छिंदवाड़ा/पांढुर्णा। विश्व प्रसिद्ध गोटमार मेले के आयोजन पर बारिश ने पहरा लगा दिया है। तेज बारिश के चलते अब तक गोटमार मेलेेकी शुरुआत नहीं हो सकी है। अमावस्या पोले के दूसरे दिन शहर में विश्व प्रसिद्ध गोटमार मेले के आयोजन को लेकर शहर में जमकर उत्साह का वातावरण है। सावरगांव पक्ष के लोगों ने सुबह 4:30 बजे जाम नदी में पलाश का झंडा स्थापित किया।
नए अधिकारी, नई जिम्मेदारी, औपचारिकता पूर्ण
हर साल इस खूनी मेले में सैकड़ों लोग घायल हो जाते हैं।अब तक 12 लोगों की जान भी जा चुकी है। इस बार चर्चा है कि स्थानीय पुलिस अधिकारी नए हैं। इन अधिकारियों को गोटमार मेले के आयोजन की ठीक से कोई जानकारी नहीं है हालांकि जिला और स्थानीय प्रशासन ने गोटमार मेले की तैयारियों की औपचारिकता पूर्ण की है।
कुछ परिवार गोटमार मेले को काला दिन मानते हैं
कुछ घरों के परिवार के लोगों में अपनों के खोने का दर्द भी है।मेले में सुबह पांढुर्ना-सावरगांव स्थित जाम नदी के तट पर दो पक्षों के बीच एक-दूसरे पर पत्थर बरसाए जाते हैं।गोटमार मेले के प्रति एक धार्मिक आस्था के सामने पत्थरों की बौछार और खून खराबा कोई मायने नहीं रखता। शहर में कुछ परिवार गोटमार मेले को काला दिन मानते हैं।
जैसे तैसे पूर्ण कर प्रतिवेदन मानव आयोग को सौंप देता है
गोटमार मेले का स्वरूप बदलने मानव आयोग, उच्च न्यायालय के आदेश के परिपालन में जिला प्रशासन को सख्त निर्देश होते हैं। परन्त्तु विगत कई वर्षों के प्रयासों के बाद जिला प्रशासन आखिरकार गोटमार मेले का स्वरूप बदल पाने में नाकाम साबित हो रहा है। शहर के बुद्धिजीवी गणमान्य लोगों का कहना है कि मानव आयोग दिशा निर्देश देता है और जिला प्रशासन पालनार्थ प्रति वर्ष यह गोटमार मेला का आयोजन जैसे तैसे पूर्ण कर अपना प्रतिवेदन मानव आयोग को सौंप देता है।
गोटमार मेला प्रेम का प्रतीक है, लोगों से अपील है कि मेले को शांतिप्रिय ढंग से मनाएं।ताकि कोई भी अप्रिय स्थिति नहीं बने।
मनोज पुष्प कलेक्टर छिंदवाड़ा
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