जगतगुरु रामभद्राचार्य की ‘सियासी कथा’

राष्ट्र चंडिका न्यूज़,सिवनी (अखिलेश दुबे)। सिवनी में चल रही जगतगुरु रामभद्राचार्य की राम कथा एक तरह से ‘सियासी कथा’ में बदलती नज़र आई, राम कथा के दौरान रामभद्राचार्य के सियासी बयानों ने ख़ूब सुर्ख़ियाँ बटोरीं। ब्रह्मलीन जगद्गुरु शंकराचार्य सरस्वती महाराज को मंच से कांग्रेसी कहकर अपमान किया गया.मजे की बात तो यह है जिसका सिवनी ब्राह्मण समाज ने भी मौन धारण किया.सिवनी के ब्राह्मण समाज की चुप्पी भी जान चर्चा का विषय बना हुआ है.
शुरुआती दिन में ही रामभद्राचार्य ने कहा कि ‘इस बार तो आप उन्मुक्त होकर खिला दीजिए कमल भोपाल में और मुनमुन को मिनिस्टर बनाना मेरी ज़िम्मेदारी है, कैबिनेट मिनिस्टर बनाकर कोई ना कोई विभाग दिलाना है।’ इस बयान की चर्चा स्थानीय लोगों में दिनभर रही, दबी ज़ुबान से कांग्रेसी विरोध भी करते नज़र आए हालांकि कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर कोई बयान नहीं दिया लेकिन पार्टी के नेता इस बयान के नफ़ा और नुक़सान का आकलन करते रहे, इस बयान का असर कम होता उससे पहले ही 12 सितंबर को जगतगुरु रामभद्राचार्य के एक और बयान ने भोपाल से लेकर दिल्ली तक सुर्ख़ियाँ बटोरी, रामभद्राचार्य ने राम कथा सुनाते हुए कहा कि ‘इस बार मध्य प्रदेश में चुनाव शिवराज और कमलनाथ के बीच नहीं होगा, कांग्रेस और बीजेपी के बीच नहीं होगा बल्कि सनातन धर्म और अधर्म के बीच होगा। रामभद्राचार्य ने आगे कहा कि अब देखना है कि सनातन धर्म और अधर्म के बीच कौन जीतता है और इसके बाद उन्होंने ख़ुद ही जवाब देते हुए लोगों से कहा कि चिंता मत करिए हम जीतेंगे। इस बयान की वजह से दिनभर प्रदेश का सियासी पारा उफान पर रहा, इस बयान के बाद विश्लेषकों ने वोटों के ध्रुवीकरण की संभावनाओं और उसके असर को टटोलना शुरू कर दिया और ठीक अगले दिन यानी कि 13 सितंबर को तो जगतगुरु रामभद्राचार्य ने सनातन धर्म को डेंगू, मलेरिया कहने वालों से लेकर पूरे विपक्ष को निशाने पर ले लिया। राम कथा सुनाते हुए रामभद्राचार्य ने महात्मा गांधी को याद किया और बताया कि ‘रामचरितमानस के कीर्तनों से प्रेरणा लेकर ही गांधी ने देश को आज़ादी दिलाई और उन्हीं रामचरितमानस का दो कौड़ी के लोग अपमान करते रहे और सनातन धर्म के अपमान पर राहुल गांधी चुप रहे उनसे एक शब्द नहीं बोला गया इसका मतलब है सनातन का अपमान कांग्रेस की मिलीजुली साज़िश है।’ इसके बाद रामभद्राचार्य ने कथा सुनने आए लोगों से कहा कि ‘भारतीय हिंदुओं आपको भारत माता की सौगंध है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में और 2024 के लोकसभा चुनाव में हमें दिखा देना है कि जो सनातन धर्म का अपमान करेगा वो रसातल में चला जाएगा।’ इन बातों को बोलने के बाद जगतगुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि वो बीजेपी के एजेंट नहीं हैं बल्कि राम राम जी के एजेंट हैं और इसके बाद सनातन धर्म का अपमान करने वालों पर गरजते हुए कहा कि ‘सनातन धर्म का अपमान करने वालों को इतना प्रसाद दूंगा कि इनकी नानी याद आ जाएगी’। इन बयानों के बाद स्थानीय लोग कहते नज़र आए कि रामकथा अब सियासी कथा में बदल चुकी हैं। विधानसभा चुनावों के पहले कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों के नेता धार्मिक गुरुओं की शरण में हैं, छिन्दवाड़ा से लेकर जबलपुर और भोपाल तक धार्मिक कथाओं का दौर चल रहा है और दोनों ही दल के नेता धार्मिक कथाओं के सहारे अपनी चुनावी नैया पार लगाने की जुगत में हैं।

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