लाइफस्टाइल बेहतर बनाता है ओपल, कुंडली में शुक्र कमजोर है तो ऐसे करें धारण

इंदौर। रत्न ज्योतिष शास्त्र में अलग-अलग रत्नों के जरिए ग्रह शांति के उपाय बताए गए हैं। यदि किसी जातक को भौतिक सुखों की प्राप्ति नहीं होती है या आर्थिक तंगी से जूझता है तो उसे ओपल रत्न जरूर धारण करना चाहिए। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, यदि कुंडली में शुक्र ग्रह कमजोर स्थिति में है तो ओपल रत्न जरूर धारण करना चाहिए। यहां जानें ओपल रत्न के ज्योतिषीय महत्व के बारे में।

ओपल रत्न में ये गुण

ओपल एक सुंदर और अनोखा रत्न है, जो हीलिंग प्रोसेस को तेज करता है। रत्न ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, इसे धारण करने से आध्यात्मिक गुण विकसित होते हैं। ओपल रत्न धारण करने से व्यक्ति में सकारात्मक भावना विकसित होती है। ओपल रत्न व्यक्ति में रचनात्मकता को बढ़ावा देता है और नवीनता को प्रोत्साहित करता है।

कुंडली में शुक्र का मजबूत होना क्यों जरूरी

भारतीय ज्योतिष शास्त्र में शुक्र ग्रह को वैवाहिक सुख, विलासिता, ऐश्वर्य, कला, प्रतिभा, सौंदर्य, रोमांस, वासना आदि का कारक ग्रह माना गया है। यदि जातक की कुंडली में शुक्र ग्रह मजबूत रहता है तो जातक को सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। ऐसे में ओपल रत्न को धारण करने से शुक्र ग्रह मजबूत होता है। ओपल धारण करने से व्यक्ति की समाज में लोकप्रियता बढ़ती है। दांपत्य रिश्तों में भी मजबूती आती है।

किन राशियों के लिए फायदेमंद है ओपल

वैदिक ज्योतिष के अनुसार के मुताबिक, ओपल रत्न वृषभ और तुला राशि के लिए शुभ होता है। शुक्र ग्रह इन दोनों ही राशियों का स्वामी है। वहीं कुंभ और मकर राशि के स्वामी शनि के साथ शुक्र की मित्रता होने के कारण इन दोनों राशियों के लिए ओपल धारण करना फायदेमंद होता है।

इन बातों की रखें सावधानी

पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, ओपल के साथ माणिक और पुखराज रत्न कभी भी धारण नहीं करना चाहिए। ओपल और नीलम को एक साथ पहना जा सकता है। ओपल रत्न को शरीर के वजन के अनुसार ही धारण करना चाहिए। इसे चांदी की अंगूठी में धारण करना चाहिए। शुक्रवार सुबह स्नान के बाद ओपल अंगूठी या लॉकेट को गाय के दूध और गंगाजल से साफ करके पहनना चाहिए। इसे सीधे हाथ की तर्जनी में धारण करना चाहिए।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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