अलोक की बॉलिंग से धड़ा-धड़ गिर रहे प्रशानिक विकेट

पांच लोगो की हुई शिकायत 4 के हुए तबादले
राष्ट्र चंडिका,सिवनी। शासन में सत्ता का कितना प्रभाव होता है इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की सिवनी के भाजपा जिला अध्यक्ष अलोक दुबे की शिकायतों पर एक के बाद एक तबादले हो रहे है। राजनैतिक सूत्रों की माने तो अलोक दुबे द्वारा सिवनी के पांच अफसरों की शिकायत प्रदेश संगठन और उच्चाधिकारियों से की गई थी जिस पर कार्यवाही करते हुए तीन अधिकारियों का तबादला किया जा चुका है। तो वही शहर में यह भी चर्चा है की ईमानदार अफसरों को भाजपा जिलाध्यक्ष पचा नहीं प् रहे है और उनके तबादले में लिए अपनी राजनैतिक रसूख का उपयोग कर रहे है।
ज्ञात हो कि सिवनी नगर पालिका के तत्कालीन सीएमओ सुश्री पूजा बुनकर एक ईमानदार अफसर के रूप में जानी जाती है, उनके द्वारा सिवनी नगर के भूमाफियाओं पर लगाम लगाते हुए उनके खिलाफ एफआईआर के निर्देश देते ही वह भाजपा के जिला अध्यक्ष की आंखो की किरकिरी बन गई। बता दे की भाजपा जिलाध्यक्ष इन दिनों भूमाफिया के  नाम से भी जाने जाते है और कई अवैध कॉलोनी में उनकी हिस्सेदारी की चर्चा सुर्खियों पर है। शायद यही वजह रही की जैसे ही तत्कालीन सीएमओ पूजा बुनकर ने अवैध कालोनाइजर के खिलाफ एफआईआर के निर्देश दिए तो भाजपा जिलाध्यक्ष अलोक दुबे बनाम भूमाफिया के पेट में दर्द शुरू हुआ और एक ईमानदार अफसर के तबादले के लिए सिवनी से भोपाल तक की दौड़ शुरू हो गई।  शिकवा शिकायत कर यह उसे हटाने में कामयाब हुए।
अलोक के दूसरे विकेट के रूप में संदीप मिश्रा को देखा जा रहा है जिसकी शिकायत भाजपाइयों द्वारा की गई और उसमे भी वह कामयाब हुए लेकिन संदीप के द्वारा स्टे ला क्र उनके मनसूबे पर पानी फेर दिया गया। तो वही तीसरा विकेट नगर परिषद बरघाट की तत्कालीन सीएमओ को बताया जाता है जिसकी शिकायत अलोक द्वारा की गई थी लेकिन इन्हे हटाने के लिए अलोक को कोई मशक्क्त नहीं करना पड़ा और वह अपने ही लालच का शिकार होते हुए रंगे हाथ रिश्वत लेते ट्रेप हुए।
भाजपा जिलाध्यक्ष अलोक दुबे को पुलिस अधीक्षक रामजी श्रीवास्तव के विकेट लेने के लिए बड़ी मशक्क्त करनी पड़ी।  महज आठ माह पहले आये  पुलिस अधीक्षक रामजी श्रीवास्तव के तबादले के पीछे वजह भाजपा जिलाध्यक्ष अलोक दुबे को माना जा रहा है। चर्चाओं की माने तो भाजपा के जिलाध्यक्ष द्वारा किसी वजह से पुलिस अधीक्षक रामजी श्रीवास्तव की शिकायत की गई थी जिसमे कार्यवाही लेते हुए ही महज आठ माह में पुलिस अधीक्षक का स्थान्तरण किया गया है। यही नहीं राजनैतिक सूत्रों की माने तो भाजपा अध्यक्ष की एक टीम वसूली के लिए सक्रीय है जो प्रदेश स्तर के नेताओ के आगमन पर अधिकारियों से विज्ञापन एवं अन्य व्यवस्था के नाम पर चंदा वसूली करते है।  एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया की भाजपा के नेताओ का आगमन हमारे लिए परेशानी का सबब बन गया है।  इनके आगमन पर नेता तो अपनी राजनीती चमकाने में लगे रहते है लेकिन उनके स्वागत के साथ अन्य इंतजाम की व्यवस्था के लिए  ये नेता हमसे सहयोग के रूप में मोती रकम चंदा के रूप में वसूल करते है।  नौकरी के डर से पैसे देना हमारी मज़बूरी होती है अगर चंदा नहीं देते तो शिकवा शिकायत और ट्रांसफर जैसी कार्यवाही से गुजरना पड़ता है।
खैर जो भी हो लगातार अफसरों के तबादले से भाजपा जिलाध्यक्ष अलोक दुबे की शिकायतों की चर्चा जोरो पर है। लोग दबी जुबान पर कह रहे है की सत्तारूढ़ पार्टी होने का जिले को कोई लाभ भले ही न मिला हो लेकिन उनके कामो पर अड़ंगा लगाने वाले अफसरों को अलोक बखूबी ठिकाने लगा रहे है।
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