सावन माह में भगवान भोलेनाथ की विशेष आराधना की जाती है। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान भोलेनाथ ने कई रूप धारण किए हैं, जिसमें उनके सौम्य व रौद्र रूप भी शामिल हैं। देवों के देव महादेव के सभी रूप जनकल्याण और दुष्टों के संहार के लिए हुए थे। शिव महापुराण में भगवान शिव के अनेक अवतारों का उल्लेख मिलता है। ऐसे में सावन माह में भगवान शिव के इन अंशावतार की भी साधना करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है –
काल भैरव
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा और विष्णु में एक बार श्रेष्ठता को लेकर विवाद हो गया था। इस दौरान जब तेज-पुंज की आकृति प्रकट हुई थी तो ब्रह्माजी ने कहा कि “हे, चंद्रशेखर तुम मेरे पुत्र हो, इसलिए मेरी शरणागत हो जाओ।” ब्रह्मा की बात सुनकर भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने काल भैरव को प्रकट किया। भोलेनाथ से शक्ति पाकर काल भैरव ने अपनी अंगुली के नाखून से ब्रह्मदेव के पांचवे सिर को काट दिया। ऐसे में काल भैरव ब्रह्महत्या के दोषी हो गए। धार्मिक मान्यता के मुताबिक, काल भैरव को काशी में ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति मिली। शिव महापुराण में भैरव को भगवान शंकर का ही रूप बताया गया है।
महाबली हनुमान
वीरभद्र
द्रोण पुत्र अश्वत्थामा
महाभारत में उल्लेख किया गया है कि द्रोण पुत्र अश्वत्थामा भी भगवान शिव के अंश हैं। महाभारत युद्ध के दौरान गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा को युद्ध के अंत में सेनापति बनाया गया था। गुरु द्रोणाचार्य ने भगवान भोलेनाथ को पुत्र रूप में पाने की लिए कठिन तप किया था।
डिसक्लेमर
‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.