क्या सुरेश (बंटा) जैसे लोग पुलिस की छवि को सुधार पायेंगे?

कार्रवाई के नाम पर करते है लहुलोहान, विभाग के लिए ऐसे लोग नासूर बने है
राष्ट्र चंडिका न्यूज़,सिवनी। एक खराब मछली सारे तालाब के पानी को खराब कर देती है यह मुहावरा हम बचपन से सुनते चले आ रहे है लेकिन यह कहावत लोग देश की रक्षा करने वाले सिपाही के लिए कही जाये तो दुख होता है नगर में पुलिस के ही एक सिपाही सुरेश सोनी (बंटा) की कहानी भी कुछ ऐसी है जो किसी मामले की जांच के लिए जाते है और जांच करने के दौरान अपराधी की तरह मारपीट करते है और मारपीट भी ऐसी कि लहुलोहान होते तक पिटाई करते है और सबूत के नाम पर खोदा पहाड़ निकली चुहिया की कहावत चरितार्थ होती है सूत्र बताते है कि गत दिवस यह पुलिसकर्मी किसी के यहां कार्यवाही करने पहुंचे थे मगर सबूत न मिलने पर उस व्यक्ति की बुरी तरह पिटाई भी कर दी।
जुआ सट्टा खिलाने वालों के खिलाफ मुहिम के नाम पर सुरेश सोनी (बंटा) पहुंचता है और सिंघम की तरह रौब जमाकर यह दिखाना चाहता है कि पुलिस विभाग में मात्र वह ही ईमानदार और वफादार कर्मचारी है जो विभाग के नियमों का अक्षरत पालन करता है देखा सुना यहा तक जाता है कि ऐसे पुलिसकर्मियों के ऐसे समाज के बदनुमा लोगों से महीना बंदी तक बंधी रहती है और यह काम किसी स्टाम्प या पेपर में न होकर मौखिक हुआ करता है सुरेश सोनी जैसे लोग विभाग और समाज के लिए बदनुमा दाग और नासूर कहे तो अतिश्योक्ति नही होगी जिस विभाग के कर्मचारियों पर समाज को गर्व होता है वही विभाग के कर्मचारियों के कार्यो पर सवाल खड़ा हो तो फिर समाज की विभाग के प्रति निराशा जायज है आये दिन किसी के साथ मारपीट करना और अपने पद की धौंस जमाना सामान्य सी बात हो गई है।
जब कोई छोटा कर्मचारी वर्दी की आड़ में लोगों को शक्तिशाली दिखाकर अपने उच्च अधिकारियों की गरिमा को कम करता है तो समझ लेना चाहिए कि उस छोटे कर्मचारियों को समाज स्वीकार नही कर रहा है ऐसी स्थिति में उन्हें हटा देना चाहिए नही तो ऐसे लोगों के कारण अच्छे अधिकारी भी कटघरे में खड़े होने को विवश हो जाते है। कभी पुलिस की स्वरूप रौब से भरपूर हुआ करता था और अपराधी प्रवृत्ति के लिए जरूरी भी है लेकिन वर्तमान में शासन चाहता है कि पुलिस लोगों के प्रति व्यवहार में परिवर्तन लाये, लोगों के सुख दुख में सहभागी हो लेकिन देखा यह जाता है कि ऊपर से तो पुलिस का जो चाल चरित्र चेहरा दिखता है लेकिन हकीकत में वह चेहरा होता नही है जिससे लोग अपने दुख-दर्द और पुलिस को सहयोग देने से कतराते है और ऐसी ही स्थिति सुरेश सोनी (बंटा) ने बना रखी है।

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