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उत्तराखंड

BNS लागू होने के बाद जेलों में घटी कैदियों की संख्या, जानें इसके पीछे की मुख्य वजह

देश में भारतीय न्याय संहिता लागू होने के बाद जेलों में कैदियों की संख्या कम होने लगी है. ऐसा इसलिए क्योंकि, भारतीय न्याय संहिता के तहत अगर किसी कैदी ने पहली बार अपराध किया है और विचाराधीन होने के साथ-साथ उसने अपनी अधिकतम संभावित जेल की सजा का एक तिहाई समय जेल में काट लिया है तो उसको जमानत मिल सकती है.

इसके अलावा ऐसे आरोपी जिनको सात साल से कम की सजा हुई है, उनको गिरफ्तार नहीं किया जा सकता. जेलों में कैदियों की संख्या घटने के यही सब कारण हैं. उत्तराखंड के देहरादून जिला जेल सुद्धोवाला में अक्टूबर 2024 में 1212 निरुद्ध बंदी थे. ये सारे विचाराधीन और सजायाफ्ता थे. नया कानून के लागू होने के बाद में जेल में 883 सजायाफ्ता कैदी रह गए हैं.

बैरकों में सीमित संख्या में ही कैदी रखे जा रहे

इससे अब जेल प्रशासन आसानी से सुरक्षा व्यवस्था बना रहा है. वहीं बैरकों में सीमित संख्या में ही कैदी रखे जा रहे हैं. अब जेल में बंद कैदियों की कड़ी निगरानी रखी जा रही है. भारतीय न्याय संहिता लागू होने से पहले जेलों की जितनी क्षमता है, उससे अधिक कैदी रखे जा रहे थे. इससे मारपीट और आपराधिक घटनाएं होने की संभावना अधिक रहती थी.

पुलिस की चुनौतियां भी बढ़ीं

भारतीय न्याय सहिंता के लागू होने के बाद अब जेलों में भीड़ में कमी आ रही है. इससे सरकार का खर्चा भी बच रहा है. जो कैदी अंडर ट्रायल है उन कैदियों के न्याय प्रक्रिया में तेजी आ रही है. भारतीय न्याय सहिंता के लागू होने के बाद पुलिस की चुनौतियां भी बढ़ी हैं.

पहले पुलिस आदतन अपराधियों पर नशा तस्करी और आर्म्स एक्ट के तहत मामले दर्ज कर उनको जेल में डाल देती थी, लेकिन अब इन मामलों में वीडियोग्राफी जरूरी कर दी गई है. ऐसे में पुलिस बिना कराण किसी पर नशा तस्करी और आर्म्स एक्ट के केस दर्ज नहीं कर पा रही है. वहीं सात साल से कम सजा वाले अपराधियों की पुलिस गिरफ्तारी नहीं कर सकती.

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