क्या मुनमुन और राकेश पाल की टिकट कटेगी?

राष्ट्र चंडिका न्यूज़ सिवनी, (अखिलेश दुबे) मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी की तीन लिस्ट जारी होने की बाद सियासी सरगर्मियां बढ़ गईं हैं, तीनों लिस्ट के नामों को देखने के बाद सियासी चाणक्य भी चौंक गए हैं, सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा ज़ोरों पर है कि आगे आने वाली लिस्ट में भी बीजेपी आलाकमान कई चौंकाने वाले फ़ैसले ले सकता है और इस बात का अंदाज़ा होते ही कई मंत्रियों और विधायकों की नींद उड़ गई है।

बीजेपी अलाकमान के फ़ैसलों को देखते हुए इस बात के क़यास लगाए जा रहे हैं कि सिवनी से दिनेश राय और केवलारी से राकेश पाल सिंह की टिकट भी पक्की नहीं है, अलाकमान को इस बात की ख़बर है कि सिवनी में दिनेश राय के ख़िलाफ़ पूरा संगठन खड़ा हो गया है, बीजेपी के पुराने अनुभवी नेताओं से लेकर युवा मोर्चा तक दिनेश राय के पक्ष में नहीं है, इस बात की रिपोर्ट आलाकमान को दूसरे राज्यों से हर एक विधानसभा में भेजे गए बीजेपी के विधायकों ने सौंपी है,

बीजेपी के स्थानीय नेताओं ने भी आलाकमान तक इस बात की ख़बर बार-बार पहुंचाई है कि दिनेश राय बीजेपी के स्थानीय संगठन को साथ लेकर नहीं चलते हैं, इन सभी बातों पर गौर करने के बाद बीजेपी आलाकमान सतर्क हो गया है और दूसरे दावेदारों की छवि, इलाक़े में सक्रियता और जीतने की क्षमता का आकलन किया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ़ केवलारी में राकेश पाल को लेकर भी आलाकमान पशोपेश में है, राकेश पाल ने 30 साल बाद केवलारी सीट जीतकर बीजेपी के खाते में दी लेकिन इन पांच सालों में स्थानीय नेताओं के बीच उनका विरोध बढ़ गया है, केवलारी के स्थानीय नेता बताते हैं कि पांच सालों में राकेश पाल के आसपास चुनिंदा नेताओं और कार्यकर्ताओं का ही घेरा रहा और दूसरे कार्यकर्ताओं की उन्होंने जमकर अनदेखी की, इसके साथ ही राकेश पाल के स्वभाव को लेकर भी स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं में नाराज़गी है, बीजेपी के स्थानीय नेताओं का यहां तक कहना है कि केवलारी में इस बार राकेश पाल से नाराज़गी इतनी ज़्यादा है कि इस वजह से ही कांग्रेस का पलड़ा भारी हो गया है, स्थानीय नेताओं ने बीजेपी आलाकमान तक अपना विरोध समय-समय पर दर्ज कराया भी है। बीजेपी अलाकमान इस बार एक-एक सीट पर फूंक-फूंक कर फ़ैसले ले रहा है।  स्थानीय संगठन तो दिनेश राय और राकेश पाल के ख़िलाफ़ ही है, अगर प्रदेश और केंद्रीय संगठन के सर्वे में दोनों नेता ज़रा भी पिछड़े तो दोनों की टिकट काटकर नए नेताओं को मौक़ा दिया जाएगा क्योंकि टिकट की दावेदारी में सिर्फ़ और सिर्फ़ जीत का ही पैमाना है।

 

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