पर्वतों की रानी कही जाने वाली सिलीगुड़ी में 7 साल बाद लोग आसमान से कंचनजंगा पर्वतमाला का दीदार कर रोमांचित हो रहे हैं. आसमान से हिमालय के दीदार की बात आपको थोड़ी अटपटी लग रही होगी लेकिन ये अब हकीकत बन चुकी है. दरअसल, पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में 7 साल बात पैराग्लाइडिंग को शुरू किया गया है.
पिछले एक महीने से पर्यटक पैराग्लाइडिंग की मदद से कंचनजंगा की चोटियों को देख आनंद उठा रहे हैं. सात साल बाद शुरू हुए पैराग्लाइडिंग को लेकर पर्यटकों में काफी उत्साह है. 2017 में गोरखालैंड आंदोलन के बाद इसे बंद कर दिया गया था.
पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में स्थित दार्जलिंग, पर्यटन की दृष्टि से काफी प्रसिद्ध हिल स्टेशन है. यहां 2.5 किलोमीटर तक पैराग्लाइडिंग की अनुमति दी गई है, जो कि सेन्ट पॉल से लेबांग तक संचालित की जा रही है. पैराग्लाइडिंग को लेकर पर्यटकों में काफी उत्साह है, खासकर युवा वर्ग में. पर्यटन विभाग ने दार्जलिंग को पर्यटक स्थल घोषित कर दिया है. इससे यहां आने वालों की संख्या अचानक बढ़ गई है.
रोजगार को मिली नई धार
सिलीगुड़ी में पैराग्लाइडिंग कि शुरुआत 2011 में हुई थी, लेकिन 2017 में इसके बन्द होने से यहां के पर्यटन पर असर पड़ा. उस समय बड़ी संख्या में ये लोगों की कमाई का जरिया बन गया था, लेकिन बंद होने के बाद यहां की होटल इंडस्ट्री, रेस्टोरेंट चेन और ट्रांसपोर्ट के माध्यस से कमाई करने वाले लोगों को बड़ा झटका लगा था. ज्यादातर होटल बंद हो गए और जो बचे भी, उनकी आमदनी में भारी गिरावट हुई. हालांकि, पैराग्लाइडिंग शुरू होने से होटल इंडस्ट्री में तेजी देखने को मिल रही है.
कितना है पैराग्लाइडिंग का किराया?
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पैराग्लाइडिंग को ऑपरेट करने वाले कर्मा शेरपा ने बताया कि अभी उनके पास दो ग्लाइड और दो पायलट हैं, जिससे वे 6 ग्लाइड एक दिन में चलाते हैं. यानी वो एक दिन में 6 बार लोगों पैराग्लाइडिंग करवाते हैं. उन्होंने बताया कि पर ग्लाइड 3500 रुपये का खर्च आता है. इसमें फोटो, वीडियोग्राफी की सुविधा भी पर्यटकों को दी जाती है.
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