जब अपना काफ‍िला रोक सड़क किनारे मप्र के सीएम श‍िवराज ने खाया भुट्टा, दुकानदार से की चर्चा

खंडवा। सड़क से गुजर रहे लोगों के लिए यह दृश्‍य चौंकाने वाला था। वे देख रहे थे कि मध्‍य प्रदेश के मुख्‍यमंत्री श‍िवराज सिंह चौहान अपना काफ‍िला रोकर सड़क किनारे एक दुकान पर भुट्टा खा रहे थे। इस पर श‍िवराज ने ट्वीट भी किया है। उन्‍होंने लिखा कि बहन का स्नेह और भुट्टे का स्वाद, एक ना भूलने वाला पल बन गया।

ओंकारेश्‍वर से लौट रहे थे श‍िवराज

दरअसल शिवराज ओंकारेश्‍वर में आदिगुरु शंकराचार्य की मूर्ति के अनावरण के लिए विशेष धार्मिक अनुष्ठान में शाम‍िल होकर लौट रहे थे। तभी खंडवा-इंदौर हाइवे पर उन्‍होंने अपनी गाड़ी रुकवाई और सड़क किनारे भुट्टे की दुकान देखकर भुट्टा खाने की इच्‍छा जाहिर की। इसका वीडियो भी वायरल हुआ है।

— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) September 15, 2023

मामा के नाम से लोकप्रिय श‍िवराज सिंह चौहान ने भुट्टा बेचने वाली महिला के साथ बातचीत भी की और सेल्‍फी भी ली। इस दौरान आसपास के दुकानदार और अन्‍य लोग भी जमा हो गए थे।

18 सितंबर को होगा प्रतिमा का अनावरण

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एकात्म धाम, ओंकारेश्वर में आदिगुरु शकराचार्य जी की मूर्ति के अनावरण कार्यक्रम के लिए वैदिक रीति-रिवाज से पूजा-अर्चना की और संतों के साथ यज्ञ शाला में आहुति अर्पित कर विशेष धार्मिक अनुष्ठान का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री 18 सितंबर को ओंकारेश्वर में 108 फीट ऊंची आदि गुरु शंकराचार्य जी की बहु धातु की प्रतिमा का अनावरण करेंगे।

उल्लेखनीय है कि चिन्मय मिशन के स्वामी मित्रानंद ने शंकर संदेश वाहिनी के रूप में एक विशेष बस बनवाई, जिसमें आचार्य शंकर की कांस्य प्रतिमा स्थापित की गई इस बस को 29 दिसम्बर 2017 को वैलियानाड, केरल से मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान, स्वामी परमात्मानंद जी, चिन्मय मिशन के स्वामी अयानन्द जी और संस्कृति सचिव मनोज श्रीवास्तव ने हरी झंडी दिखाई। यह यात्रा भारत की चारों दिशाओं में स्थित उन चारों मठों में भी गई, जिन्हें आचार्य शंकर ने ही स्थापित किया। इस तरह समाज के बीच कण-कण में शंकर जाग्रत करते हुए, ‘एकात्मता की मूर्ति का निर्माण प्रगति पथ पर था। इस तरह आदि गुरु शंकराचार्य की इस 108 फीट ऊंची मूर्ति में उन्हीं का दिया संदेश सर्वं खल्विदं ब्रह्म समाहित हुआ।

एकात्मता की मूर्ति की शिल्प विशेषता

यह प्रतिमा 12 वर्ष के किशोर शंकर की 108 फीट ऊंची बहु धातु प्रतिमा है, जिसमें 16 फीट ऊंचे पत्थर से बना कमल का आधार है, 75 फीट ऊंचा पेंडिस्टल का निर्माण है। वहीं प्रतिमा में 45 फीट ऊंचा शंकर स्तम्भ पत्थर पर उकेरे गए आचार्य शंकर की जीवन यात्रा को दर्शाता है। इस मूर्ति के निर्माण में 250 टन से 31GL ग्रेड की स्टेनलेस स्टील का उपयोग हुआ है. साथ 100 टन मिश्रधातु कांस्य में 88 टन तांबा, 4 टन जस्ता और 8 टन टिन का मिश्रण है। इस प्रतिमा में कान्क्रीट के पेडिस्टल को 500 वर्षों का जीवन दर्शाने के उद्देश्य से निर्मित किया गया है। इस मूर्ति में 12 वर्षीय किशोर आचार्य शंकर के भाव भंगिमाएं जीवंत रूप से दिखाई पड़ेंगी, जो जन मानस में एकात्म भाव का संचार करते हुए लोगों के जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से भर देगी।

क्या है एकात्मता की मूर्ति की परिकल्पना

आदि गुरु शंकर की प्रतिमा एकात्मता की मूर्ति की कल्पना ने 9 फरवरी 2017 को तब जन्म लिया, जब ओंकारेश्वर में नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान साध्वी ऋतंभरा स्वामी अवधेशानन्द गिरि, स्वामी तेजोमयानंद जैसे अनेक महान संतों के मध्य आदि शंकर की स्मृति का संचार हुआ। इसी दिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संतों की उपस्थिति में जनता के सामने शंकर की विशाल प्रतिमा की स्थापना का संकल्प लिया और एकात्मता की मूर्ति की घोषणा की।

आचार्य शंकर की अमर स्मृति को धरातल पर उतारने के लिए एक बार फिर मुख्यमंत्री के साथ संतों और विद्वानों की बैठक हुई जिसमें शंकर के विचारों के प्रचार-प्रसार पर केंद्रित सभी गतिविधियों और आयोजनों के लिए 1 मई 2017 को आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास के गठन की बात रखी गई।

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