माध्यम मायने नहीं रखता, संगीत जगत में अलग मुकाम बनाना चाहती हूं – गायिका प्रतिभा बघेल

भोपाल। माध्यम चाहे शो का मंच हो, फिल्म हो, एल्बम हो या इंटरनेट मीडिया। मेरे लिए यह मायने नहीं रखता। मेरे लिए महत्वपूर्ण यह है कि मैं एक संगीतकार के रूप में पहचान बना सकूं और इसी के लिए दिन-रात मेहनत कर रही हूं। मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं किस प्लेटफार्म पर परफार्म कर रहीं हूं, फर्क इस बात से पड़ता है कि मेरा गायन कैसा है। यह कहना है गजल गायिका प्रतिभा सिंह बघेल का। विश्व रंग में प्रस्तुति देने आईं प्रतिभा ने नवदुनिया से चर्चा में संगीत के विभिन्न पहलुओं और करियर को लेकर विस्तार से चर्चा की।

घर में मिला संगीत का माहौल

उन्होंने कहा कि रीवा में मेरे घर में संगीत का माहौल था, इसलिए मेरा रुझान गायन की ओर हुआ, जबकि मेरी मां मुझे इंजीनियर बनाना चाहतीं थीं। मैंने भी कभी सोचा नहीं था कि मैं मुंबई जाऊंगी और गायन के क्षेत्र में मुकाम बनाउंगी। इसके लिए टीवी रियलिटी शो माध्यम बना।

सक्सेस एंजाय करें, लेकिन रियाज न भूलें

एक सवाल के उत्तर में प्रतिभा ने कहा कि आज टीवी रियलिटी सिंगिग शो में कई बच्चे आते हैं और थोड़े समय दिखने के गायब हो जाते हैं। इसलिए नए कलाकारों को कहना चाहती हूं कि पैसा कमाएं और सक्सेस को एंजाय करें, लेकिन रियाज और मेहनत करना कभी न छोड़ें, तभी स्थाई सफलता मिलेगी। कोई भी तकनीक या माध्यम आ जाए आपके टैलेंट को कोई दबा नहीं सकता, यदि आप अपने पेशे के प्रति ईमानदार हैं। मुझे खुशी है कि नए साल के मार्च मैं लंदन के अलबर्ट हाल में परफार्म करूंगी।

बघेली लोकसंगीत में काम करना है

प्रतिभा ने कहा कि गजल और बालीवुड सिंगिंग के अतिरिक्त मैं लोक संगीत में मेरी रुचि है। हमारे बघेलखंड का लोक संगीत बहुत प्यारा है और भविष्य में मैं बघेली लोकगीत गाना चाहती हूं। उन्होंने कहा कि गायिकी मुझे विरासत में मिली है, मेरे पिता जी पुलिस अधिकारी होने के साथ एक अच्छे गायक थे। चाचाजी शास्त्रीय गायक थे। रोजाना 10 घंटे रियाज करते तो उन्हें सुनकर मुझे भी गाने का शौक हुआ और इस क्षेत्र में आगे बढ़ गई, कहते हैं न तकदीर आपको कहां पहुंचा दे।

गजल जज्बात को जाहिर करने का खालिश तरीका

उन्होंने कहा कि मैंने तीन साल की उम्र से ही गाना शुरू कर दिया, जिसमें पहले शास्त्रीय संगीत सीखा और बाद में समय के साथ गजल की तरफ रुझान बढ़ता गया, गजल गीत की एक मजबूत कड़ी है, गजल के माध्यम से प्यार और दुख के एहसास को बहुत ही उम्दा तरीके से बयां किया जा सकता है। गजल जज्बात को जाहिर करने का खालिश तरीका है।

सिचुएशनल रिलेशनशिप का चलन घातक

प्रतिभा ने कहा कि आजकल सिचुएशनल रिलेशनशिप का चलन देखने को मिल रहा है, जिसमें किसी एक सिचुएशन में आप एक साथ है, लेकिन कुछ ही देर बाद एक-दूसरे से यह नहीं पूछ सकते कि आप कहां है या यूं कहें कि एक दूसरे के जीवन में हस्तक्षेप नहीं कर सकते। ऐसे संबंधों का अस्तित्व ज्यादा समय तक नहीं टिकता।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.