पत्रकारिता के नाम पर ब्लैकमेल करने वालों से रहें सावधान, PDF बनाकर करते हैं उगाही

सावधान रहें तथाकथित अनपढ़ पत्रकारों से-जिले में धान खरीद केंद्रों में तथाकथित पत्रकारों का आतंक अभी भी जारी!
पेपर बांटने वाले,अनेक अनपढ़
-तथाकथित पहुंच रहे धान खरीद केंद्रों में
 राष्ट्र चंडिका न्यूज़ सिवनी,समाज में पत्रकारों का चोला ओढ़कर केवल अपराध करने वाले ही नही है अब पत्रकारिता को कलंकित करने वाले तथाकथित पत्रकार नकली पीडीएफ बनाकर व्हाट्सएप ग्रुपों में डालकर समाज में भय कारित कर धन उगाही कर रहे है. ऐसे पत्रकार गांव से लेकर शहर तक हजारों बार अपनी फजीहत कराने के बाद भी सीना ताने हर रोज उन्हीं कार्यालयो में खडे़ मिलते हैं जहां उनको तमाम उपाधियों से नवाजा जा चुका होता है.
बीते दिनों ऐसे ही  राजेश सोनी नामक  पत्रकार की हुई धान खरीदि केंद्र में धुनाई की खबर बनी चर्चा का विषय सूत्र बताते हैं अट्ठाईस दिसंबर दिन गुरुवर को नागपुर रोड स्थिति किसी धन खरीद में राजेश सोनी नामक व्यक्ति तथाकथित पत्रकार (इसका पत्रकारिता से कोई नाता नहीं है) खरीद केंद्र में तथाकथित पत्रकार की हो गई खरीदि केंद्र में धुनाई की खबर शहर में चर्चा का विषय बना रहा.इतना ही नहीं मजे की बात तो यह है अनेक धान खरीद केंद्र के प्रभारी भी एक दूसरे प्रभारी एवन अपने जान पहचान  के वरिष्ठ पत्रकारों से इस विषय की जानकारी ले रहे हैं.खरीद केंद्र में चर्चा यह भी है कि यह व्यक्ति हमारे केंद्र में भी आया था इसकी चर्चा भी अनेक खरीद केंद्र के लोगों द्वारा आपस में चर्चा हो रही है.

दिसंबर महीने का पूरे दिन का इंतिजार करता रहता है जैसी ही धान केंद्र खरीदी चालू होता है, भूखे पेट सुबह निकल कर धान केंद्रों में वसूली के लिए चले जाते है जो पत्रकारिता के स्तर को गिराने में पीछे नहीं हटती रही है। ऐसे तथाकथित पत्रकारों का एक ही काम होता है, लोगों से ठगी करने का, इनका काम केवल आम लोगों व प्रशासन में अपनी हनक बनाने का है, और समाचार पत्रों के सीनियर पत्रकारों कि तरह व्यवहार बनाकर सरकारी कर्मचारियों, प्राइवेट प्रतिष्ठानों के मालिकों व सीधी साधी आम जनता में प्रेस का रौब दिखाकर सिर्फ उनसे ठगी व उगाही कर मीडिया की छवि खराब और बदनाम करना होता है।
 लेकिन ऐसे नकली पीडीएफ का जाल बुनने वाले  पत्रकारो को धन उगाही से मतलब है. उन्हे पत्रकारिता के कलंकित होने का कोई अफसोस नहीं है. उनके लिए यह एक आदती अपराधी की तरह चलने  वाला खेल है, जो लगातार धन मुहैया कराने का साधन मात्र है. सुबह सबेरे पत्रकारिता का लबादा ओढ़ ऐसे तथाकथित पत्रकार आपके कार्यालयों गली मोहल्लों में घूमते मिल जायेंगें. पत्रकारिता के नाम पर समाज में कचरा परोसकर पत्रकारिता को कलंकित करने वाले ऐसे तथाकथित पत्रकारो के नकली पीडीएफ के खेल को समाज के प्रबु़द्व वर्ग को समझना चाहिए.
समाज में ऐसे तथाकथित पत्रकार केवल आर्थिक अपराध को अजांम दे रहे है.व्हाट्सएप ग्रुपों में चल रह ऐसे नकली पीडीएफ वाले पत्रकारो से सावधान रहें.
तथाकथित पत्रकारों के कारण वास्तविक पत्रकार आये दिन परेशान होते हैं. चंद लोगों की काली करतूतों का खामियाजा निष्ठावान पत्रकारों को भी भोगना पड़ रहा है. ऐसे में अब यह जरूरी हो गया है कि ऐसे तथाकथित पत्रकारों के विरूद्ध लोग आवाज उठाये. कुछ तथाकथित पत्रकारों का पूरा दिन सरकारी कार्यालयों में ही गणित बिठाते बीत जाता है.
अफसरों की खुशामद या अपनी मांग पूरा न होने पर पीडीएफ का खेल रचा जाता है. बहरहाल अब समय आ गया है जब पत्रकार अपने बीच घुस आये ऐसे कथित भेड़ियों को बेनकाब करें. इनसे डरने की नहीं वरन जबाब देनी की जरूरत है जिससे लोगों का भरोसा पत्रकारिता पर कमजोर न होने पाये. प्रशासनिक अधिकारियों को भी अब सतकर्ता बरतनी होगी. ऐसा इसलिये भी कि ऐसे पत्रकार जिन्हें खबर लिखनी हैं उनके पास अधिकारियों के गणेश परिक्रमा के लिये समय नहीं होता. पत्रकारिता का सम्मान बचाने के लिये पत्रकारों को ही आगे आना ही होगा.
डिजिटल मीडिया के इस युग में न्यूज़ पोर्टलों की समुद्र तरह ज्वार भाटा की बाढ़ आ चुकी है। ज्यादातर न्यूज़ पोर्टल व यूट्यूब न्यूज़ चैनलों के संचालकों ने खुद को सम्पादक घोषित कर रखा है तथा फर्जी प्रेस कार्ड भी जारी कर रहे हैं। ऐसे मामलों की गम्भीरता को देखते हुए जिले कलेक्टर को न्यूज़ पोर्टल फर्जी पत्रकार सख्ती से कदम उठाने की जरूरत है। सोशल साइट न्यूज़ पोर्टल व यूट्यूब पर न्यूज़ चैनल बनाकर स्वयं को सम्पादक लिखने वाले जालसाजों पर केस दर्ज कर जेल भेजे जाने की तैयारी जिले के कलेक्टर को किया जाना चाहिए है। और जिले के पत्रकार संगठन को ऐसे फर्जी पत्रकार के ऊपर जिनका आईडी कार्ड न्यूज़ पोर्टल से बना हो उन पर कार्रवाई कर पत्रकारिता के स्तर को गिरने से बचाया जा सके।
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