सफेद पावडर के नशे से युवा पीढ़ी लिख रही काला अध्याय

सुट्टा बार एवं रेस्टारेंटो की भी हो जांच
“इन दिनों युवा पीढ़ी में  सफेद पावडर के नाम से चर्चित नशा जिले सहित नगर  में पैर पसार रहा है। दिन तो । दिन रात में भी लोग इसका उपयोग करने से वाज नहीं आ रहे हैं। नशे के शौकीन  छात्र छात्राएं जानते हैं कि उनकी इस आवश्यकता की पूर्ति कहां से हो सकती है लेकिन सवाल इस बात का है  कि सब कुछ ऐसा ही चलता रहा तो आत्मर्निर भारत की  कल्पना कैसे साकार होगी ?  छात्र छात्राओं का यह समय स्वर्णिम माना जाता है मगर इस उम्र में सफेद पावडर का ड शौक उनके जीवन के साथ खिलवाड़ नहीं तो क्या है। इस र्का में जननायक जनप्रतिनिधि और जिला प्रशासन को भी विचार करना चाहिए कि इस सुरसा की तरह फैल रहे रोग को हम कैसे रोके..।”
राष्टचंडिका / सिवनी । आजादी के बाद से आज तक सिवनी एक ऐसा जिला रहा जहां छोटे बड़े नशे का व्यापार यहां कभी नहीं पनपा लेकिन वर्तमान में छात्र छात्राएं इस नशे की गिरफ्त में देखे जा रहे हैं।
जननायक और जनप्रतिनिधि सब जानते हैं कि इस नशे का उदगम कहां है मगर वह उन लोगों पर कार्यवाही नहीं करना चाहते। सफेद पावडर का नशा करने वाली युवा पीढ़ी अपने आपको जीवन से हताश मान लेते हैं और सोचती है कि यह जीवन व्यर्थ है। सूत्रों का कहना है कि इन दिनों नये-नये रेस्टारेंट और सुट्टा बार जैसे स्थान चाय के साथ साथ इन नशे के लिए युवा पीढ़ी उपयुक्त मानती है। नगर की चारों दिशाओ के ढाबे, रेस्टारेंट से लेकर हाल ही में छिंदवाड़ा रोड के एक रेस्टारेंट में इन दिनों छात्र छात्राओं का आना जाना रहता है। कारण जो भी हो मगर लोगो का मानना है कि कुछ ना कुछ बात जरूर है। इस संबंध में सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस जांच तो करती है लेकिन इस व्यापार में लिप्तत लोगों को इसकी भनक पहले ही लग जाने से ये लोग कार्यवाही के दौरान अपने आपको पहले ही सुरक्षित कर लेते है। युवा पीढ़ी को इन शातिर लोगों से बचाने के लिए जनप्रतिनिधियों को भी रूचि लेना पड़ेगा, क्योंकि यह रोग से आने वाला समय विकास का काला अध्याय लिखेगा। इसलिए इस पर अंकुश लगाया जाना जनहित में होगा। साथ ही रेस्टारेंट पर लगातार र्कावाही से भी इस सफेद पावडर के नशे पर अंकुश लग सकता है।
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