नगर में धड़ल्ले से चल रहा सफेद पाउडर का व्यापार, सफेद पाउडर कारोबारीयों को सफेदपोश नेताओं का समर्थन!

राष्ट्र चंडिका न्यूज़,सिवनी। युवा देश का भविष्य हैं। युवाओं का भविष्य सुनहर बनाये जाने के लिए सरकार द्वारा तमाम योजनाएं भी संचालित की जा रही हैं लेकिन आज का युवा नशे का आदी होकर अपने भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है। इसका सीधा श्रेय जिम्मेदारों को भी जाता है क्योंकि जिले में मादक पदार्थों का काला कारोबार दिनों दिन फल-फूल रहा है। जिम्मेदार पुलिस विभाग द्वारा इस ओर कोई ठोंस कार्रवाई नहीं की जाती। जिससे सिवनी के कई क्षेत्र  इलाकों में खुलेआम सफेद पाउडर बिक रह  है। इन नशों का आदी बनकर युवा अपने भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। समय-समय पर इन मादक पदार्थों की अवैध बिक्री को बंद कराये जाने की आवाज उठायी जाती है। बार-बार आवाज उठाने पर पुलिस द्वारा  की छोटी-मोटी खेप पकड़कर कार्रवाई के नाम पर इतिश्री कर ली जाती है। इस तरह की छोटी-मोटी कार्रवाईयों से कभी भी मादक पदार्थों का काला कारोबार बंद नहीं होगा।
पुलिस की लापरवाही के चलते धीरे-धीरे जिला मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्र के सफेद पाउडर  की गिरफ्त में आते जा रहे हैं। जिले में शहर से लेकर छोटे-छोटे गांव के हर हिस्से में गांजे का नशा करने वाले युवाओं को यह जहर आसानी से उपलब्ध हो रहा है। शहर में कुछ परिवार तो एसे हैं, जो अपने घर पर परिवार सहित खुलेआम सफेद पाउडर का व्यापार करते हैं। वहीं कुछ लोग अपने वाहन पर सवार होकर सफेद पाउडर को खरीददार के बताए स्थान पर उपलब्ध कराते हैं।
 नगर में लंबे समय से चर्चाओं में बना हुआ है कभी जुआ फड़ो को लेकर तो कभी सट्टा, और सटोरियों को लेकर तो कभी अबैध देशी विदेशी शराब की जगह जगह बिक्री को लेकर जिले का सम्पन्न सिवनी में हर वह अपराध पनप रहे जो सामाजिक बुराईयों से लेकर गंभीर अपराधों का हो रहे है और ये सब स्थानीय प्रशासन, पुलिस हो या फिर आबकारी हो या फिर स्थानीय प्रशासन या फिर कही न कही चौथा स्तंभ के तथाकथित जिम्मेदार लोग अपनी जिम्मेदारी निभाने में अछूते नजर आ रहे है इसके पीछे तो कुछ निजी स्वर्थो के चलते के कारण मौन सहमति दी गई है और यही कारण आये दिन सुर्खियों में सिवनी नगर जाना जाता है।
वही इन दिनों नगर एवं ग्रामीण क्षेत्र के युवा सफेद पाउडर की गिरफ्त में आते जा रहे हैं। सिवनी शहर से लेकर आसपास के छोटे-छोटे गांव के हर हिस्से में सफेद पाउडर का नशा करने वाले युवाओं को यह जहर आसानी से उपलब्ध हो रहा है।
सिवनी के हर गली-कूचे में उपलब्ध है पुडिया नगर में इन दिनों हर मोहल्ले ,पान ठेले में एक कश की पुड़िया उपलब्ध है जो कि अलग-अलग राशि के अनुसार होती है। इसी क्रम में  शहरों  के नवयुवक भी शराब के साथ साथ सफेद पाउडर के आदि होते जा रहे है इससे इन्हे शुरू में तो काफी आराम मिलता है किंतु बाद में ये बगैर इस नशे के नही रह पाते है। धीरे धीरे यह नशा बढता जाता है आगे चलकर ये लोग इस नशे के चक्कर में अपने घर के बर्तन तक बेचकर नशा करते है, इस तरह एक व्यक्ति की खातिर पूरा घर बर्बाद हो जाता है।
हर वर्ग हो रहा आदी
