आदिवासी समुदाय के जीवनस्तर में आया बदलाव, मोदी सरकार ने 3 गुना बढ़ाया बजट; अब जल, बिजली और शिक्षा में सुधार

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार समाज के हर तबके के विकास के लिए लगातार काम रही है. पिछले 11 सालों में केंद्र की ओर से चलाए जा रहे कल्याणकारी योजनाओं की वजह से आदिवासी और जनजातीय समाज के लोगों के जीवनस्तर में खासा सुधार आया है. केंद्रीय बजट 2025-26 ने जनजातीय मामलों के मंत्रालय के लिए पर्याप्त राशि जारी की गई और जनजातीय विकास के लिए बजट में 3 गुना इजाफा किया गया.
भारत में 10.45 करोड़ से अधिक आदिवासी लोग रहते हैं जो कुल आबादी का करीब 8.6 फीसदी है. आदिवासी समुदाय के लोग देश के सभ्यतागत ताने-बाने का अटूट हिस्सा रहे हैं. उन्होंने न सिर्फ समृद्ध परंपराओं, भाषाओं और ज्ञान प्रणालियों को संरक्षित किया बल्कि देश की सांस्कृतिक पहचान को आकार भी दिया.
हालांकि समृद्ध विरासत के बावजूद, आदिवासी समुदायों को मुख्यधारा के विकास की कहानी से बाहर रखा गया लेकिन अब पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई में इस मामले में खासी प्रगति हुई है. केंद्रीय बजट 2025-26 ने जनजातीय मामलों के मंत्रालय के लिए धन में बड़े स्तर पर वृद्धि की. इसी तरह अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के मामले में भी वित्तीय आवंटन बढ़ाया गया है. अब जनजातीय मामलों के मंत्रालय का वार्षिक बजट 3 ज्यादा हो गया है, मोदी सरकार पहले जहां 2013-14 में 4,295.94 करोड़ रुपये का बजट था वो 2025-26 में बढ़कर 14,926 करोड़ रुपये हो गया है.
पीएम-जनमन के लिए 24,104 करोड़ रुपये
मोदी सरकार की ओर से आदिवासी समुदायों के समग्र विकास के लिए पर्याप्त राशि जारी की गई है, जिसमें पीएम-जनमन के लिए 24,104 करोड़ रुपये और धरती आबा अभियान (2 अक्टूबर, 2024 में शुरू) के लिए 79,156 करोड़ रुपये शामिल है. इसका मकसद जमीनी स्तर पर विकास का व्यापक मॉडल पेश करता है.
इसके अलावा अनुसूचित जनजातियों के लिए विकास कार्य योजना (DAPST) में 2013-14 में जहां 24,598 करोड़ रुपये दिए गए थे वो अब 5 गुना बढ़कर 2024-25 में 1.23 लाख करोड़ रुपये हो गया. इसमें 42 केंद्रीय मंत्रालय और विभाग अब एसटी-केंद्रित पहलों में योगदान दे रहे हैं. यह आदिवासी समुदायों में शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे और आजीविका में व्यापक और निरंतर प्रगति सुनिश्चित करता है.
आदिवासी भूमि और आजीविका को सुरक्षित करना
वन अधिकार अधिनियम (FRA) आदिवासी और वन-निवासी समुदायों को वन भूमि और संशाधनों पर उनके निजी और सामुदायिक अधिकारों को कानूनी रूप से मान्यता देकर सशक्त बनाता है. पिछले 11 सालों में सरकार ने 17 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश में एफआरए सेल, क्षमता निर्माण और जागरूकता अभियान के जरिए इसका कार्यान्वयन किया है. साथ ही धरती आबा अभियान के तहत, इस समुदाय के लोगों की फंडिंग आजीविका विकास और दावे के बाद सहायता करती है.
मोदी सरकार ने इस समुदाय के बेहतर भविष्य के लिए प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम-जनमन) शुरू किया जो महज एक योजना न होकर- कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के लिए न्याय, सम्मान और उत्थान का एक शक्तिशाली मिशन है. यह पहल 18 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश में 75 पीवीटीजी समुदायों के जीवन में परिवर्तन ला रही है, साथ ही देश के सबसे दूरदराज के इलाकों तक पहुंच भी रही है.
