प्रत्याशी घोषित होने के चंद घंटे बाद धनंजय सिंह ने लोकसभा चुनाव लड़ने का अपना दावा ठोक दिया और कहा कि जल्द ही नया ऐलान करेंगे. धनंजय सिंह ने नारा दिया, ‘जीतेगा जौनपुर जीतेंगे हम’. इसके बाद ही जौनपुर का सियासी खेल बदलना शुरू हुआ.
बीजेपी उम्मीदवार कृपा शंकर सिंह अपने लाव-लश्कर के साथ मंगलवार को सुबह जौनपुर पहुंचते हैं, शाम होते-होते तीन साल दस महीने पहले इंजीनियर अभिनव सिंघल अपहरण मामले में बाहुबली धनंजय सिंह को अदालत दोषी करार दे देती है और दूसरे दिन सात साल की सजा मुकर्रर कर दी गई. इस तरह से देखते ही देखते समय का पहिया ऐसा घूमा कि चुनावी तैयारी कर रहे धनंजय सिंह जेल पहुंच जाते हैं. हालांकि, सजा के बाद अदालत की सीढ़ियां उतरते और पुलिस की वैन में बैठते हुए धनंजय सिंह ने मीडिया से कहा कि मुझे चुनाव से रोकने के लिए साजिश रची गई. इसके बाद से जौनपुर की चौराहों पर धनंजय सिंह की चर्चा है, जिससे जौनपुर का सियासी समीकरण भी बदल रहा है.
धनंजय सिंह की सजा से क्या श्रीकला को मिलेगी सहानुभूति?
पूर्व सांसद धनंजय सिंह को दोषी ठहराए जाने के बाद जब उनकी पत्नी श्रीकला रेड्डी उनसे मिलने जेल पहुंचीं तो उनकी बॉडी लैंग्वेज किसी सामान्य गृहणी की नहीं बल्कि एक सियासी नेता की तरह दिख रही थी. श्रीकला रेड्डी जौनपुर की जिला पंचायत अध्यक्ष हैं और दक्षिण भारत के एक बड़े राजनैतिक और व्यापारिक परिवार से हैं. उनके पिता जितेंद्र रेड्डी तेलंगाना के विधायक रहे हैं. धनंजय सिंह से मुलाकात के बाद उनकी पत्नी श्रीकला रेड्डी ने उनके समर्थकों से संयम और धैर्य बनाए रखने की अपील की है. साथ ही उन्होंने कहा कि आपके नेता को आपके सहानुभूति की जरूरत है. इससे यह बात साफ है कि धनंजय सिंह की सजा श्रीकला सहानुभूति में तब्दील करना चाहती हैं.
धनंजय सिंह भले ही अपहरण और रंगदारी के मामले में दोषी ठहराए जाने से जेल गए हैं, लेकिन लोगों में चर्चा यही है कि उन्हें लोकसभा चुनाव से लड़ने से रोकने के लिए सब किया गया है. हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक के दरवाजे खटखटाने और उससे निकले नतीजों के बाद ही धनंजय सिंह का अगला कदम क्या होगा, इस पर जौनपुर के लोगों की निगाहें लगी हुई हैं, लेकिन सपा प्रवक्ता फखरुल हसन के ट्वीट से सियासी कयास को बल मिल गया है. उन्होंने कहा है कि राजनीति संभावनाओं का खेल है. आने वाले समय में जौनपुर से धनंजय सिंह चुनाव लड़ पाएंगे या जेल में रहेंगे, या फिर पत्नी चुनाव लड़ेंगी, लेकिन जौनपुर का चुनाव रोचक होगा.
बाहुबली धनंजय सिंह के जेल जाने के बाद सोशल मीडिया में उनका एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ हैं. वीडियो एक शादी के कार्यक्रम का है, लेकिन लोग उनके जौनपुर के सपा के टिकट पर चुनाव लड़ने से जोड़कर देख रहे हैं. बीजेपी कैंडिडेट घोषित होने के बाद धनंजय सिंह ने जिस तरह से लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर रखा था, उसमें निर्दलीय या फिर सपा से ही विकल्प बच रहा था. सपा ने जौनपुर सीट से अपने प्रत्याशी का ऐलान नहीं किया है.
जौनपुर में बीजेपी के लिए कितनी आसान हुई राह?
जौनपुर की सियासत पर नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार हेमंत तिवारी कहते हैं कि धनंजय सिंह का अपना एक दबदबा है और उनकी अपनी लोकप्रियता है. खासकर ठाकुर समुदाय के बीच मजबूत पकड़ मानी जाती है. ऐसे में अगर निर्दलीय चुनाव लड़ते तो जौनपुर का मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता था और सपा से उतरने से सीधा मुकाबला हो सकता था. हालांकि, अब उन्हें सात साल की सजा हुई और वह जेल भेज दिए गए हैं, जिसके बाद अब उनकी पत्नी की चुनाव लड़ने की चर्चा है. सपा अगर श्रीकला रेड्डी को प्रत्याशी बनाती है तो फिर जौनपुर में बीजेपी के लिए यह सीट निकालना आसान नहीं होगा.
धनंजय सिंह 2009 में जौनपुर सीट से बसपा के सांसद रह चुके हैं. सपा से टिकट न मिलने की स्थिति में जौनपुर में मामला त्रिकोणीय बनाने का दम रखते हैं, लेकिन अब सपा उनकी पत्नी को प्रत्याशी बनाती है तो फिर बीजेपी उम्मीदवार कृपा शंकर सिंह के लिए सियासी राह आसान नहीं होगी. इसकी वजह यह है कृपा शंकर सिंह भले ही जौनपुर के रहने वाले हों, लेकिन वो लंबे समय से मुंबई में रहते हैं. जौनपुर की सियासत में उस तरह का असर कृपा शंकर सिंह नहीं रखते हैं, जिस तरह की पकड़ धनंजय सिंह की है. इतना ही नहीं ठाकुर मतदाताओं के बीच भी धनंजय सिंह की अपनी अलग पकड़ है.
जौनपुर लोकसभा सीट पर सियासी समीकरण
जौनपुर लोकसभा क्षेत्र के सियासी समीकरण को देखें तो क्षत्रिय, यादव, मुस्लिम, ब्राह्मण और दलित समुदाय के वोटर निर्णायक हैं. क्षत्रियों और यादवों का दबदबा रहा है. इस लोकसभा सीट पर यादव और ठाकुर बराबर संख्या में है. 2019 में सपा-बसपा गठबंधन के तहत श्याम सिंह यादव ने जीत दर्ज की थी, क्योंकि दलित, मुस्लिम और यादव मतदाता एकजुट थे.
दूसरी तरफ बीजेपी की नजर क्षत्रिय और ब्राह्मण वोटों पर रहती है. ऐसे में अगर धनंजय की पत्नी श्रीकला या उनका कोई भी करीबी चुनावी मैदान में उतरता है तो क्षत्रिय वोटों में सेंधमारी खतरा बढ़ जाएगा, जो बीजेपी के लिए चिंता का सबब बन सकती है. सपा के टिकट पर श्रीकला अगर चुनावी मैदान में उतरती हैं तो फिर यादव-मुस्लिम और ठाकुर वोटों के समीकरण बीजेपी उम्मीदवार कृपा शंकर सिंह के लिए टेंशन बढ़ा सकते हैं.
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