राष्ट्र चंडिका, सिवनी। इन दिनों निजी वाहनों पर मप्र शासन व एमपी गर्वमेंट लिखाए जाने का चलन कुछ ज्यादा बढ़ता नजर आ रहा है। मप्र शासन लिखा होने से कोई भी वाहन में सवार व्यक्ति को शासकीय अधिकारी समझ उसके झांसे में आ जाता है। इसके अलावा मप्र शासन का रौब दिखाकर ठगी किए जाने जैसे मामले भी सामने आते हैं। बावजूद इसके परिवहन विभाग या पुलिस सके। का अमला कोई जांच या कार्रवाई नहीं कर रहा है।
वाहन शासकीय कार्यालयों में किराए से लगाए जाते हैं लेकिन अनुबंध अवधि समाप्त होने के बाद कार्यालय से वाहन बंद होने पर वाहन संचालक को अपने वाहन से मप्र शासन लिखा हुआ हटाना चाहिए लेकिन वाहन मालिक ऐसा न कर नियमों की अवहेलना कर रहे हैं। स्थिति यह हैं कि टैक्सी पर चलने वाले कई वाहनों पर मप्र शासन लिखा हुआ हैं। नागरिकों की माने तो आरटीओ विभाग व पुलिस को ऐसे रौब दिखाने वाले वाहनों के दस्तावेज की जांच किया जाना चाहिए, इससे अपराधों पर अंकुश लगाया निजी वाहनों में टोल टैक्स बचाने व अपनी दमदारी दिखाने की मंशा से मप्र शासन लिखा नहीं हटा रहे हैं। इसके अलावा अधिकांश वाहनों में प्रेस लिखा होता है जो किसी भी प्रेस से संबंध नहीं रखते हैं। इन वाहनों में मप्र शासन व प्रेस लिखा होने से बेरियर वाला भी जाने देता है। नगर सहित अंचल में दौड़ रहे कुछ वाहनों जिनमें बाइक व चौपहिया वाहन में डॉक्टर, प्रेस, अधिवक्ता, पुलिस का मोनो व लिखा हुआ होता है जिससे इनका संबंध नहीं रहता है लेकिन इस बारे में यातायात या पुलिस विभाग द्वारा प जांच नहीं किए जाने से ऐसे वाहन बेखौफ दौड़ रहे है।
मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 51/177 के तहत नंबर प्लेट नहीं ल लगाने पर 50 रुपए जुर्माना का स प्रावधान है। इसी तरह नंबर प्लेट से छेड़छाड़ करने पर धारा 77/177 के तहत भी जुर्माने का प्रावधान है।