रायपुर। Raipur News छत्तीसगढ़ के 21 बड़े-छोेटे शहरों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का नहीं होना जीवनदायिनी नदियों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। इसकी वजह से नालियों का गंदा पानी बड़े नालों से होते हुए सीधे नदियों में मिल रहा है। एनजीटी की फटकार के बाद भी स्थिति नहीं सुधरी है। नगरीय प्रशासन विभाग ने प्रदेशभर के निकायों से एसटीपी को लेकर रिपोर्ट मांगी थी। निकायों से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर नवा रायपुर से लेकर कांकेर, धमतरी, सिमगा, चांपा, बिलासपुर के मंगला, कोनी में एसटीपी नहीं बनाया जा सका है, जबकि दुर्ग-भिलाई, अंबिकापुर, कोरबा, दंतेवाड़ा में एसटीपी बनने का काम अभी शुरू नहीं हुआ है।
इसकी वजह से हालात यह है कि गंदे पानी को नदियों में मिलने से रोकने के लिए निकायों के पास कारगर तरीका नहीं है। एनजीटी ने जून 2023 महीने में निकायों से एसटीपी के निर्माण को लेकर प्रोग्रेस रिपोर्ट मांगी थी। इस मामले पर एनजीटी पहले भी एसटीपी का निर्माण नहीं होने को लेकर राज्य सरकार की खिंचाई कर चुकी है, जिसके बाद नगरीय प्रशासन विभाग ने आनन-फानन में बाकी शहरों के लिए एसटीपी निर्माण के लिए डीपीआर तैयार करने के निर्देश दिए थे, लेकिन प्रदेश के बड़े शहर माने जाने वाले दुर्ग-भिलाई, अंबिकापुर और कोरबा में अभी भी एसटीपी का निर्माण शुरू नहीं हो पाया है। नगरीय प्रशासन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि निकायों को प्रस्तावित एसटीपी का निर्माण शीघ्र पूरे करने के निर्देश दिए गए हैं।
क्यों जरूरी है एसटीपी
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के जरिए दूषित जल को उपचारित करके स्वच्छ बनाया जा सकता है। इससे नदियों में स्वच्छता बनी रहती है। एसटीपी के नहीं होने से नदियों के जल में प्रदूषण का खतरा बढ़ चुका है। चूंकि शहर की बड़ी आबादी को पीने योग्य पानी नदियों से ही फिल्टर प्लांट के जरिए मिलता है। इसलिए निकायों में एसटीपी का अनिवार्यता की गई है।
केंद्र सरकार ने भी मांगी है रिपोर्ट
केंद्र सरकार ने नदियों की स्वच्छता को लेकर क्लीन गंगा नाम से राष्ट्रीय अभियान की शुरूआत की है, जिसके अंतर्गत एसटीपी सहित अन्य निर्माण कार्यों के लिए बजट भी प्रदान किया जा रहा है। एनजीटी ने 20 सितंबर 2020 को छत्तीसगढ़ को एसटीपी के संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए थे।
खारून को बचाने चार एसटीपी कार्यरत
राजधानी रायपुर की स्थिति पर गौर करें तो शहर की जीवनदायिनी नदी खारून को बचाने के लिए वर्तमान में चार एसटीपी कार्यरत हैं, जिसमें निमोरा, कारा, चंदनीडीह और भाठागांव शामिल हैं। निकायों की रिपोर्ट के मुताबिक एनजीटी के आदेश के बाद जिन शहरों को एसटीपी की सौगात मिल चुकी है, उनमें बिलासपुर के चिल्हाटी, दोमुहानी सहित रायगढ़, राजनांदगांव,जगदलपुर के अलग-अलग क्षेत्र शामिल हैं
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