वेट लॉस के चक्कर में आजकल कई सारी डाइट को लोग फॉलो कर रहे हैं. इन्हीं में से एक कीटो डाइट भी है. बता दें कि इसे कीटोजेनिक डाइट भी कहा जाता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो कीटो डाइट में हाई फैट पाया जाता है. ये डाइट कार्बोहाइड्रेट के सेवन को सीमित करती है और उसे फैट से बदल देती है. लेकिन डाइट को लेकर अक्सर ऐसी चिंताएं सामने आती रही हैं कि क्या डाइटिंग फॉलो करने शरीर को पर्याप्त विटामिन नहीं मिल पाते हैं?
द योगा इंस्टिट्यूट की डायरेक्टर और योग गुरू डॉ. हंसा जी योगेंद्र का कहना है कि जिन लोगों को अपना वेट कम करना होता है, वे कीटो डाइट को फॉलो करते हैं. इस डाइट में सी फूड, चिकन, अंडा, फिश, पत्तागोभी, शिमला मिर्च और टमाटर जैसी शामिल हैं. आइए जानते हैं कि क्या वाकई कीटो डाइट से शरीर में विटामिन की कमी होती है.
कीटो डाइट से विटामिन की कमी
योग गुरू डॉ. हंसा जी योगेंद्र का कहना है कि कीटो डाइट को लगातार फॉलो करने से शरीर में विटामिन की कमी हो सकती है. जैसे-
विटामिन सी: विटामिन सी से भरपूर कुछ चीजें कीटो डाइट में सीमित हैं. ऐसे में लगातार इस डाइट को फॉलो करने शरीर में विटामिन सी की कमी हो सकती है. ये इम्यून फंक्शन और कोलेजन उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण हैय
विटामिन बी कॉम्प्लेक्स: थायमिन (बी1), राइबोफ्लेविन (बी2), नियासिन (बी3), विटामिन बी6, विटामिन बी12, फोलेट और पैंटोथेनिक एसिड सहित विटामिन बी- तमाम खाने वाली चीदों में पाए जाते हैं. कीटो डाइट में साबुत अनाज और लेग्यूम जैसी चीजें शामिल नहीं हैं. इसकी कमी सेथकान और नर्व डैमेज जैसे लक्षण हो सकते हैं.
विटामिन के: कीटो डाइट पर हरी पत्तेदार सब्जियां सीमित हैं, जो विटामिन K के सेवन को प्रभावित कर सकती हैं. ब्लड क्लॉटिंग और हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए विटामिन K आवश्यक है.
पोटेशियम और मैग्नीशियम: ये मिनरल्स इलेक्ट्रोलाइट्स हैं, जो केटोजेनिक डाइट फॉलो करने के कारण शरीर में कम हो सकते हैं. पोटेशियम और मैग्नीशियम के निम्न स्तर से मांसपेशियों में ऐंठन, थकान और अन्य लक्षण हो सकते हैं.
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