NGT ने दिल्ली के 536 होटलों की मांगी रिपोर्ट

पहाड़गंज क्षेत्र में होटल संचालकों द्वारा पर्यावरण नियमों का उल्लंघन कर बड़े पैमाने पर भू-जल दोहन किए जाने को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है। अवैध भूजल से जुड़े आवेदन पर मामले को देखने के लिए एनजीटी ने एक संयुक्त समिति गठित की।

न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल व न्यायिक सदस्य सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल और अफरोज अहमद की पीठ ने मामले को देखने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) व दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) को नोडल एजेंसी के तौर पर समन्वय करके दो सप्ताह में मामले पर एक बैठक करने का निर्देश दिया। एनजीटी ने साथ ही मामले में दो महीने के अंदर तथ्यात्मक व कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने का समिति को निर्देश दिया।

एनजीटी ने कहा कि अप्रैल 2021 में ट्रिब्यूनल द्वारा पारित पहले के आदेश को लागू कराने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए समिति भूजल निकासी की वैधता की स्थिति के मामले पर गौर करे और इस तरह की भूजल निकासी के लिए मानदंडों का अनुपालन व संबंधित इलाके में भूजल उपलब्धता को देखे। इस समिति में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) के साथ ही सीपीसीबी, डीपीसीसी व नई दिल्ली जिला मजिस्ट्रेट होंगे।

आवेदनकर्ता वरुण ने एनजीटी में आवेदन दाखिल करके पहाड़गंज इलाके में पानी की अवैध निकासी पर रोक लगाने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि पहाड़गंज क्षेत्र में चलने वाले 536 होटलों में पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करके किया जा रहा है। आवेदन पर एनजीटी ने कहा कि एमसी मेहता बनाम केंद्र सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि भूजल की अनुमति को विनियमित करने की जरूरत है।

नोटिस जारी करने के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई

एनजीटी ने पाया कि चार अगस्त 2021 को संबंधी एसडीएम व डीपीसीसी ने 536 होटलों व ऐसे अन्य प्रतिष्ठनों द्वारा अवैध तरीके से भूजल दोहन करने के मामले पर कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इस पर महज 206 होटलों ने जवाब दिया था और 330 को बंद करने का आदेश भी पारित हुआ।

इन सबके बाजवूद नोटिस वापस ले लिए गए थे और पर्यावनण नियमों का उल्लंघन करने पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। एनजीटी ने यह भी कहा कि इस संबंध में 23 अप्रैल 2022 को अखबारों में रिपोर्ट भी प्रकाशित हुई, लेकिन साफ तौर पर किए जा रहे उल्लंघन को जारी रहने दिया गया। ऐसे में इस पर कार्रवाई की आवश्यकता है।

 

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