IPL में इस तरह लगता है सट्टा

सिवनी में भी चल रहा निजाम
राष्ट्र चंडिका, सिवनी। कम समय में अधिक पैसा कमाने की लालसा कभी-कभी पूरे परिवार के लिए दु:खदाई साबित होती है। युवा पीढ़ी में कुछ लोग अधिक पैसा कमाने के लिए आईपीएल जुआ, सट्टा तथा गद्दियों पर चल रहे एमसी एक्स पर पैसा लगा रहे हैं। जिससे जिले में अनेक परिवार बर्बाद हो गए हैं। जब कि काफी परिवार पलायन कर चुके हैं। जिले में यह काला धंधा काफी तेजी से पनपा है। क्रिकेट के आईपीएल मैच और सोने चांदी पर सट्टा खेलने के शौकीनों से पैसे वसूल किए जाते हैं तथा जरूरत होने पर कई गुना रकम पर ब्याज पर रकम उधार दी जाती है, जिससे ज्यादातर जुआरी बर्बाद हो जाते हैं। उनके साथ ही उनके परिवार भी इससे प्रभावित होते हैं।
सट्टा खिलाने का यह कारोबार जिले में धड़ल्ले से चल रहा है। सट्टे के कारोबार से जुड़े लोग मोबाइल और इंटरनेट का सहारा लेने लगे हैं। सट्टा बाजार में आई इस नई तकनीक के माध्यम से इससे जुड़े लोग अब लाखों रुपए की गेम का आदान-प्रदान इंटरनेट के जरिए ही करने लगे हैं। यह भी माना जाता है कि क्रिकेट की हर बॉल पर सट्टा लगता है। यह अवैध कारोबार जिले में तेजी से फैला है। इसके साथ ही इसमें हानि के कारण अनेक परिवार बर्बाद हो गए हैं, तो काफी अपने मकान तथा जायदाद को बेचकर पलायन कर गए हैं।

क्रिकेट का महाकुंभ IPL 2023इंडियन प्रीमियर लीग 2023 यानी आईपीएल 31 मार्च से शुरू हो गया है आईपीएल 2023 लीग शुरू होने से पहले ही सटोरिए सक्रिय हो गए थे हर मैच में करोड़ों रुपए लगाने की तैयारी हैं। हर गेंद पर सट्टा लगेगा। इससे शहर का सट्टा बाजार भी गर्म हो गया है मुखबिरों से सूचना मिलते ही पुलिस ने भी सटोरियों पर शिकंजा कसने के लिए अपनी तैयारी पूरी कर रखी है । आइपीएल का रोमांच क्रिकेट प्रेमियों के सिर चढ़कर बोलता है। जहां क्रिकेट प्रेमियों ने आईपीएल मैचों के देखने के लिए तैयारी पूरी लगी है। वहीं सट्टेबाजों ने भी अपनी दुकान सजा ली हैं। सूत्रों के अनुसार वाट्सएप ग्रुपों को तैयार कर लिया गया । । पिछले एक दशक से अधिक समय से शहर में यह धंधा फलफूल रहा है। सट्टे में अपना सबकुछ हारकर कई लोग मौत को भी गले लगा चुके हैं।
जबलपुर के सट्टेबाज धूमा लखनादौन से कर रहे अपना कारोबार
राष्ट्र चंडिका के विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि जबलपुर के कुछ सट्टेबाज धूमा और लखनादौन मैं आकर आईपीएल मैच का सट्टा कारोबार का संचालन कर रहे हैं.
