भोपाल। प्रदेश के नर्सिंग कालेजों में हुई गड़बड़ियों की जांच सीबीआइ ने शुरू कर दी है। 2017 के बाद जिन कालेजों को नर्सिंग काउंसिल ने मान्यता दी थी, उन सभी की जांच की जाएगी। साथ ही नर्सिंग काउंसिल और मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय ने मान्यता देने और पर्यवेक्षण में जो गड़बड़ी की है, उसकी भी जांच होगी। इस सिलसिले में सीबीआइ की टीम अलग-अलग जगह जाकर दस्तावेज जब्त कर रही है। टीम शनिवार को ग्वालियर गई थी। मंगलवार को विदिशा के कुछ नर्सिंग कालेजों से दस्तावेज लेने के साथ ही पूछताछ की गई है। सुप्रीम कोर्ट से स्थगन मिलने के चलते 35 नर्सिंग कालेजों को फिलहाल जांच से बाहर रखा गया है। बता दें कि करीब तीन माह पहले ग्वालियर हाईकोर्ट ने सीबीआइ को जांच सौंपी थी, पर कालेजों के सुप्रीम कोर्ट चले जाने की वजह से जांच शुरू नहीं हो पाई थी। इसके बाद सीबीआइ ने विधिक राय लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने वाले कालेजों को छोड़कर बाकी जांच शुरू की है।
जरूरी दस्तावेज मिल पाना मुश्किल
सीबीआइ को जांच के लिए जरूरी दस्तावेज मिल पाना मुश्किल है। इसकी वजह यह कि 2018 के बाद जिन कालेजों की मान्यता नर्सिंग काउंसिल ने दी थी, उनके रिकार्ड के नाम पर सिर्फ कालेज भवन का फोटो और नगर निगम की अनुमतियां ही ली गई थीं। दरअसल, 2018 के पहले तक नर्सिंग कालेज खोलने के लिए डिजायरिबलिटी एवं फिजिबिलिटी प्रमाण पत्र चिकित्सा शिक्षा संचालनालय की तरफ से जारी किया जाता था। यह प्रमाण पत्र स्थल का निरीक्षण, शिक्षकों का भौतिक सत्यापन, पुस्तकालय आदि देखने के बाद दिया जाता था। 2018 के बाद से इस प्रमाण पत्र की बाध्यता खत्म कर दी गई। इस कारण जमकर मनमानी हुई।
इस तरह की गई गड़बड़ी
– नर्सिंग काउंसिल द्वारा कालेज भवन और पर्याप्त संसाधन नहीं होने पर भी मान्यता दी गई।
– कालेजों का नियमित निरीक्षण नहीं कराया गया।
– एक ही शिक्षक (फैकल्टी) का नाम कई कालेजों में दर्ज था।
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.