राजनैतिक संरक्षण के कारण नही होती कार्यवाही, अधिकांश मामले हो जाते है नीचे ही रफा दफा
राष्ट्रचंडिका, सिवनी। नगरीय क्षेत्र में पुलिस अमले ने पुराने महकमें में जिस तरह कमान संभाली थी उसके चलते अपराधी भी अपराध करने से भय खाते थे लेकिन इन दिनों कप्तान ने महकमें पर लगाम तो कसी है मगर वटलर भाई है कि वह अधिकारियों के आदेश का मजाक उड़ा रहे है और अपने आपको सुपर मैन मानते हुए मनमानी करते है आज स्थिति यह है कि दैनिक जीवन में होने वाले अपराधों में जुआ सट्टा जैसे मामलों में इन्होने ऐसा जाल बिछा रखा है कि यह सब धंधे फल फूल रहे है आज हालात यह है कि वटलर से इन धंधों में लिप्त होने की बात सूत्रों द्वारा की जा रही है लोगों को विश्वास है कि पुलिस महकमा जमीनी लोगों के दुख दर्द में शामिल होगा लेकिन बिगड़ती युवा पीढ़ी के लिए कौन जिम्मेदार है? जो सट्टा जुआ में संलग्र होकर अपना भविष्य खराब कर रहे है।
एक खराब मछली सारे तालाब के पानी को खराब कर देती है यह मुहावरा हम बचपन से सुनते चले आ रहे है लेकिन यह कहावत लोग देश की रक्षा करने वाले सिपाही के लिए कही जाये तो दुख होता है नगर में पुलिस के ही एक सिपाही सुरेश सोनी (बंटा) की कहानी भी कुछ ऐसी है जो किसी मामले की जांच के लिए जाते है और जांच करने के दौरान अपराधी की तरह मारपीट करते है और मारपीट भी ऐसी कि लहुलोहान होते तक पिटाई करते है और सबूत के नाम पर खोदा पहाड़ निकली चुहिया की कहावत चरितार्थ होती है सूत्र बताते है कि गत दिवस यह पुलिसकर्मी किसी के यहां कार्यवाही करने पहुंचे थे मगर सबूत न मिलने पर उस व्यक्ति की बुरी तरह पिटाई भी कर दी।
जुआ सट्टा खिलाने वालों के खिलाफ मुहिम के नाम पर सुरेश सोनी (बंटा) पहुंचता है और सिंघम की तरह रौब जमाकर यह दिखाना चाहता है कि पुलिस विभाग में मात्र वह ही ईमानदार और वफादार कर्मचारी है जो विभाग के नियमों का अक्षरत पालन करता है देखा सुना यहा तक जाता है कि ऐसे पुलिसकर्मियों के ऐसे समाज के बदनुमा लोगों से महीना बंदी तक बंधी रहती है और यह काम किसी स्टाम्प या पेपर में न होकर मौखिक हुआ करता है सुरेश सोनी जैसे लोग विभाग और समाज के लिए बदनुमा दाग और नासूर कहे तो अतिश्योक्ति नही होगी जिस विभाग के कर्मचारियों पर समाज को गर्व होता है वही विभाग के कर्मचारियों के कार्यो पर सवाल खड़ा हो तो फिर समाज की विभाग के प्रति निराशा जायज है आये दिन किसी के साथ मारपीट करना और अपने पद की धौंस जमाना सामान्य सी बात हो गई है।
सूत्रों का कहना है कि जुआ फड की खबर मिलते ही पुलिस तत्काल मौके पर तो पहुंच जाती है लेकिन बाद में यह पता चलता है कि कार्यवाही के दौरान स्पॉट पर ही सारा मामला रफा दफा कर नाम मात्र की जप्ती बनाई जाती है अपराधी स्वयं अनेकों बार इस बात की गुप्त रूप से पुष्टि करते है कि जप्त राशि का 75 से 80 प्रतिशत की राशि कार्यवाही के दौरान उपस्थित लोगों में बट जाता है क्योंकि मामला पुलिस का होने से कोई भी व्यक्ति इन पुलिस कर्मियों के खिलाफ आज भी बोलने से कतराता है।
वैसे तो अधिकांश कर्मी जनसामान्य के बीच अपने व्यवहार के कारण अलग स्थान बनाये हुए है लेकिन वटलर के कारण विभाग की छवि धूमिल हो रही है सारे नगर में किसी को भी चमकाते और फिर पुलिसिया अंदाज में बात करने का आशय को कोई भी समझ सकता है फिल्मी पुलिस अंदाज में रौब जमाना तथा कार्यवाही की धमकी देना सामान्य सी बात है इन कर्मी के कारण सामान्य लोग भी परेशान लगातार बढ़ते अपराधों को कम करने के स्थान पर ऐसे लोग ग्राफ बढ़ा रहे है जिन्हें नगरीय क्षेत्र से हटाना जनहित होगा।
सूत्रों का कहना है कि सुरेश सोनी बंटा जैसे पुलिसकर्मी पर राजनैतिक संरक्षण के चलते कोई कार्यवाही नही करना चाहता ऐसी स्थिति में वटलर का रूबाब बना हुआ है अधिकांश मामले तो कप्तान तक पहुंच ही नही पाते और नीचे स्तर पर ही लेदेकर रफा दफा हो जाता है जो विभाग के लिए किसी चर्मरोग से कम नही है जो बाद में नासूर बन जाये बेहतर होगा प्रशासन इस मामले में तत्काल कार्यवाही करे और इन पुलिसकर्मियों के खिलाफ बड़ी कार्यवाही करे।