मासिक दुर्गाष्टमी 20 दिसंबर को, मां आदिशक्ति को प्रसन्न करना है तो करें भगवती स्तोत्र का पाठ

जय चन्द्रदिवाकरनेत्रधरे,

जय पावकभूषितवक्त्रवरे ।

जय भैरवदेहनिलीनपरे,

जय अन्धकदैत्यविशोषकरे ।।

जय महिषविमर्दिनि शूलकरे,

जय लोकसमस्तक पापहरे ।

जय देवि पितामहविष्णुनते,

जय भास्कर शक्र शिरोऽवनते ।।

जय षण्मुख सायुध ईशनुते,

जय सागरगामिनि शंभु नुते ।

जय दुःख दरिद्र विनाश करे,

जय पुत्रकलत्र विवृद्धि करे ।।

जय देवि समस्त शरीर धरे,

जय नाकविदर्शिति दु:ख हरे ।

जय व्याधि विनाशिनि मोक्ष करे,

जय वांछितदायिनि सिद्धि वरे ।।

एतद् व्यासकृतं स्तोत्रं,

य: पठेन्नियत: शुचि: ।

गृहे वा शुद्ध भावेन,

प्रीता भगवती सदा ।।

सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ

ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हि सा।

बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति।

दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः,

स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।

दारिद्र्यदुःखभयहारिणी का त्वदन्या,

सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता।

सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।

शरण्ये त्रयंबके गौरि नारायणि नमोस्तु ते।

शरणागतदीनार्तपरित्राणपराणये।

सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोस्तु ते।

सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते।

भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोस्तु ते।

रोगानशेषानपहंसि तुष्टा,

रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्।

त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां,

त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति।

सर्वाबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि।

एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वैरिविनाशनम् ।

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