अंदर की खबर: अंत समय तक अटका रहा था सारंग और गोविंद का नाम! लेकिन सिंधिया और शिवराज का वीटो कर गया काम…

भोपाल। मध्य प्रदेश में मोहन यादव की कैबिनेट का विस्तार हो गया है। 28 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली है। इस बार मंत्रिमंडल में नए चेहरों के साथ पुराने चेहरों को भी मौका मिला है। लेकिन इस बार मंत्रिमंडल में कई बड़े नेताओं को जगह नहीं मिली है। 2020 में कांग्रेस का साथ छोड़कर आए भाजपा में शामिल होने वाले चार नेताओं को ही मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। इस बार केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी माने जाने वाले तीन नेताओं को मंत्री बनाया गया है। जिनमें प्रद्युमन सिंह तोमर, तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत का नाम शामिल है।

दरअसल इस बार भोपाल से भाजपा दो नए चेहरों के तौर पर कृष्णा गौर और रामेश्वर शर्मा को मौका देना चाह रही थी, हाईकमान ने इन दोनों के नाम लगभग फाइनल कर लिए थे…लेकिन सूत्रों की माने तो अचानक ही शिवराज सिंह चौहान विश्वास के नाम पर अड़ गए…गौरतलब है, कि इससे पहले बनाए गए उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला को भी शिवराज कोटे का ही माना जाता है, और विश्वास सारंग का नाम भी एकाएक उन्हीं के हस्तक्षेप के कारण आगे बढ़ा। वहीं गोविंद सिंह के नाम को केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आगे बढ़ाया और सिंधिया और शिवराज का वीटो पावर काम आ गया। सागर से भाजपा किसी नए चेहरे को मौका देना चाह रही थी। लेकिन कल रात में लिस्ट में से वह नाम कटा और गोविंद सिंह का नाम फाइनल हो गया।

इस बार केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी और सांची विधानसभा सीट से विधायक प्रभु राम चौधरी को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया है। प्रभुराम चौधरी को ज्योतिरादित सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया राजनीति में लेकर आए थे। इससे पहले शिवराज सरकार में प्रभुराम चौधरी मंत्री थे।

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