जांजगीर – चांपा नए शिक्षा सत्र को लगभग एक माह हो गए हैं। 26 जून से स्कूल खुल गए हैं। स्कूलों में शाला प्रवेशोत्सव मनाया जा रहा है। मगर जिले के 51 स्कूल ऐसे हैं जो एकल शिक्षकीय हैं। इन स्कूलों में अभी तक जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग के द्वारा शिक्षकों की पदस्थापना नहीं की जा सकी है। जैसे तैसे शिक्षकों की व्यवस्था कर संचालन किया जा रहा है। जबकि जिला मुख्यालय सहित शहरी और ब्लाक मुख्यालय के स्कूलों में शिक्षकों की संख्या अतिशेष है। वहीं ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है। ऐसे में इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की पढ़ाई भगवान भरोसे है।
नवागढ़ ब्लाक के प्राथमिक शाला कामता में एक भी शिक्षक नहीं है। यहां पूर्व में एक प्रधान पाठक और एक सहायक शिक्षक पदस्थ थे। प्रधान पाठक सेवानिवृत्त हो गए हैं और जो सहायक शिक्षक पदस्थ थे वे पदोन्नत हो गए हैं और उनका स्थानांतरण पामगढ़ ब्लाक के पूर्व माध्यमिक शाला सिल्ली हो गया है। लेकिन पदोन्नत शिक्षक को यह कहकर अभी रिलीव नहीं किया गया है कि जब तक यहां कोई शिक्षक नहीं आ जाते तब तक वे व्यवस्था के तहत यहीं कार्य करें। इस स्कूल में 50 बच्चे अध्ययनरत हैं। इसी तरह नवागढ़ ब्लाक के नवीन प्राथमिक शाला कचंदा में मात्र दो शिक्षक हैं जबकि बच्चों की दर्ज संख्या 100 से ऊपर है। अकलतरा ब्लाक के बुचीहरदी के पूर्व माध्यमिक शाला में 150 से अधिक बच्चे अध्ययनरत हैं। पहले यहां प्रधानपाठक सहित छह शिक्षक पदस्थ थे। पदोन्नति के बाद अब यहां केवल दो शिक्षक ही हैं। जिला मुख्यालय जांजगीर के पूर्व माध्यमिक शाला बोंगापार में बच्चों की दर्ज संख्या 67 है जबकि यहां सात शिक्षक पदस्थ हैं। यहीं हाल प्राथमिक शाला बोंगापार का भी है। इस विद्यालय में भी बच्चों की दर्ज संख्या 75 और यहां भी सात सहायक शिक्षक पदस्थ हैं। ऐसे में जो विद्यालय शिक्षक विहीन हैं या जहां शिक्षकों की कमी है उन स्कूलों में शिक्षकों की व्यवस्था स्कूल खुलने के एक माह पहले कर ली जानी थी, लेकिन स्कूल खुलने के बाद भी शिक्षकों की व्यवस्था नहीं की जा सकी है। 26 जून से स्कूल खुल गए हैं। मगर जिले के 51 स्कूल ऐसे हैं जो एकल शिक्षकीय हैं। इन स्कूलों में अभी तक जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग के द्वारा शिक्षकों की पदस्थापना नहीं की जा सकी है। जबकि दो स्कूल शिक्षक विहीन हैं जहां एक भी शिक्षक नहीं हैं। ऐसे में इन स्कूलों में जैसे तैसे शिक्षकों की व्यवस्था कर संचालन किया जा रहा है।
शहरों में अतिशेष तो ग्रामीणों में कमी
जिला मुख्यालय सहित शहरी और ब्लाक मुख्यालय के आसपास स्कूलों में शिक्षकों की संख्या अतिशेष है। कई स्कूलों में जहां 30 से 40 बच्चे हैं वहां चार से पांच शिक्षक हैं जबकि कई स्कूलों की स्थिति यह है कि जहां इतने ही बच्चे हैं वहां मात्र दो शिक्षक हैं। खासकर ग्रामीण क्षेत्र की स्कूलों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है। ऐसे में इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की पढ़ाई भगवान भरोसे है। यहां बच्चे मध्याह्न भोजन और मस्ती कर लौट जाते हैं।
पामगढ़ में 16 और नवागढ़ में 14 स्कूल शिक्षक विहीन
जिले के पांच ब्लाक में प्राथमिक, माध्यमिक, हाई और हायर सेकंडरी मिलाकर कुल 1346 स्कूल हैं। खस्ताहाल भवनों का जीर्णोद्धार चल रहा है, लेकिन बड़ी संख्या में ऐसे स्कूल हैं जिनमें काम पूरा नहीं हुआ है। विभाग ने इसके वैकल्पिक इंतजाम की तैयारी भी नहीं की है। शासन जिले में आत्मानंद स्कूल खोल रहा है, जबकि स्कूलों में शिक्षकों की कमी बनी हुई है। एकल शिक्षकीय स्कूल व शिक्षकविहीन स्कूलों में पढ़ाई कैसे होगी, इसको लेकर अभिभावक चिंतित हैं। सबसे ज्यादा एकल शिक्षकीय स्कूल पामगढ़ में 16 और नवागढ़ ब्लाक में 14 स्कूल है।
धनेली में 31 विद्यार्थी 5 शिक्षक
नवागढ़ ब्लाक के मिडिल स्कूल धनेली में मात्र 31 विद्यार्थी हैं जबकि यहां शिक्षकों की संख्या 5 है। शहर और आसपास से लगे गांवों में शिक्षकों की संख्या अधिक है जबकि दूर दराज के गांवों में विद्यार्थी अधिक होने के बाद भी वहां शिक्षकों की कमी है।
ब्लाक वार शिक्षक विहीन शालाएं
अकलतरा – 06
बलौदा – 04
नवागढ़ – 14
पामगढ़ – 16
बम्हनीडीह – 07
इनका कहना
सभी ब्लाकों से एकल शिक्षक, शिक्षकविहीन स्कूल और सभी पदों की जानकारी मांगी गई थी। शिक्षकों के रिक्त पदों की पूर्ति के लिए सूची कलेक्टर को भेजी गई है। आदेश के बाद इन स्कूलों में शिक्षकों की पदस्थापना की जाएगी। बीईओ को जिन स्कूलों में शिक्षक अधिक हैं वहां से वैकल्पिक व्यवस्था बनाने के लिए कहा गया है। साथ ही अतिशेष शिक्षकों का परीक्षण कराकर स्कूलों में पदस्थ किए जाएंगे।
एचआर सोम
जिला शिक्षा अधिकारी, जांजगीर
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