बाबा खाटू श्याम जी को भक्त क्यों चढ़ाते हैं निशान? जानिए क्या है इसके पीछे की मान्यता

हारे का सहारा कहलाने वाले खाटू श्याम बाबा के भक्त पूरी दुनिया में हैं. ये मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है, जहां दर्शन के लिए रोजाना भक्तों की लंबी-लंबी लाइन लगी रहती हैं. कुछ भक्त बाबा के दर्शन के वक्त गुलाब का फूल चढ़ाते हैं, तो कई श्रद्धालु बाबा खाटू श्याम को एक खास झंडा चढ़ाते हैं जिसे निशान कहा जाता है. इस ध्वज को भक्त मन्नत मांगने के दौरान या मन्नत पूरी होने के बाद अर्पित करते हैं.

हिंदू धर्म में इस झंडे को जीत का प्रतीक कहा जाता है. यह झंडा या निशान श्याम बाबा के दान और बलिदान का प्रतीक माना जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, खाटू श्याम जी महाभारत काल में वे भीम के पोते और घटोत्कच्छ के बेटे बर्बरीक थे. उन्होंने धर्म की जीत के लिए अपना बलिदान दिया था और अपना सिर भगवान श्रीकृष्ण के सामने समर्पित कर दिया था. आइए जानते हैं आखिर क्यों खाटू श्याम बाबा पर ध्वज या निशान चढ़ाया जाता है..

हारे का सहारा, भगवान कृष्ण के कलयुगी अवतार, लखदातार, शीश के दानी कहे जाने वाले बाबा खाटू श्यामजी के भक्त उनके दर्शन करने के लिए भारी संख्या में उमड़ते हैं. बाबा खाटू श्याम जी का जन्मदिन हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी को मनाया जाता है. इस साल 2024 में बाबा श्याम का जन्मदिन 20 मार्च को मनाया जाएगा.

कैसा होता है निशान?

बाबा खाटू श्याम को चढ़ाया जाने वाला झंडा लाल, केसरिया और नारंगी रंग का होता है. इस ध्वज पर भगवान श्रीकृष्ण और बाबा श्याम की तस्वीर और मंत्र छपे होते हैं. धार्मिक मान्यता है कि जो भक्त बाबा खाटू श्याम पर ये झंडा चढ़ाता है , तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.

इस यात्रा को क्या कहते हैं?

बाबा के इस निशान को मंदिर तक ले जाने की एक यात्रा होती है जिसे पद यात्रा कहा जाता है. इस यात्रा में भक्त नंगे पैर चलकर मंदिर में निशान चढ़ाते हैं. इस निशान यात्रा को श्री श्याम ध्वज का निशान यात्रा भी कहते हैं. ये यात्रा मुख्य रूप से 18 किमी. की होती है जो रींगस से लेकर खाटू श्याम मंदिर तक जाती है.

कब से शुरू हुई निशान चढ़ाने की परंपरा?

खाटू श्याम बाबा को निशान चढ़ाने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है. बहुत से भक्त जब मन्नत मांगने बाबा खाटू श्यामजी के मंदिर जाते हैं तो बाबा के दरबार में माथा टेक मन्नत मांगते हैं उनसे प्राथना करते हैं कि अगर उनकी मांगी गई मन्नत पूरी हो गई, तो वे दरबार में निशान चढ़ाने के लिए वापस खाटू नगरी आएंगे. हालांकि कई ऐसे भक्त भी हैं जो मन्नत पूरी होने से पहले भी बाबा के दरबार पर निशान चढ़ाते हैं.

इसलिए चढ़ाते हैं निशान

भक्तों द्वारा चढ़ाए गए कुछ निशानों पर नारियल और मोर पंख भी अंकित होता है. ऐसी मान्यता है कि इस निशान को चढ़ाने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सब कुछ कुशल मंगल रहता है. खाटू श्याम पर ध्वज चढ़ाने से पहले उनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. आजकल भक्त अपनी भक्ति दिखाने के लिए सोने-चांदी के बने निशान भी चढ़ाते हैं. निशान यात्रा में नंगे पैर चलकर भगवान के मंदिर तक पहुंचकर निशान चढ़ाना बेहद उत्तम माना जाता है.

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