ब्रेकिंग
यमुना को निर्मल बनाने, नालों की सफाई… दिल्ली जल बोर्ड करोड़ों रुपये की परियोजनाओं पर खुद लेगा निर्णय... जब अधिकारियों ने उठाई नरसिंह भगवान की फोटो… पीछे मिला लाखों का गांजा, जानें रेड की पूरी कहानी मुझे उम्मीद है कि मैं 30-40 साल तक और जीवित रहूंगा… दलाई लामा ने उत्तराधिकारी विवाद पर लगाया विराम ‘आदिवासी महिलाएं टैक्सपेयर बन रहीं…’ केंद्रीय मंत्री जुएल ओराम बोले- ऐसे प्रयासों से विकसित भारत को ... ऑपरेशन सिंदूर से लेकर जनगणना 2027 तक…जानिए कौन हैं सुमिता मिश्रा, जिन्हें सरकार ने दी बड़ी जिम्मेदार... मथुरा छोड़कर चले जाएं… हेमा मालिनी के बयान पर BJP नेता ने कसा तंज, बोले- बाहर के लोग बाहर जाएं क्या पहले ही लिखी जा चुकी थी सिवान ट्रिपल मर्डर की स्क्रिप्ट? आक्रोशित ग्रामीणों ने फूंका आरोपी का घ... कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानदारों को अपनी पहचान नहीं करनी होगी सार्वजनिक, QR कोड में छिपी होगी हर जा... शराब की जगह बोतल में पानी मिलाकर बेचते थे, गाजीपुर में कैसे हुआ फर्जीवाड़ा? दो अरेस्ट किसी कीमत पर छोड़ा न जाए… पटना में बिजनेसमैन की हत्या पर पुलिस से बोले सीएम नीतीश
मध्यप्रदेश

खंडवा में जल गंगा संवर्धन के समापन का भव्य आयोजन, PM मोदी वर्चुअली करेंगे संबोधित

मध्य प्रदेश के खंडवा में आज पानी की हर बूंद को सहेजने के उद्देश्य से चलाए जा रहे जल गंगा संवर्धन अभियान का समापन और वॉटरशेड सम्मेलन किया जा रहा है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 1518 करोड़ की परियोजनाओं का लोकार्पण और भूमि-पूजन करेंगे. कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वर्चुअल शामिल होंगे और संबोधित भी करेंगे.

अभियान में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत 578.08 करोड़ की लागत से 57 हजार 207 के जल संरक्षण के कार्य, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना वॉटरशेड विकास के तहत 63.46 करोड़ रुपये की लागत से 888 जल संरक्षण के कार्य, वॉटरशेड परियोजनाओं के कार्यों के प्रबंधन और अनुश्रवण के लिए वॉटरशेड वर्क मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर का लोकार्पण किया जाएगा.

समारोह में और क्या क्या होगा?

  • मुख्यमंत्री जल संसाधन विभाग की 4 सिंचाई परियोजनाओं क्रमश: भाम राजगढ़ मध्यम सिंचाई परियोजना, बिहार सारोला बैराज, लाजैरा बैराज, हापला दीपला बैराज लघु सिंचाई परियोजना का लोकार्पण करेंगे.
  • इन परियोजनाओं की लागत करीब 312.77 करोड़ रुपये है, जिससे 8557 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होगी. इससे 21 ग्रामों के 7260 किसान लाभांवित होंगे.
  • नर्मदा घाटी विकास विभाग की जावर माईक्रो उद्वहन सिंचाई योजना प्रशासकीय स्वीकृति रुपए 563.72 करोड़ का लोकार्पण भी किया जाएगा. योजना से खण्डवा जिले के 52 ग्रामों के 21,666 किसानों की करीब 26 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित होगी.
  • कार्यक्रम में नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा जल गंगा संवर्धन अभियान में अमृत 2.0 योजना अंतर्गत 50 करोड़ की लागत से जीर्णोद्धार की गई 74 जल संग्रहण संरचनाओं का लोकार्पण किया जाएगा.

90 दिनों तक अभियान

आपको बता दें कि 90 दिनों तक जल गंगा संवर्धन अभियान की शुरुआत मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन से की थी. अब 90 दिन तक चलने वाले इस अभियान का प्रदेश में असर भी दिखाई देने लगा है. प्रदेश में वर्षा जल के संचयन के लिए 90 दिन में 84 हजार 930 खेत-तालाब बनाए गए हैं. प्रदेश में तीन माह तक चलने वाले जल गंगा संवर्धन अभियान के अंतर्गत 20 हजार 955 पुराने कार्य पूरे किए गए.

प्रदेश में 77 हजार 940 खेत तालाब बनाए जाने का लक्ष्य रखा गया. इसमें लक्ष्य से करीब 7 हजार अधिक खेत तालाब बनाए जा रहे हैं. इसमें से कई खेत-तालाबों का निर्माण कार्य भी पूरा हो गया है. इसी तरह से प्रदेश के सभी जिलों में 1 हजार 283 अमृत सरोवर भी बनाए जा रहे हैं, जिनका निर्माण कार्य भी जारी है.

अभियान का दिखने लगा असर

अभियान से सिंचाई और पीने के पानी के लिए बनाए गए अधिकांश कुओं का जलस्तर बढ़ाने, कुओं को जीवन देने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा 1 लाख 3 हजार से अधिक रिचार्ज पिट बनाए जाने का लक्ष्य रखा गया था. वर्तमान में निर्धारित लक्ष्य से अधिक 1, 04, 294 कुओं में रिचार्ज पिट बनाए जा रहे हैं. प्रदेश में पहली बार जल गंगा संवर्धन अभियान में तकनीक के साथ बनाए गए खेत तालाब, कूप रिचार्ज पिट और अमृत सरोवर का सुखद परिणाम भी दिखने लगा है.

मानसून की पहली ही बारिश में खेत तालाबों में पानी भरना शुरू हो गया है. इसके साथ ही कुएं भी रिचार्ज होने लगे हैं. प्रदेश में पहली बार ऐसा हुआ है कि तीन माह में इतनी बड़ी संख्या में खेत तालाब, अमृत सरोवर और कूप रिचार्ज पिट का निर्माण कराया गया है.

प्रदेश में खेत तालाब, अमृत सरोवर और रिचार्ज पिट बनाने में मनरेगा परिषद द्वारा सिपरी और प्लानर सॉफ्टवेयर का उपयोग किया गया है. प्लानर सॉफ्टवेयर के माध्यम से कार्ययोजना तैयार की गई, इसके बाद सिपरी सॉफ्टवेयर की मदद से जगह का चिन्हांकन गया. पानी का बहाव किस तरफ है, इसका वैज्ञानिक पद्धति से पता लगाया गया. इसके बाद निर्माण कार्य शुरू किया गया.

Related Articles

Back to top button