मध्य प्रदेश में पांच सीट ऐसी जहां कांग्रेस ने हर बार बदले उम्मीदवार, फिर भी नहीं मिली जीत

भोपाल। लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने प्रतिद्वंद्वी भाजपा को पछाड़ने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। जातिगत और क्षेत्रीय समीकरण साधते हुए नए उम्मीदवारों पर दांव लगाया, लेकिन सफलता नहीं मिली। भोपाल, भिंड, खरगोन, बालाघाट और सागर में तो पिछले पांच लोकसभा चुनावों (2024 को मिलाकर) में कांग्रेस ने हर बार उम्मीदवार बदल दिए कि शायद इससे मतदाताओं का मन भी बदल जाए, पर दाल नहीं गली।

इनमें खरगोन सीट को छोड़ दें तो बाकी चारों में कांग्रेस हर बार बड़े मतों के अंतर से हारी। खरगोन में 2007 के उप चुनाव और 2009 के आम चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अरुण यादव की जीत हुई थी। टीकमगढ़, धार और दमोह लोकसभा सीटों में कांग्रेस चार बार से प्रत्याशी बदल रही है। पिछले तीन चुनावों तो उसे सफलता नहीं मिली। अब देखना होगा कि प्रत्याशी बदलने का इस चुनाव में कांग्रेस को कितना लाभ मिलता है।

मंडला लोकसभा सीट पर भी कांग्रेस ने पांच लोकसभा चुनाव में चार बार उम्मीदवार बदले हैं। ओमकार सिंह मरकाम इस चुनाव के पहले 2014 में यहां से चुनाव लड़े थे। इस सीट पर 2009 में कांग्रेस के बसोरी सिंह मसराम भाजपा के फग्गन सिंह कुलस्ते से जीत गए थे। बाकी 2014 और 2019 में कुलस्ते यहां से जीते।

भाजपा की बात करें तो भोपाल ऐसी सीट है जहां पार्टी मतों के बड़े अंतर से जीतने के बाद भी पिछले तीन चुनाव से हर बार उम्मीदवार बदल दे रही है। 2014 में आलोक संजर, 2019 में प्रज्ञा सिंह ठाकुर और इस बार आलोक शर्मा भाजपा से मैदान में हैं।

 

इसके अतिरिक्त ग्वालियर लोकसभा सीट पर भाजपा लगातार प्रत्याशी बदल रही है, यहां से 2004 में जयभान सिंह पवैया, इसके बाद 2007 के उप चुनाव और 2009 के आम चुनाव में यशोधरा राजे सिंधिया, 2014 में नरेंद्र सिंह तोमर, 2019 में विवेक शेजवलकर और इस बार भारत सिंह कुशवाह को उम्मीदवार बनाया गया। इसमें 2004 को छोड़ दें तो बाकी चुनावों में भाजपा की जीत हुई थी।

 

बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 28 और कांग्रेस को एक, 2014 में भाजपा को 27 और कांग्रेस को दो और 2009 में भाजपा 16, कांग्रेस 12 और बसपा एक सीट पर जीती थी। इस बार कांग्रेस ने न सिर्फ उम्मीदवार बदले हैं बल्कि नए और युवाओं को मौका दिया है। पहले भाजपा ने उम्मीदवार घोषित किए फिर कांग्रेस ने। ऐसे में कांग्रेस ने जातिगत समीकरण को देखते हुए भी उम्मीदवार उतारे हैँ।

 

जहां लगातार चार बार से कांग्रेस ने बदले प्रत्याशी

 

धार, टीकमगढ़ और दमोह

 

जहां लगातार तीन बार से कांग्रेस ने बदले प्रत्याशी
सतना, रीवा, सीधी, शहडोल और होशंगाबाद।

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