इंदौर। देवास के रहने वाले देवांश जोशी के निधन के बाद उनके स्वजनों ने बेटे के अंगदान कर दो जिंदगियों को नया जीवन दिया। गौरतलब है कि देवांश अपने दोस्तों के साथ अयोध्या राम मंदिर दर्शन के लिए निकला था, लेकिन राह में उसकी असामयिक मौत के बाद स्वजनों ने उसके लिवर व किडनी को दान करने का निर्णय लिया। शुक्रवार दोपहर 12.36 बजे इंदौर में ग्रीन कारिडोर बनाकर देवांश के लिवर को चोइथराम अस्पताल भेजा गया और बाम्बे हास्पिटल में किडनी अन्य मरीज को प्रत्यारोपित की गई। तीन दिन में शुक्रवार को शहर में दूसरा ग्रीन कारिडोर बना।
गौरतलब है कि 21 वर्षीय देवांश पिता चंद्रमणि जोशी इंदौर के एसजीएसआइटीएस में इंजीनियरिंग कोर्स के द्वितीय वर्ष का छात्र था। वह अपने 11 दोस्तों के साथ 27 फरवरी को देवास से अयोध्या स्थित राम मंदिर दर्शन के लिए पैदल यात्रा पर निकला था। 28 फरवरी की रात सांची (भोपाल के समीप) के आगे अज्ञात वाहन ने देवांश को टक्कर मार दी। इसके बाद दोस्त उसे भोपाल के निजी अस्पताल लेकर गए। वहां से इलाज के लिए इंदौर के बांबे अस्पताल लेकर आए।
इंदौर के बांबे अस्पताल में चार सदस्यीय चिकित्सक दल ने देवांश का पहला ब्रेन डेथ सर्टिफिकेशन 29 फरवरी की रात 1.35 और दूसरा डेथ सर्टिफिकेट सुबह 7.25 बजे जारी किया। मुस्कान ग्रुप पारमार्थिक ट्रस्ट के जीतू बगानी ने बताया कि ट्रस्ट के संदीपन आर्य के साथ परिजनों से अंगदान के लिए कहा गया। जिस पर मृतक देवांश की माता रश्मि जोशी व अन्य ने सहमति दी। इसके बाद दोपहर 12.36 बजे बांबे अस्पताल से चोइथराम अस्पताल के लिए ग्रीन कारिडोर बना। 16 मिनट में यह कारिडोर पूरा हुआ। इस दौरान डा. दिलीप सिंह चौहान, डा. अमित जोशी, डा. संतोष आहूजा आदि ने भूमिका निभाई।
जन्म से एक ही किडनी
मृतक देवांश को जन्म से एक ही किडनी थी, जिसे बांबे अस्पताल में पंजीकृत 42 वर्षीय महिला रोगी को प्रत्यारोपित की गई। वहीं लिवर चोइथराम अस्पताल में पंजीकृत रोगी को प्रत्यारोपित की गई। इसके साथ आंखों को शंकरा आइ अस्पताल और त्वचा स्किन बैंक चोइथराम में दी गई। दिल भी दान किया जाना था, लेकिन दिल 30 फीसद ही काम कर रहा था, इसलिए दान नहीं हो सका। परिजन हाथ भी दान करना चाहते थे, लेकिन तकनीकी कारणों से नहीं हो सका।
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