गरबा के नाम पर धार्मिक मान्यताओं से खिलवाड़ ?

गरबा जैसे धार्मिक नृत्य के नाम पर हो रही फूहड़ता

राष्ट्र चंडिका न्यूज़ सिवनी, लोक परंपरा देवी जस-जंवारा जैसे पारंपरिक व धार्मिक आयोजननों को पीछे छोड़कर इन दिनों सिवनी में भी गरबा कराने की होड़ मची है। गरबा गुजरात का लोकनृत्य है। नवरात्रि में गरबा पूरे विधि-विधान और धार्मिक परंपरानुसार मनाया जाता है।सिवनी में गुजराती समाज व गिनती के कुछ संस्थाओं ने ही गरबा की पवित्रता को बनाए रखा है। बाकी अधिकांश जगहों में गरबा के नाम पर मनोरंजन, फूहड़ता और नैनमटक्का आम बात है। भारतीय समाज जो की अपने संस्कृति के लिए पहचाना जाता है उसमें धार्मिक उपासना का भी अपना एक अलग स्थान है इसी क्रम में मां दुर्गा की आराधना के लिए गरबा नृत्य विधि विधान से दुर्गा जी का पूजन दीप जलाकर होता है। आज की युवा पीढ़ी ने इसे फूहड़ता और प्रेम मिलाप का साधन बना लिया है। पश्चिमी या बोलीवुड के गानो मे गरबा नृत्य किया जा रहा है जबकी ये दुर्गा माँ के गीतों मे सम्पन्न हो रहा है। माता-पिता भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे की उनके बेटा या बेटी जो कि नगर में विभिन्न स्थानों में गरबा सीखने जा रहे हैं वो वास्तविक रूप से माता की आराधना करने श्रद्धा से करने जा रहे है या फिर अपने मन के कुत्सित विचारो को पूरा करने। बीते कुछ दिनों में देखा गया है कि डीजे की धुन में झूमते हुए नगर में कानून व्यवस्था को धत्ता बताते हुए चाकू बाजी और हत्या जैसी घटनाएं हुई है। अगर इसी प्रकार से इश्क बाजी के अड्डे बढ़ाते रहे तो आने वाले समय में भी अन्य घटनाएं देखने को मिले तो कुछ नया नहीं होगा। यहां यह उल्लेखनीय होगा कि हम माता की आराधना करने वाले गरबा उत्सवों पर प्रश्न चिन्ह नहीं लगा रहे हैं बल्कि हम समाज में फेल रही उस कुरीति का विरोध कर रहे हैं जो की तेजी से हमारे युवा वर्ग में बढ़ते जा रही है। प्रशासन को शीघ्र अति शीघ्र इस और ध्यान देना चाहिए साथ ही साथ माता-पिता को भी ध्यान देना चाहिए कि उनके बच्चे किस दिशा में जा रहे हैं।

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