आलीराजपुर, आंबुआ। क्षेत्र में खरीफ की फसलों की कटाई पूरी हो चुकी है। हालांकि सफेद सोने के रूप में जानी जाने वाली खरीफ की फसल कपास रबी सीजन तक खेतों में रहती है। इन दिनों खेतों में कपास की फसल खिल रही है। अच्छी पैदावार किसानों के चेहरे की चमक तो बढ़ा रही है, मगर इस साल कम भाव होने से निराशा भी है। आगामी दिनों में भाव बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।
खरीफ फसल के साथ बुवाई
कपास की बुवाई जून-जुलाई माह में खरीफ फसल के साथ की जाती है तथा यह फसल नवंबर-दिसंबर में तैयार होने लगती है। कपास के पौधों पर डोडे जब फूल के आकार में खिलते हैं तो खेत में चारों तरफ सफेदी ही सफेदी दिखाई देती है। कपास की फसल की बिनाई तीन-चार बार तक होती है। प्रथम तथा द्वितीय बिनाई (तुड़ाई) में उच्च किस्म का कपास रहता है। इसके बाद फूल हल्का और छोटा होता जाता है।
बिनाई में जुटे कृषक परिवार
इन दिनों खेतों में कृषक परिवार तथा मजदूर कपास फूल की बिनाई करने में जुटे हैं। बाजार में अभी भाव कम मिल रहे हैं। व्यापारियों के मुताबिक वर्तमान में 6500 रूपये क्विंटल के भाव कपास बिक रहा है। जबकि विगत वर्ष यही कपास 75 से 85 रुपये प्रति किलो तक बिक गया था।
बेचने के लिए घरों में जमा
भाव कम मिलने के कारण कृषक अभी कपास बेचने के बजाय घरों में एकत्र कर रहे हैं, ताकि जब भाव अच्छे मिलें तब इसे बेचे। अभी हाथ खर्च आदि के लिए थोड़ा-थोड़ा कपास (खेरची में) बेचा जा रहा है। कृषकों को उम्मीद है कि आगामी दिनों में भाव बढ़ेंगे।
इनका यह कहना
कपास की फसल की तुड़ाई (बिनाई) प्रारंभ हो गई है। कपास की अच्छी किस्म आ रही है मगर भाव कम मिलने से मायूसी है ।
अमरसिंह डुडवे, कृषक, ग्राम मोटा उमर
बरसात के बाद कपास के फूल नवंबर माह तक खिलने लगते हैं, जिन्हें एकत्र करना प्रारंभ किया जाता है। अभी कपास एकत्र किया जा रहा है। गत वर्ष की तुलना में भाव कम होने से अभी बाजार में नहीं ला रहे हैं।
-नारायण सिंह चौहान, कृषक ग्राम अडवाड़ा
इस सीजन में कपास के भाव पिछले वर्ष की तुलना में कम होने से कृषक अभी कम ही कपास बिक्री के लिए ला रहे हैं। भविष्य में अच्छे भाव की उम्मीद जताई जा रही है।
-शेख मोहम्मद भाई बोहरा, थोक अनाज क्रेता
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