आंगनवाड़ी केंद्र और हॉस्टल के साथ-साथ बिजली भी
पीएम-जनमन योजना तीन साल की अवधि में 24,104 करोड़ रुपये के बड़े निवेश के साथ, इस समुदाय के लोगों की बुनियादी सुविधाओं (आवास, पानी, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, पोषण, सड़क और स्थायी आजीविका) तक लोगों की पहुंच सुनिश्चित करके दशकों की उपेक्षा को दूर कर रहा है. इसके तहत 1,04,688 मकान बनाए गए. 7,202 गांव में पाइप के जरिए पानी पहुंचाया गया. इन इलाकों में 1,069 आंगनवाड़ी केंद्र खोले गए. इस इलाकों में 500 हॉस्टल बनाए जाने हैं जिसमें 95 हॉस्टल में काम शुरू किया गया है. साथ ही 1,05,760 घरों तक बिजली पहुंचा दी गई है.
अंत्योदय के जरिए लोगों तक स्वच्छ पेयजल की पहुंच, बेहतर स्वास्थ्य सेवा, बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा, बिजली और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत, सड़क संपर्क, डिजिटल नेटवर्क और आजीविका के बेहतर अवसर मुहैया कराना है. इसके अलावा प्रधानमंत्री जनजातीय विकास मिशन (पीएमजेवीएम) के जरिए आदिवासी समाज के लोगों आजीविका को भी बढ़ाने की कोशिश की गई है.
ईएमआरएस के जरिए आदिवासी छात्रों को बढ़िया शिक्षा
सरकार ने जनजातीय समुदायों के अमूल्य योगदान का सम्मान देने के लिए हर साल 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा की याद में जनजातीय गौरव दिवस मनाने का फैसला किया है. एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) के जरिए आदिवासी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जा रही है. ईएमआरएस उन हर आदिवासी ब्लॉक में बनाए गए हैं, जहां 50% से ज्यादा ST आबादी है और कम से कम 20,000 आदिवासी निवासी रहते हों. मंत्रालय ने देश भर में करीब 3.5 लाख ST छात्रों को लाभान्वित करने के लिए 728 ईएमआरएस बनाने का लक्ष्य रखा है.
मोदी सरकार की अगुवाई में पिछले 11 सालों में, जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने आदिवासी छात्रों को सशक्त बनाने के लिए अपने स्कॉलरशिर सिस्टम को मजबूत किया है. आज, 5 केंद्रीय स्कॉलरशिप स्कीम के जरिए हर साल करीब 30 लाख आदिवासी छात्र लाभान्वित होते हैं. 2013-14 में जहां इनका 978 करोड़ रुपये था वो अब बढ़कर 2024-25 में 3,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया. पिछले दशक में 22,000 करोड़ रुपये से अधिक की स्कॉलरशिप दिए गए हैं. इस योजना से आईआईटी, आईआईएम और एम्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में 7,000 छात्र लाभान्वित हुए हैं.
हाशिये से मुख्यधारा में शामिल हुआ आदिवासी समुदाय
सरकार ने आदिवासी आबादी के बीच हेल्थ से जुड़ी समस्याओं को दूर करने को लेकर 2023 में सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन शुरू किया. इसका मकसद 2047 तक सिकल सेल एनीमिया (एससीए) को खत्म करना है और आदिवासी बहुल क्षेत्रों में 0-40 साल की आयु के 7 करोड़ व्यक्तियों की जांच करना है.
आदिवासी समुदायों को लगातार मान्यता भी दी जा रही है. पिछले एक दशक में (2014 और 2024 के बीच) 117 समुदायों को अनुसूचित जनजातियों की लिस्ट में शामिल किया गया है, जबकि एक दशक पहले यह संख्या महज 12 थी. इस तरह इस मामले में 10 गुना की वृद्धि हुई.
मोदी सरकार के पिछले 11 सालों में हर क्षेत्र में लगातार कल्याणकारी योजनाओं की मदद से आदिवासी समुदाय हाशिये से लौटकर मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं. अब ये देश की विकास यात्रा के केंद्र बन गए हैं. पीएम-जनमन, धरती आबा अभियान और वन धन योजना जैसी केंद्रीय योजनाओं ने यह तय किया है कि आदिवासी नागरिकों को समान अधिकार, अवसर और सम्मान मिले. यह परिवर्तन कल्याण ही नहीं बल्कि न्याय, सशक्तिकरण और समावेशन पर भी आधारित है. आदिवासी समाज के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका और संस्कृति में निवेश के साथ ही अपना भविष्य खुद बना रहे हैं.