सिवनी विधानसभा 2023 में कांग्रेस… मोहन की हार की ये तीन वजह

सिवनी विधानसभा 2023 में कांग्रेस… 
मोहन की हार की ये तीन वजह 
विधानसभा चुनाव में टिकिट की लालसा रखने वाले मोहन चंदेल की राह नहीं आसान
कांग्रेस में ही विरोध है मोहन चंदेल का
राष्ट्र चंडिका, सिवनी । मध्यप्रदेश में आने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनैतिक दलों के दावेदार नेताओं ने कमर कस ली हैं और वह अपनी टिकिट के रास्ते साफ करने तथा जीत के कारण पार्टी के हाई कमान को समझाने में लगे हुए हैं।
कुछ इसी तरह कांग्रेस से सिवनी विधानसभा के दावेदार मोहन चंदेल जो पूर्व में प्रत्याशी रहते हुए हार गए थे एक बार फिर टिकिट के जुगाड़ में पार्टी के बड़े नेताओं की चौखट में माथा टेक रहे हैं। लेकिन क्या थी पिछले विधानसभा में हार की वजह से हम क्रमशः बताते हैं।
 
वजह नं. 1
 
2018 के विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस से प्रत्याशी रहे मोहन चंदेल भाजपा के दिनेश राय के सामने हार गए। यह हार की एक वजह यह मानी जा रही है कि जब वह जिला पंचायत अध्यक्ष थे तो पंचायत स्तर पर इनके द्वारा पंचायत कर्मियों को अपने स्वार्थ के शिकार बनाया गया था। जानकारों की माने तो मोहन चंदेल द्वारा अध्यक्ष रहते पंचायतों के काम करने के लिए सरपंच, सचिव से पांच हजार की मांग की जाती थी। जिनके द्वारा पैसे दे दिए जाते थे उनका काम हो जाता था जो पैसे नहीं देते उनके काम अटका दिए जाते थे। इस व्यवहार से रुष्ट लोगो द्वारा विधानसभा चुनाव में मोहन चंदेल की खिलाफत की गई और जिसका खामियाजा कांग्रेस को हार के रूप में भुगतना पड़ा।
वजह नं. 2
मोहन चंदेल कुर्मी समाज से हैं और यह समाज का विधानसभा में बड़ा प्रभाव हैं लेकिन मोहन चंदेल को कुर्मी समाज ही स्वीकार नहीं करती। समाज मे दो तरह की बातें सामने आती है पहली की कुछ लोग चंदेल समाज को समाज का दूसरा धड़ा मानते है तो दूसरी बात मोहन चंदेल की समाज मे ही पकड़ कमजोर हैं। यही वजह है कि पिछले विधानसभा में सबसे ज्यादा मत वाली समाज ने मोहन चंदेल को छोड़कर दिनेश राय पर विश्वास जताया और कुर्मी समाज बहुल इलाकों से ही मोहन को हार का सामना करना पड़ा।

 

 

 

 

 

वजह नं. 3
भले ही मोहन चंदेल सिवनी विधानसभा से अपने आपको एक मजबूत दावेदार मान रहे हो लेकिन यह सच्चाई को नकारा नहीं जा सकता कि उनकी छवि कांग्रेस में ही ठीक नहीं हैं। कार्यकर्ता मोहन को एक अवसरवादी नेता के रूप में देखते हैं। कांग्रेस के कई बड़े पदों में रहते हुए उनके द्वारा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का सम्मान नहीं करना उनके विरोध का एक कारण माना जाता हैं। उनके इस व्यवहार के कारण कांग्रेस में उनके प्रति कार्यकर्ता गंभीर नहीं हैं। तो वही पिछले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में कांग्रेस से बगावत कर जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतरने की घटना भी किसी से छुपी नहीं हैं जिसके चलते जिला कांग्रेस कमेटी के जिलाध्यक्ष द्वारा मोहन चंदेल को पार्टी से निष्कासित किया गया था। सभी कारणों के चलते देखा जाए तो आगामी विधानसभा चुनाव में अगर मोहन कांग्रेस से प्रत्यशी बनते है तो कांग्रेस के लिए जीत की राह आसान नहीं हैं।
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