शहर में आईपीएल सट्टा कारोबार चरम पर है। भले ही पुलिस-प्रशासन हर बार की तरह यह कहे कि उसके पास सूचना नहीं, लेकिन यह बात सौ आना सच है कि जानते सभी हैं, लेकिन उजागर नहीं होने देते। हर मैच पर लगने वाले करोड़ों के दाव में बंधी रकम कुछ खास लोगों तक पहुंचती है, जो कार्रवाई के लिए जिम्मेदार अफसरों को रोके रखते हैं। चंद नोटों के लिए इस कारोबार पर कभी अंकुश नहीं लग सका। इसका नतीजा लोगों की बर्बादी के रूप में सामने आ रहा है। जिस तरह क्रिकेट में दिलचस्पी रखने वाले दिन ब दिन बढ़ रहे हैं, उसी तादाद में क्रिकेट पर सट्टा लगाकर रातों रात लखपति बनने का ख्वाब भी कई युवाओं ने पाल रखा है। सट्टे के इस भंवर में पनपने वालों से बर्बादी की कगार पर आने वालों की संख्या चौगुनी हो चुकी है। फिर भी कोई सबक लेने को तैयार नहीं।
जिले में क्रिकेट मैच का सट्टा करीब एक दशक से अधिक समय से चल रहा है। शुरू में इस अवैध धंधे से कम ही लोग जुड़े थे, लेकिन अब सट्टा लगाने वालों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। धंधे में महारत हासिल करने वाले बुकी अपने गुर्गों के माध्यम से युवाओं को अपने सट्टा की दुनिया से जोड़ रहे हैं। बड़ी संख्या में जिले के युवा सट्टे की इस दलदल में फंसते जा रहे हैं। मैच की प्रत्येक ओवर की हर बाल पर रेट के हिसाब से सट्टा लगाया जाता है।

सेशन पर लगता है सट्टा
आईपीएल क्रिकेट मैच के दौरान शायद ही ऐसा कोई मिनट जाता होगा जब कि मैच पर सट्टा न लगाया जाये। आई आईपीएल मैच में यूं तो हर बाल पर सट्टा लगता है, लेकिन ज्यादातर सटोरिये सेशन पर दावं लगाते हैं। मैच के शौकीन और दावं लगाने वाले हर बाल पर दावं लगाते हैं कि इस बॉल पर कितने रन निकलेंगे या इस बॉल पर बेट्समेन बोल्ड होगा या नहीं? यानि विकेट पर भी सटोरिये दावं खेलते हैं। पूरे मैच में कितने विकेट गिरेंगे, एक ओवर में कितने विकेट गिरेंगे? एक सेशन यानि 9 ओवर में कितने विकेट गिरेंगे कितने रन बनेंगे इस बात पर राजधानी में सबसे ज्यादा सट्टा लगता है।
विश्वास पर कायम है कारोबार
कहते हैं कि विश्वास पर दुनिया कायम है, लेकिन हम थोड़ा इसे मोडिफाई कर कहेंगे कि विश्वास पर सट्टा कारोबार कायम है। जी हां, छोटे शहरों की तंग गलियों से लेकर हवेलियों तक, भोपाल, इंदौर और मुम्बई में लाखों और करोड़ों रुपये का यह अवैध कारोबार सटोरियों की साख पर चलता है। लोगों को इस बात का पूरा-पूरा भरोसा रहता है कि दांव लगने पर उन्हें जीती रकम गारंटी के साथ मिल जायेगी। ऐसा ही अटल विश्वास बुकी को छोटे खाईबाजों पर और स्थानीय खाईबाजों को इंदौर और मुम्बई के खाईबाजों पर रहता है। जिनके पास वह बुक की गई रकम का उतारा करते हैं और बदले में दांव फंसने पर मोटी रकम कमीशन सहित हासिल करते हैं।
कारोबार की आड़ में लेते हैं सट्टा
शहर में कई सटोरियों के सक्रिय होने की खबर है। इनमें कई लोग ऐसे हैं, जो दुकान और कारोबार की आड़ में आईपीएल क्रिकेट्र मैच पर सट्टे की बुकिंग कर रहे हैं। शहर में कई स्थान ऐसे भी हैं, जहां दुकान पर टीवी रखी रहती है और वहां मैच देखने वालों की भीड़ लगी रहती है, लेकिन क्रिकेट प्रेमियों के बीच ही सटोरिये हो सकते हैं और दुकानदार बुकी हो सकता है। कई दुकानों पर हुजूम इतना होता है कि यह समझ ही नहीं आता कि दुकान किसी चीज की है, इसके बाद भी दुकानदार को भीड़ से परहेज नहीं होता क्योंकि उसकी आड़ में उसका दूसरा कारोबार जो चलता है।
इंदौर और मुंबई में करते हैं उतारा
अंकों पर लगने वाले सट्टे की तरह ही आईपीएल के स्थानीय सटोरिये बड़ा दांव लगने पर इंदौर और मुम्बई के सटोरियों को उतारा करते हैं। जब तक दांव पर लगी रकम के बदले में भुगतान करने की क्षमता छोटे-मोटे सटोरियों के पास रहती है तब तक वह स्वयं खाईबाजी करता है। जब उसे लगता है कि दांव फंसने पर चुकारे की रकम देना उसकी हैसियत से बाहर होगा, तो वह दांव की रकम को शहर के बड़े खाईबाज को उतार देता है। इस तरह जब शहर के सटोरिये के पास बड़ी रकम जमा हो जाती है तो वह इंदौर और देवास के सट्टा खाईबाजों के पास उतारा करता है। इसी तरह यह क्रम मुंबई तक चलता है। इसके एवज में उन्हें मोटी रकम कमीशन के रूप में मिलती है और रिस्क भी नहीं रहता।
