उज्जैन। दीपावली के बाद एक बार फिर पुष्य नक्षत्र के रूप में महामुहूर्त आ रहा है। पंचांगीय गणना से 1 व 2 दिसंबर को पुष्य नक्षत्र की साक्षी रहेगी। इन दो दिनों में शुभ मांगलिक कार्यों के लिए सर्वश्रेष्ठ समय रहेगा।
इन दो दिनों में हर प्रकार की खरीदी स्थाई समृद्धि प्रदान करने वाली मानी गई है। ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला ने बताया 27 नक्षत्रों में पुष्य नक्षत्र को राजा की संज्ञा दी गई है। इस नक्षत्र की साक्षी में शुभ मांगलिक कार्य व खरीदी का विशेष महत्व है।
इसलिए दीपावली से पहले पुष्य नक्षत्र आने पर लोग दीपोत्सव के लिए खरीदी करते हैं। इस बार दीपावली के बाद एक बार फिर दो दिन पुष्य नक्षत्र की साक्षी रहेगी।
1 दिसंबर शुक्रवार को शाम 5 बजकर 3 मिनट से पुष्य नक्षत्र की शुरुआत होगी, जो अगले दिन 2 दिसंबर शनिवार को दिवस पर्यंत रहेगा।
शुक्रवार के दिन पुष्य नक्षत्र होने से यह शुक्र पुष्य कहलाएगा। वहीं शनिवार के दिन इसकी मौजूदगी शनिपुष्य के नाम से जानी जाएगी। पुष्य नक्षत्र में सोना खरीदने का विशेष महत्व है। इसके अलावा भूमि, भवन, वाहन, सोने-चांदी के आभूषण तथा सिक्के, इलेक्ट्रानिक्स उत्पाद आदि की खरीदी के लिए भी यह दोनों दिन अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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