प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मंत्री पद की शपथ लेने के बाद जिन बातों को प्राथमिकता में शामिल किया था रेत माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्यवाही करना भी उन्हीं प्राथमिकताओं में से एक था। रेत माफियाओं पर कार्यवाही करने की मुख्यमंत्री की बात को सिंगरौली पुलिस ने कितनी गंभीरता से लिया है यह जानना है तो शाम होने के बाद जियावन थाना क्षेत्र में निकल जाइए । यहां चोरी की रेत लेकर दौड़ते ट्रैक्टर आपसे सच्चाई बयां कर देंगे।
थाने से 2 किलोमीटर की दूरी पर चलता है काला कारोबार
रेत के अवैध कारोबार में संलिप्त माफिया पुलिस को चुनौती देते हुए धड़ल्ले से अपना कार्य करते हैं, जियावन थाना क्षेत्र में जिन पॉइंट्स पर रेत की चोरी की जाती है। उनकी दूरी थाने से महज 2 से 4 किलोमीटर ही है। देवसर के बसहा,सहुआर, चकुआर, मजौना, छीवा और सरपतही के नदियों से रेत की चोरी का खेल रात 10 बजे तक शुरू होकर सुबह तक चलता है। माफिया रात भर रेत चुराकर उसका भण्डारण करते हैं फिर अगले दिन चोरी की रेत को ठिकाने लगाते हैं।
जियावन थाना के बाहर रात भर रेत माफिया पुलिस पर नजर रखते हैं। जैसे ही पुलिस की गाड़ी निकलती है माफियाओं का सूचना तंत्र सक्रिय हो जाता है। माफिया पुलिस के पहुंचने से पहले ही सतर्क हो जाते हैं। पुलिस के वापस आते ही फिर ट्रैक्टर स्टार्ट हो जाते हैं और रात भर माफिया रेत चोरी करते हैं।
क्या माफियाओं को पुलिस का संरक्षण
कुछ स्थानीय लोगों की माने तो इन माफियाओं को पुलिस का संरक्षण प्राप्त होने की बात सामने आती है शायद यही वजह है कि जियावन पुलिस को रेत चोरी पर कार्यवाही करने की बात बेगारी लगती है। माफियाओं पर जियावन पुलिस की इस मेहरबानी का कारण क्या हो सकता है? इसका पता तो पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ही लगाएंगे लेकिन जियावन पुलिस का यह रवैया पूरे प्रदेश में सिंगरौली पुलिस की किरकिरी करवा रहा है।
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