कैसे लगाया जाता है सट्टा
सट्टे के खेल में कोड वर्ड का इस्तेमाल होता है। सट्टे पर पैसे लगाने वाले को फंटर कहते हैं। जो पैसे का हिसाब किताब रखता है , उसे बुकी कहा जाता है। सट्टा लगाने वाले फंटर 2 शब्द खाया और लगाया का इस्तेमाल करते हैं। यानी किसी टीम को फेवरिट माना जाता है तो उस पर लगे दांव को लगाना कहते हैं ऐसे में दूसरी टीम पर दांव लगाना हो तो उसे खाना कहते हैं। इस खेल में डिब्बा अहम भूमिका निभाता है। डिब्बा मोबाइल का वह कनेक्शन है , जो मुख्य सटोरियों से फंटर को कनेक्शन देते हैं। जिस पर हर बॉल का रेट बताया जाता है। पूरे आईपीएल के दौरान डिब्बे का कनेक्शन ढाई से 3 हजार में मिलता है। डिब्बे का कनेक्शन एक खास नंबर होता है , जिसे डायल करते ही उस नंबर पर कमेंट्री शुरू हो जाती है। सट्टा आईपीएल मैच में 2 सेशन में लगता है। दोनों सेशन 10-10 ओवर के होते हैं।
बात हो रही है आईपीएल पर सट्टे बाजार की। पूरे मुल्क में इन दिनों करोड़ों का सट्टा लग रहा है।
बीते वर्ष में पकड़े गए शख्स से पुलिस पूछताछ में इसका खुलासा हुआ। जऱाए के मुताबिक सट्टे के खेल में स्टूडेंट्स को ज्यादा शामिल किया जा रहा है।
इस खेल की ज़ुज़ान भी अजीबो गरीब है। सट्टा लगाने वाले शख्स को लाइन कहा जाता है, जो एजेंट यानी पंटर के ज़रिये से बुकी (डिब्बे) तक राबिता करता है।
एजेंट को एडवांस देकर अकाउंट खुलवाना पड़ता है, जिसकी एक लिमिट होती है। सट्टे के भाव को डिब्बे की आवाज बोला जाता है।
आईपीएल क्रिकेट में सट्टेबाज 20 ओवर को लंबी पारी, दस ओवर को सेशन और छह ओवर तक सट्टा लगाने को छोटी पारी खेलना कहते हैं।
मैच की पहली गेंद से लेकर टीम के जीत तक भाव चढ़ते उतरते हैं। एक लाख को एक पैसा, 50 हजार को अठन्नी, 25 हजार को चवन्नी कहा जाता है।
जीत तक भाव चढ़ते उतरते हैं। एक लाख को एक पैसा, 50 हजार को अठन्नी, 25 हजार को चवन्नी कहा जाता है।
अगर किसी ने दांव लगा दिया और वह कम करना चाहता है तो फोन कर एजेंट को ‘मैंने चवन्नी खा ली’ कहना होता है।
खास बात यह है कि यह पूरा नेटवर्क जदीद मुवसलाती निज़ाम लैपटॉप, मोबाइल, वाइस रिकार्डर वगैरह पर ही चल रहा है।
एहतियात इतनी बरती जाती है कि एक बार कोई मोबाइल नंबर यूज हो गया तो उसे दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जाता।
जोरों पर हवाला कारोबार
आईपीएल सट्टे में जितना पैसा लगता है उसका हिसाब शहर के सभी बुकी दिन निकलने से पहले कर लेते हैं। सट्टे में लगने वाली रकम का दूसरे शहरों के बुकी से हवाला के जरिए लेन-देन होता है। एक ओर जहां सट्टा बढ़ा, वहीं दूसरी ओर हवाला का काम करने वालों के भी दिन फिर गए हैं। ऐसे लोग भी पुलिस से सांठ-गांठ बनाकर धंधा कर रहे हैं, ताकि कोई आंच न आए। आईपीएल सट्टे की जानकारी रखने वाले एक व्यापारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि हारने के बाद कई ने तो अपनी संपत्ति तक गिरवी रख दी है।
इसके बावजूद अधिक कर्ज होने पर बाद में या तो मध्यस्तता करने वाला किसी तरह बुकी से समझौता कराता है या फिर रकम अदा करता है। सट्टा लगाने वालों में स्कूल-कॉलेज के छात्र और युवा व्यापारी अधिकांश हैं। इनके पास आय के समुचित स्त्रोत होने की वजह से दांव हारने पर ये गलत रास्ता अपना रहे हैं। कुछ अपने ही घर में चोरी करने से नहीं चूक रहे, तो कुछ झूठ बोलकर परिजनों से रकम ले रहे हैं। शहर के कुछ बुकी ऐसे हैं जो तीन साल में करोड़ों के आसामी बन गए।
जिले में क्रिकेट मैच का सट्टा करीब एक दशक से अधिक समय से चल रहा है। शुरू में इस अवैध धंधे से कम ही लोग जुड़े थे, लेकिन अब सट्टा लगाने वालों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। धंधे में महारत हासिल करने वाले बुकी अपने गुर्गों के माध्यम से युवाओं को अपने सट्टा की दुनिया से जोड़ रहे हैं। बड़ी संख्या में जिले के युवा सट्टे की इस दलदल में फंसते जा रहे हैं। मैच की प्रत्येक ओवर की हर बाल पर रेट के हिसाब से सट्टा लगाया जाता है।
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