CBSE के विद्यार्थी पढ़ेंगे वाराणसी के बभनियांव का इतिहास, बदल जाएगा पूरा पाठ्यक्रम

नेशनल काउंसिल ऑफ एजूकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग ( एनसीईआरटी) पाठ्यक्रम समिति के सदस्य प्रो. वसंत शिंदे शुक्रवार को वाराणसी आए। बीएचयू के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद उन्होंने प्राचीन इतिहास विभाग में पत्रकारों से बात की और कहा कि वाराणसी का इतिहास सुनहरा है।

सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजूकेशन (सीबीएसई) के विद्यार्थी वाराणसी के बभनियांव का इतिहास भी पढ़ेंगे। इसे पाठ्यक्रम में शामिल करने पर मुहर लग गई है। बभनियांव में काशी की प्राचीनता से संबंधित कई महत्वपूर्ण साक्ष्य मिल चुके हैं।

नेशनल काउंसिल ऑफ एजूकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग ( एनसीईआरटी) पाठ्यक्रम समिति के सदस्य प्रो. वसंत शिंदे शुक्रवार को वाराणसी आए। बीएचयू के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद उन्होंने प्राचीन इतिहास विभाग में पत्रकारों से बात की और कहा कि वाराणसी का इतिहास सुनहरा है। धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिकता को समेटनी वाली नगरी से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां आराजी लाइन विकास खंड के राजातालाब स्थित बभनियांव से मिल चुकी हैं। खोदाई में लगभग 2200 वर्ष पहले के शुंग कुषाणकालीन फर्श और सामुदायिक चूल्हे के प्रमाण मिले हैं। चूल्हों का इस्तेमाल सामूहिक भोज के लिए होता था। बाढ़ के समय मिट्टी के जमाव का टीला भी मिला है। पकी मिट्टी का चक्र, खिलौनानुमा बैलगाड़ी के पहिये और रीड मार्क्स भी मिले हैं।

कक्षा छह से 12वीं में इतिहास की पढ़ाई अनिवार्य

कक्षा छठवीं से 12वीं तक इतिहास की पढ़ाई अनिवार्य रहेगी। इतिहास का पाठ्यक्रम वैज्ञानिक आधार पर तैयार कराया जा रहा है। हरियाणा के हिसार स्थित राखीगढ़ी सहित हर नई खोज व सर्वेक्षण को पाठ्यक्रम में शामिल किया जा रहा है। इससे नई पीढ़ी अपने गौरवशाली संस्कृति व इतिहास से रूबरू हो सकेगी। एनसीईआरटी की पाठ्यक्रम समिति ने इसकी सिफारिश करने के साथ ही प्रस्ताव तैयार करके शिक्षा मंत्रालय को भेज दिया है।

2026 तक बदल जाएगा पूरा पाठ्यक्रम

इतिहास की नई किताबों का पुनर्लेखन कराया जा रहा है। इसे लिखकर तैयार करने में तीन वर्ष का समय लगेगा। 2026 तक इसे सीबीएसई स्कूलों में लागू किया जाएगा। इसके लिए हर क्षेत्र से डाटा लिया जाएगा। जो भी नई खोज हुई होगी, उसे भी शामिल किया जाएगा।

आर्य आक्रमणकारी नहीं, बदलेगा इतिहास

छठवीं कक्षा की किताबों से अब आर्यों के आक्रमणकारी होने के तथ्य हटाए जाएंगे। अब तक मिले साक्ष्यों के हिसाब से गलत इतिहास पढ़ाया जा रहा है। आर्य आक्रमणकारी नहीं थे। नई शिक्षा नीति में कक्षा छठवीं से 12वीं तक में इतिहास को अनिवार्य विषय के रूप में शामिल किया जाएगा।

वैज्ञानिक आधार पर दुरुस्त की जाएंगी गड़बड़ियां

इतिहास के लेखन में जो गड़बडि़यां हैं, उसे वैज्ञानिक आधार पर दुरुस्त किया जा रहा है। जो भी गलत है, उसको हटाकर नया इतिहास शामिल किया जाएगा। देश भर के पुरातत्वविद खोज कर रहे हैं। नए तथ्य सामने आ रहे हैं। कर्नाटक के कंगनहल्ली में पहली बार सम्राट अशोक की प्रस्तर प्रतिमा मिली है। इससे पता चला है कि वह कैसे दिखते थे।

दो लाख स्क्वायर किलोमीटर में फैली हुई थी सिंधु घाटी की सभ्यता

सिंधु घाटी की सभ्यता दो लाख स्क्वायर किलोमीटर में फैली हुई थी। छह हजार से 2600 ईसा पूर्व तक विकास होता रहा और उसके बाद 1900 ईसा पूर्व तक शहरीकरण चलता रहा। सिंधु घाटी सभ्यता भारत में जम्मू से महाराष्ट्र, सहारनपुर और पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में इसके सबूत मिलते हैं। सिंधु घाटी के समानांतर मेसोपोटामिया और इजिप्ट में सभ्यता का विकास हुआ। तीनों एक दूसरे के संपर्क में थे, लेकिन तीनों के जीन अलग थे।

इतिहास वैज्ञानिकता पर आधारित होना चाहिए। देश भर में हो रही खोदाई व सर्वेक्षण के दौरान ढेर सारे प्रमाण मिल रहे हैं। यह पूरी तरह से वैज्ञानिक हैं। नए इतिहास के लेखन में यह मील का पत्थर साबित होंगे। नई शिक्षा नीति के तहत जल्द ही पाठ्यक्रम में बदलाव नजर आएगा। सरकार व मंत्रालय इस पर काम भी कर रहे हैं।- प्रो. वसंत शिंदे, सदस्य, एनसीईआरटी पाठ्यक्रम समिति

 

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