राष्ट्र चंडिका न्यूज़,मजूदरी कर घर चलाने वाले आदिवासी परिवार की मजबूरी का फायदा उठाकर शबीना बेगम, अब्दुल कलाम, साहिद मंडल, अता उल्लाह खान, मोहसीन खान और कुछ सिवनी जिले के लोगों के द्वारा षडय़ंत्रपूर्वक आदिवासी महिला की किडनी निकवा दिया गया है।आदिवासी महिला की आगे जिंदगी शबीना बेगम, अब्दुल कलाम, साहिद मंडल, अता उल्लाह खान, मोहसीन खान ने मिलकर बर्बाद कर दिया है। सिवनी जिले में आदिवासी महिला के साथ हुये किडनी कांड का मामला जिस तरह से सामने आया है उससे तो यही लगता है कि आदिवासियों को पूंजीपति अपनी खुराक समझने लगे है। किडनी कांड से पीडि़त आदिवासी परिवार न्याय के लिये इसलिये गुहार लगा रहा है कि हमारे जैसे ओर कोई दूसरा शबीना बेगम, अब्दुल कलाम, साहिद मंडल, अता उल्लाह खान, मोहसीन खान के षडय़ंत्र में फंसकर अपनी किडनी न निकलवा लें। भारत के महामहिम राष्ट्रपति हो, राज्यपाल हो, प्रधानमंत्री हो या मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री हो आदिवासी के मामले में जब भी कार्यक्रमों के दौरान यदि भाषण व संदेश की आवाज सुनाई देती है तो जनजाति समुदाय को लेकर उनके प्रकृति रक्षक से लेकर सामाजिक, सांस्कृतिक, प्रत्येक गतिविधियों को लेकर प्रशंसा की जाती है यहां तक आदिवासियों से सीखने का संदेश भी दिया जाता है। भारत में सर्वाधिक आदिवासियों की संख्या मध्यप्रदेश में है, जनजातियों के विकास, कल्याण के लिये लाखों करोड़ों रूपये का आदिवासी उप योजना के तहत बजट का प्रावधान किया जाता है। इसके बाद भी आदिवासी की धरातल व दुदर्शा कम क्यों नहीं हो पा रही है। सर्वाधिक जनजातियों की जनसंख्या वाला मध्यप्रदेश में भारत का मूलवासी, इस देश का मूल मालिक आदिवासी के साथ भयाभह अत्याचार, शोषण होने की घटनाएं होती है जो थमने का नाम नहीं लेती है। कमल मर्सकोले पीडि़त परिवार की आवाज उठा पायेंगे या चुपचाप रहेंगे आदिवासी बाहुल्य जिला सिवनी में बरघाट विधानसभा क्षेत्र जो कि आदिवासी वर्ग के लिये आरक्षित है। जहां पर भारतीय जनता पार्टी के विधायक कमल मर्सकोले विधायक है। कमल मर्सकोले के विधानसभा क्षेत्र में बीते दिनों आदिवासी युवक को अमानवीयता के साथ प्रताडि़त करने का मामला सामने आया था जिस पर सिवनी पुलिस प्रशासन द्वारा कार्यवाही की गई है लेकिन विधायक कमल मर्सकोले ने खुलकर उक्त घटना को लेकर अपना सार्वजनिक रूप से बयान नहीं दिया है उन्होंने मौन रहना ही मुनासिब समझा इसके पीछे उनकी क्या मजबूरी है ये तो विधायक कमल मर्सकोले ही जानते है। वहीं 25 फरवरी को आदिवासी महिला की किडनी निकालने का मामला सामने आया है जो बेहद गंभीर और आदिवासी समुदाय के लिये चिंतन का विषय है। हम आपको बता दे कि पीडि़त आदिवासी महिला और उनके पति के द्वारा बरघाट विधायक कमल मर्सकोले को उक्त घटना के संबंध में जानकारी देने के लिये जान बचाकर वापस आते समय भोपाल जाकर देने के लिये गये थे। बरघाट विधायक कमल मर्सकोले से फोन पर मिलने के संबंध में चर्चा भी हुई थी परंतु उनकी मुलाकात भोपाल में रहने के बाद भी विधायक कमल मर्सकोले से नहीं हो पाई। अब किडनी निकाल जाने के बाद अपनी जान बचाकर अपने गांव वापस पहुंचे आदिवासी दंपत्ति ने किडनी निकालने वालों पर कानूनी कार्यवाही व उक्त घटना की जांच सहित और कोई इनका शिकार न हो जाये इसके लिये कार्यवाही के लिये पुलिस अधीक्षक सिवनी को आवेदन दिया है। बरघाट विधायक कमल मर्सकोले क्या अपने ही गोंड जनजाति वर्ग की गंभीर मामले को लेकर क्या पीडि़त परिवार की आवाज उठा पायेंगे या चुपचाप रहेंगे। निष्क्रिय सांसद ढाल सिंह बिसेन से कौन करेगा उम्मीद बालाघाट सिवनी संसदीय क्षेत्र में लगभग 7 लाख से अधिक आदिवासी मतदाता है। बालाघाट सिवनी संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व सांसद डॉ ढाल सिंह बिसेन करते है। सिवनी जिले की संसदीय कार्यकाल के दौरान सासंद बनने वालों के संबंध में जनचर्चा के अनुसार अब तक सबसे निष्क्रिय सांसद के रूप में डॉ ढाल सिंह बिसेन का नाम लोगों के द्वारा लिया जाता है। आदिवासियों के लिये डॉ ढाल सिंह बिसेन ने अपने संसदीय कार्यकाल के दौरान कोई विशेष उपलब्धी हासिल नहीं किये है या उनका कोई योगदान नहीं है। धरातल में निष्क्रिय रहने वाले सांसद डॉ ढाल सिंह बिसेन चुनाव के समय नजदीक आते देख सोशल मीडिया में फॉलो करने का आग्रह कर रहे है। बरघाट विधानसभा क्षेत्र से वर्षों तक विधायकी करने वाले डॉ ढाल सिंह बिसेन बरघाट मुख्यायल से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित मगरकठा गांव की आदिवासी पीडि़त महिला की किडनी निकलवाने की वास्तविकता नहीं जुटा पा रहे है। वहीं किडनी ट्रांसप्लांट के लिये क्या अधिनियम बनाया गया है, क्या नियमावली है इस संबंध में इसका सही पालन हो रहा है या नहीं और उनके संसदीय क्षेत्र बरघाट ब्लॉक से आदिवासी महिला की किडनी निकल जाने के मामले में वे आखिर क्यों संज्ञान नहीं ले रहे है