कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार की सुबह अचानक हरियाणा के झज्जर जिले में एक अखाड़े का दौरा किया और बजरंग पुनिया समेत पहलवानों के एक समूह से मुलाकात की। गांधी की पहलवानों से मुलाकात भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) को लेकर जारी विवाद की पृष्ठभूमि में हुई है। कांग्रेस की हरियाणा इकाई के एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता के अनुसार, गांधी तड़के छारा गांव में ‘वीरेंद्र अखाड़ा’ पहुंचे और बाद में उन्होंने पुनिया सहित अन्य पहलवानों से बातचीत की।
राहुल गांधी कई घंटे तक अखाड़े में रूके। गांधी के जाने के बाद पुनिया ने संवाददाताओं से कहा कि कांग्रेस नेता ने अखाड़े में पहलवानों की दिनचर्या देखी और उनसे बातचीत की। यह पूछे जाने पर कि क्या गांधी से बातचीत के दौरान डब्ल्यूएफआई का मुद्दा भी उठा, एक अन्य पहलवान ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस नेता को बताया कि पहलवान काफी मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने गांधी की यात्रा को ‘‘औचक” बताया और कहा कि अखाड़े के पहलवानों को इसके बारे में जानकारी नहीं थी।
पहलवान ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘वह (राहुल) सुबह 6:15 बजे अखाड़ा पहुंचे। उन्होंने हमसे हमारी दिनचर्या के बारे में पूछा, देखा कि हम कैसे व्यायाम करते हैं और उन्होंने भी कुछ व्यायाम किए।” उन्होंने कहा, ‘‘हमें खुशी है कि उन्हें कुश्ती के बारे में काफी ज्ञान है।” उन्होंने कहा कि गांधी ने दूध, बाजरे की रोटी और साग खाया। गांधी को स्थानीय रूप से उगाई गई कुछ सब्जियां दी गईं, जिन्हें वह अपने साथ ले गए।
दो बार की विश्व चैंपियनशिप पदक विजेता विनेश फोगाट ने मंगलवार को अपना खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार प्रधानमंत्री को लौटाने का फैसला किया और कहा कि जब पहलवान न्याय के लिए संघर्ष कर रहे हैं तो ऐसे सम्मान निरर्थक हो गए हैं। फोगाट का यह फैसला ओलंपिक पदक विजेता पुनिया और खिलाड़ी वीरेंद्र सिंह यादव द्वारा अपने पद्म श्री पुरस्कार लौटाने और रियो खेलों की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक द्वारा 21 दिसंबर को डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष के रूप में संजय सिंह के चुने जाने के बाद खेल से संन्यास लेने की घोषणा के कुछ दिनों बाद आया है।
संजय सिंह, बृजभूषण सिंह शरण के करीबी सहयोगी बताए जाते हैं और पहलवान नहीं चाहते थे कि भाजपा सांसद का कोई करीबी डब्ल्यूएफआई में पदाधिकारी बने। खेल मंत्रालय ने नवनिर्वाचित डब्ल्यूएफआई को निलंबित कर दिया है और आईओए को खेल निकाय के मामलों के प्रबंधन के लिए एक तदर्थ समिति गठित करने के लिए कहा था। फोगाट, पुनिया और मलिक ने बृजभूषण पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था।
खिलाड़ियों ने बृजभूषण के खिलाफ इस साल की शुरुआत में जंतर-मंतर पर कई दिनों तक विरोध प्रदर्शन किया था। इस मामले की सुनवाई दिल्ली की एक अदालत में जारी है। मई में, राहुल गांधी ने ट्रक चालकों की समस्याओं को सुनने के लिए दिल्ली से चंडीगढ़ तक एक ट्रक में यात्रा की थी। बता दें कि खिलाड़ियों के साथ इस मुलाकात में राहुल गाँधी उनके साथ कुश्ती के दांव-पेच भी सीखे, जिसकी झलक उन्होंने अपने ऑफिशियल सोशल मीडिया अकाउंट x पर शेयर कर दिखाई है।
इसके साथ ही उन्होंने अपने पोस्ट कर लिखा कि, वर्षों की जीतोड़ मेहनत, धैर्य एवं अप्रतिम अनुशासन के साथ अपने खून और पसीने से मिट्टी को सींच कर एक खिलाड़ी अपने देश के लिए मेडल लाता है। आज झज्जर के छारा गांव में भाई विरेंद्र आर्य के अखाड़े पहुंच कर ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया समेत अन्य पहलवान भाइयों के साथ चर्चा की। सवाल सिर्फ एक है – अपने अखाड़े की लड़ाई छोड़ अगर इन खिलाड़ियों, भारत की बेटियों को अपने हक और न्याय की लड़ाई सड़कों पर लड़नी पड़े तो कौन अपने बच्चों को यह राह चुनने के लिये प्रोत्साहित करेगा? यह किसान परिवार के निश्छल, सीधे एवं सरल लोग हैं, इन्हें तिरंगे की सेवा करने दीजिए। इन्हें पूरे मान और सम्मान के साथ भारत का सर गौरव से ऊंचा करने दीजिए। a
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