हूटर व सायरन लगाकर छुटभैये नेता अपने नेतागिरी की दिख रहे धौंस

लोग टशन के लिए वाहनों पर लगवा रहे सायरन और हूटर,जानिए क्या है नियम,पकड़े जाने पर कितना लगेगा जुर्माना

राष्ट्र चंडिका,सिवनी। हूटर और सायरन का इस्तेमाल इमरजेंसी में फायर ब्रिगेड की गाड़ी और एम्बुलेंस ही कर सकते हैं। इन्हें भी हर समय सायरन और हूटर बजाने का अधिकार नहीं है। एम्बुलेंस में मरीज होने पर ही सायरन और हूटर बजाया जा सकता है। इसके अलावा आग की सूचना पर जाते समय ही फायर ब्रिगेड की गाड़ी में सायरन और हूटर का प्रयोग हो सकता है। इमरजेंसी की हालत में पुलिस भी सायरन के इस्तेमाल का अधिकार है। लेकिन सिवनी में आज कल मस्तीखोर धड़ल्ले से इसका इस्तेमाल करते दिख जाते हैं।
तेजी से आती हुटर या सायरन की आवाज़ आपको एकदम चौंकना कर देती है। मगर जब देखते हैं कि कुछ लोग टशन के लिए इनका गलत इस्तेमाल कर रहे हैं तो बड़ी परेशानी होती है। ऐसा शहर के करीब हर हिस्से में हो रहा है। शहर की सड़कों पर दौड़ते वाहनों में लगे प्रेशर हॉर्न, हूटर और सायरन लोगों के लिए परेशानी बन गए हैं। पुलिस की नजर इस पर नहीं पड़ रही है। या यूं कहें कि ये सब कुछ लोगों के लिए ये स्टेटस सिंबल बन गया है। इन तेज़ आवाजों से सेक्टर और सोसायटियों में रहने लोग भी अछूते नहीं है। लोग कई बार सोशल मीडिया के जरिए पुलिस से शिकायत कर चुके हैं, लेकिन समाधान नहीं हो पा रहा है। पुलिस कार्रवाई की बात करें तो पिछले साल भर में एक भी कार्रवाई पुलिस द्वारा नहीं की गई है। ऐसे में इसके हौसले बुलंद होते जा रहे हैं और एक को देखकर आजकल हर एक सरपंच प्रतिनिधि भी हूटर लगाने से बाज नहीं आ रहे है। ट्रैफिक अधिकारी की माने तो हूटर, सायरन और प्रेशर हॉर्न का प्रयोग करते समय पकड़े जाने पर ट्रैफिक पुलिस मोटर व्हीकल एक्ट के तहत चालान करती है। जिसके तहत वाहनों में हूटर लगाने और पटाखा साइलेंसर का प्रयोग करने पर 10 हजार रुपए का चालान और वाहन से हूटर और साइलेंसर को निकलवा दिया जाता है। इसके अलावा किसी प्रकार की सजा का प्रावधान नहीं है।
टोल टैक्स में दिखाते है धौंस
हूटर व सायरन लगाकर छूटभैये नेता अपने नेतागिरी का धौंस जमाने टोल नाका में भी नहीं चूकते हैं। वहां पर टोल टैक्स से बचने के लिए सायरन बजाकर बच निकलते है। ऐसे में टोल नाका वाले भी कुछ बोल नहीं पाते। इसको लेकर कई बार यहां विवाद की स्थिति निर्मित होती है।
स्लीपिंग डिसऑर्डर और चिड़चिड़ेपन की हो रही समस्या
डॉक्टरों की माने तो तेज आवाज से लोगों में स्लीपिंग डिसऑर्डर और चिड़चिड़ेपन की समस्या हो रही है। इसके साथ ही पढ़ाई या ऑफिस का काम कर रहें लोग बार-बार डिस्टर्ब होते हैं। खासकर मार्केट या सड़क के बगल रहने वाले लोगों को इसकी सबसे सबसे ज्यादा समस्या होती है। तेजी से आती हुटर या सायरन की आवाज़ आपको एकदम चौंकना कर देती है। मगर जब देखते हैं कि कुछ लोग टशन के लिए इनका गलत इस्तेमाल कर रहे हैं तो बड़ी परेशानी होती है। ऐसा शहर के करीब हर हिस्से में हो रहा है। शहर की सड़कों पर दौड़ते वाहनों में लगे प्रेशर हॉर्न, हूटर और सायरन लोगों के लिए परेशानी बन गए हैं।
इमरजेंसी ही सायरन का अधिकार
हूटर और सायरन का इस्तेमाल इमरजेंसी में फायर ब्रिगेड की गाड़ी और एम्बुलेंस ही कर सकते हैं। इन्हें भी हर समय सायरन और हूटर बजाने का अधिकार नहीं है। एम्बुलेंस में मरीज होने पर ही सायरन और हूटर बजाया जा सकता है। इसके अलावा आग की सूचना पर जाते समय ही फायर ब्रिगेड की गाड़ी में सायरन और हूटर का प्रयोग हो सकता है। इमरजेंसी की हालत में पुलिस भी सायरन के इस्तेमाल का अधिकार है।
यह है गाइडलाइंस
ध्वनि प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी गाइडलाइंस में इसक तीन स्तर निर्धारित किए हैं। वहीं हूटर या सायरन वाहन में लगाना पूरी तरह से बैन किया गया है। अगर कोई व्यक्ति ऐसा करते पाया जाता है, तब उसके खिलाफ कार्रवाई होती है। गाइडलाइंस के मुताबिक रेजिडेंशियल एरिया में दिन में 55 और रात में 45 डेसिबल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। कमर्शयल एरिया में दिन में 65 और रात में 55 डेसिबल, इंडस्ट्रियल एरिया में दिन में 75 और रात में 70 डेसिबल तक होना चाहिए।
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