अगर आज शहर में पुड़िया पीने वालों की गणना की जाएं तो यह संख्या हजार के ऊपर होगी जिसमें नगर के संभ्रांत परिवारों से लेकर एक गरीब मजदूर भी शामिल है अगर प्रशासनिक जांच की यही रफ्तार रही तो इस नशे के आदी नगर के युवाओं की संख्या कई गुना बढ जायेगी अगर जल्दी प्रशासन इस विषय में नहीं जागा तो हर दूसरे घर में इस नशे का आदी एक व्यक्ति होगा और यह नशा ऐसा है कि परिवार का एक सदस्य अगर इसका आदी हो तो पूरा परिवार इसकी सजा भुगतता है।
सूत्रों की मानें तो शहर क्षेत्र में स्मैक सफेद पाउडर व चरस का काला कारोबार अपने शबाब पर है।  कारोबार दिनों दिन फल-फूल रहा है। जबकि सरकार द्वारा नशामुक्ति अभियान प्रतिवर्ष चलाया जाता है। इस अभियान को सार्थक बनाये जाने के लिए कई स्वयंसेवी संगठनों को भी लगाया गया है। पान, मसाला, स्मैक, गांजा, चरस, सिगरेट आदि नशे की लत को दूर करने के लिए इन संगठनों द्वारा सुझाव भी दिये जाते हैं। इतना ही नहीं इस नशे से होने वाली बीमारियों के बारे में भी लोगों को चेताया जाता है लेकिन यह अभियान कितना सार्थक साबित हो रहा है इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है क्योंकि जब तक मादक पदार्थों का सफेद पाउडर,काला कारोबार ही बंद नहीं होगा तो इस अभियान का कोई औचित्य ही नहीं है। कई बार इस काले कारोबार को बंद कराये जाने के लिए समाजसेवी संगठनों द्वारा आवाज उठायी गयी। इस आवाज पर पुलिस द्वारा समय-समय पर कार्रवाई की भी गयी लेकिन पूर्ण रूप से यह काला कारोबार कभी बंद नहीं हुआ।
सफेदपोश नेताओं का सहारा-
गोरखधंधे में लिप्त लोग सफेदपोश नेताओं का सहारा भी लिये हुए हैं। जो समय आने पर इनकी हरसंभव मदद भी करते हैं। सूत्रों की मानें तो काला कारोबार करने वाले यह लोग नेताओं के साथ-साथ इलाका पुलिस को भी पूरी तरह से साधे रहते हैं। साधने का तात्पर्य इस बात से है कि यह लोग समय-समय पर नेताओं व क्षेत्रीय पुलिस को माहवारी के रूप में मोटी रकम पहुंचाने का काम करते हैं। नेताओं व पुलिस के रहमोकरम पर ही यह काला कारोबार आज अपनी चरम सीमा पार कर चुका है। यह काला कारोबार अपनी जड़े इस कदर मजबूत कर चुका है कि शायद कोई पुलिस का उच्चाधिकारी इस धंधे को बंद करा सके। इस धंधे में लिप्त लोगों ने ऊपर तक अपनी पकड़ मजबूत कर रखी है। यदि इलाका पुलिस द्वारा इन पर लगाम कसी भी जाती है तो फौरन ऊपर के आकाओं का फोन पुलिस तक पहुंच जाता है और रातो रात यह
सफेद पाउडर,काला कारोबार करने वाले छोड़ दिये जाते हैं। यही वजह है कि इनके हौसले बुलन्द हैं। इस नशे के काले कारोबार के कारण जिले के नौजवानों का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है। युवाओं का एक बड़ा तबका इस नशे की गिरफ्त में है। इन क्षेत्रों का यदि दौरा किया जाये तो तमाम नौजवान नशे की हालत में सड़कों के किनारे पड़े मिल जायेंगे। इनकी हालत को देखकर ही लोगों को तरस आ जाता है लेकिन साधारण व्यक्ति की क्या मजाल कि इस धंधे पर आंख उठाकर देख ले। पुलिस यदि एक मिशन के तहत ऐसे कारोबारियों पर चाबुक चलाये तो शायद इस धंधे को जिले में जड़ से उखाड़ कर फेंका जा सकता है।
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