राष्ट्र चंडिका, सिवनी। जिला मुख्यालय स्थित कोतवाली सिवनी में वैसे तो सबकुछ ठीक चल रहा है लेकिन बंटा जैसे लोगों को यहां की कार्यप्रणाली रास नही आती और वह अपने स्वभाव के अनुसार यहा पर पहुंचने वाले फरियादियों की रिपोर्ट लिखाने की बजाय उन्हें लौटा देते है जिससे बिना न्याय के ही फरियादी को लौटना पड़ता है।
कहने को सुरेश उर्फ बंटा एक आरक्षक मगर उनके बड़बोलेपन से ऐसा लगता है कि मानों वह कोई बड़े अफसर हो जो अपनी नौकरी बड़ी ईमानदारी से करते हो। सूत्र बताते है कि अक्सर बातों-बातों में वे यहां तक कहते है कि मेरे रहते कई आये और चले गये मेरा कोई कुछ नही बिगाड़ पाया और अब तो हमारे डीईजी से लेकर गृह मंत्री भी हमारा कुछ नही बिगाड़ सकते आश्चर्य होता है कि आखिर कौन सी ऐसी शक्ति है जो बंटा को इतने बड़े-बड़े बोल बच्चन के लिए प्रेरित करती है।
आश्चर्य तो तब होता है कि कोतवाली में अनेक सिपाही हुए जिन्होने विभाग का नाम रोशन किया मगर उन्हें इसके एवज में विभाग ने स्थानांतरण का ईनाम दिया और एक बंटा है जिसके खाते में एक भी उपलब्धि नही है उन्हें बिना काम के कोतवाली में रखा गया है क्या वजह है कि अधिकारी उन्हें कोतवाली से नही हटाना चाहते? क्या इसमें कुछ ऐसा गुण है जिससे विभाग का नाम रोशन हो सके? ऐसे तमाम यक्ष प्रश्र विभाग के लिए चुनौती बन गये है पान चाय की दुकान में खड़े रहकर दिन गुजारने की ड्यिूटी करना क्या उचित है? अगर नही तो फिर इन्हें क्यों दी जा रही है इतनी स्वतंत्रता! क्या पान खाकर या तंबाकू खाकर ऑफिस में बड़ी-बड़ी बातें करना उचित है?
दुख तो तब होता है जब इसी कोतवाली के कर्मचारी लगन मेहनत और कर्मठता के साथ अपने दायित्वों का निर्वाहन करते है और लोगों में पुलिस के प्रति सहानुभूति का भाव रखते है लेकिन सुरेश सोनी उर्फ बंटा जैसे लोग समाज के ऐसे तत्वों को संरक्षण देते है जो कि समाज और क्षेत्र में अशांति पैदा करते है उम्मीद है जिला के मुखिया ऐसे कर्मचारी पर कृपा न कर उन्हें उचित सजा दे उपकृत करेंगे।