बड़े थाने का सुख रास नही आता थानेदार को?

रामजी के पदचिन्हों पर चलकर राम राज्य लाना चाहते है थानेदार
राष्ट्र चंडिका, सिवनी। मैं जिंदगी का साथ निभाता चलता गया, फिक्र को धुंए में उड़ाता चला गया…ऐसा ही माजरा लखनवाड़ा के थाना प्रभारी का है जो सिद्धांतों की तो बाते करते है मगर उन सिद्धांतों का पालन करना उचित नही मानते हर 25 से 30 मिनट में एक सिगरेट पीना उनकी आदत है और इतना ही नही धुए के छल्ले उड़ाना सामान्य बात है आमतौर पर ऐसा कार्य वे ही लोग करते है जो बेफिक्र होते है।
आमतौर पर बड़े थानों का सुख इन्हें रास नही आता है और वहा से जल्द ही इनका तबादला छोटे थाने में हो जाता है अब आप स्वयं अंदाजा लगा सकते है कि इसके लिए या तो एसपी दोषी है या फिर स्वयं थानेदार नवीन जैन। सूत्रों का कहना है कि लखनवाड़ा थाना छोटा है मगर यहा पर बागरी और कुर्मी समाज में आपसी कलह, संपत्ति के मामले तथा चोरी आदि का ग्राफ किसी बड़े थाने से कम नही है एक तरफ गोपालगंज की सीमा तो दूसरी तरफ जाम तक इस थाने का क्षेत्र है लेकिन आश्चर्य यह है कि इन क्षेत्रों में पुलिस के अपराध पंजीयन रजिस्टर में रामराज्य जैसी स्थिति है ऐसा लगता है जैसे प्रेमचंद की कहानी के पात्र जुम्मन चाचा और अलगुु चौधरी जैसे लोग यहा रहते है जो अपनी पंचायत में ही मामले निपटा लेते है वह थानेदार नवीन जैन को कष्ट नही देना चाहते है।
इस क्षेत्र में लोग न तो चाकू तमंचे रखते है और न ही लड़ते है ऐसे में पुलिस के पास कोई काम नही होता है बस दिन भर 181 शिकायतों का निराकरण करने में अपना समय व्यतीत करते है निश्चित ही इस थाने को देखकर लगता है कि अगर थानों के लखनवाड़ा जैसे हाल रहे तो यहा मोदी के विश्व गुरू भारत को बनने के सपने को साकार करने में ज्यादा समय नही लगेगा।
जब किसी थाने और थानेदार की समीक्षा होती है तो इस बात की भी समीक्षा होनी चाहिए कि क्या लखनवाड़ा के लोग थानेदार से खुश है क्या लोगों को यहा न्याय मिल रहा है क्या चोरी की घटना के बाद पुलिस को आरोपियों को पकडऩे में सफलता मिल रही है अगर नही तो क्या कारण है या पुलिस थाने की उदासीनता तो नही है संपत्ति के मामले में पुलिसवादी की कार्यवाही की समीक्षा सही ढंग से कर रही है या नही, पारिवारिक घरेलु हिंसा के मामले में समीक्षा क्यों नही की जा रही है यातायात के मामलों में इस थाने का रोजनामचा और सडक़ के फुटेज की समीक्षा जैसे बिंदु अभी भी यक्ष प्रश्र बने हुए है। वर्तमान में जिला पुलिस अधीक्षक के प्रयास से सभी थानों में पुलिस की कार्यवाही में पारदर्शिता तो आयी लेकिन अभी भी कुछ खामिया है जिन्हें दूर करने की आवश्यकता है।
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