10 गुना महंगी हैं प्राइवेट पब्लिशर्स की पुस्तकें

भोपाल । हर बार नए सत्र में निजी स्कूलों की मनमानी शुरू हो जाती है। आदेश के बाद भी न तो फीस वसूली पर लगाम लग पाई है और न ही निजी प्रकाशक और स्कूल संचालकों के बीच का तिलस्म टूट पाया है। अभी भी सीबीएसइ स्कूलों की किताबें कुछ चुनिंदा दुकानें पर ही मिल रही हैं। स्कूल संचालक अभिभावकों के मोबाइल फोन पर मैसेज भेजकर उन्हें निश्चित दुकान से किताब खरीदने का दबाव बना रहे हैं। हर निजी स्कूल संचालक ने अपनी स्टेशनरी की दुकानें फिक्स कर रखी हैं। एनसीइआरटी की किताबों के बजाय निजी प्रकाशकों की किताबें चलाई जा रही हैं। जिला प्रशासन ने इस तरह बुक बेचने पर धारा 144 के तहत मामला दर्ज करने के आदेश दिए हैं।

प्राइवेट स्कूल की नर्सरी की किताबों का सेट 2000 रुपए, पांचवीं का पूरा सेट 4 हजार 525 रुपए एवं कक्षा आठवीं की किताबों का सेट 6 से 7 हजार रुपए में आ रहा है। इस तरह किताबों की कीमत कक्षावार बढ़ती जाती है, जबकि एनसीईआरटी की कक्षा आठवीं तक की पुस्तकें बाजार में अधिकतम 500 रुपए की हैं। इन किताबों में केवल प्रिंटिंग क्वालिटी में अंतर होता है। खास बात यह है कि यह सभी किताबें फिक्स दुकानों पर ही मिल रही हैं।

4-5 पब्लिशर्स का कब्जा
राजधानी में चार-पांच बुक हाउस संचालकों ने सीबीएसई स्कूलों की कापी-किताबों पर कब्जा कर रखा है। इन बुक हाउस संचालकों द्वारा स्कूलों से मिलीभगत कर महंगे दामों पर कॉपी-किताब बेचते हैं। राजधानी में एक दर्जन से अधिक पब्लिशर्स की किताबें निजी स्कूलों में ज्यादा चलाई जाती हैं। वहीं कुछ सीबीएसई स्कूल प्री-कक्षाओं में विभिन्न पब्लिशर्स की किताबों से मटेरियल लेकर खुद की किताब प्रिंट करवाते हैं। नितिन सक्सेना, जिला शिक्षा अधिकारी भोपाल का कहना है कि स्कूल अभिभावकों पर निश्चित दुकान से किताबें खरीदने का दबाव नहीं बना सकते। यदि स्कूल निश्चित दुकान से किताबें खरीदने का दबाव बनाते हैं, तो स्कूल प्रबंधन के खिलाफ धारा 144 के तहत कार्यवाही की जाएगी।

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