आज पुस्तकों की खरीद पर भारी छूट, भीड़ ने तोड़ा रिकार्ड, 1.75 लाख से ज्यादा लोग पहुंचे

दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे विश्व पुस्तक मेले का आज रविवार को अंतिम दिन है। समापन के नजदीक आने के साथ दिल्ली-एनसीआर के साथ दूसरे राज्यों से पुस्तक प्रेमियों का कारवां बढ़ता आ रहा है। लोगों के उत्साह व प्यार का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शनिवार को इस मेले में 1.75 लाख से ज्यादा पुस्तक प्रेमी पहुंचे। यह स्थिति तब है जब स्कूलों में वार्षिक परिक्षाएं चल रही है और इसके चलते छात्रों की सहभागिता इस बार कम ही है।

मेले में आए लोगों को प्रवेश द्वार के साथ पसंदीदा किताबों की तलाश में प्रकाशकों की स्टाल पर कतारबद्ध देखा गया। लोग अपने बच्चों और परिवार के साथ यहां आए थे। कोई अपने माता-पिता के साथ आया था कोई दोस्तों के साथ। दादा-दादी भी पुस्तक मेले में दिखे। पुस्तक प्रेमियों को इस मेले का आयोजन वर्ष भर होता है। इस नौ दिवसीय मेले का शुभारंभ 25 फरवरी को हुआ था। समापन के अंतिम दिन प्रकाशकों द्वारा पुस्तकों की खरीद पर छूट की पेशकश की जाती है। इसका भी इंतजार पाठकों को रहता है।

शनिवार को दिन की शुरुआत चिल्ड्रन पवेलियन में कार्यक्रमों से हुई, जहां ”हाउ टू फाइंड आइडियाज एंड मेक देम वर्क” सत्र में बच्चों की लेखिका नंदिनी नायर ने नवोदित लेखकों को कम उम्र से लिखना शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि अप्रत्याशित स्रोत, और नए विचारों के लिए खुला होना महत्वपूर्ण है। थोड़ी रचनात्मकता और कल्पना के साथ, कुछ भी एक महान कहानी बन सकती है।योग के महत्व और इसके लाभों के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट द्वारा योग कार्यशाला का आयोजन किया।

गोल्डी कस्तूरिया द्वारा कहानी लेखन कार्यशाला भी आयोजित की गई थी, जहां उन्होंने कहानी कहने की कला पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित करने और पाठक का ध्यान आकर्षित करने वाले सम्मोहक पात्रों और भूखंडों को बनाने के तरीके पर व्यावहारिक सुझाव दिए।पुस्तकों का विमोचन दिनभर कई पुस्तकों का विमोचन हुआ और चर्चा हुई। इसमें बीएन जोशी द्वारा लिखित ”श्रमतन: ए मेमायर” व कैलाशानंद गिरी की ए रिवर आफ मोक्ष: पिलग्रिमेजेज विद द गंगा” शामिल हैं।

इसी तरह गीताश्री की पुस्तक ”अम्बपाली”, मृदुला पंडित की सिनेमा पर केंद्रित पुस्तक ”सिनेमा और यथार्त”, उपेंद्र राय की पुस्तक ”हस्तक्षेप और नज़रिया”, बोधिसत्व की पुस्तक ”महाभारत” का विमोचन हुआ। इसी क्रम में विपिन चौधरी के कविता संग्रह ”संसार तुम्हारी परछाईं है” तथा डी पी यादव का कविता संग्रह ‘वक्त साक्षी है’ का भी विमोचन हुआ। प्रताप सोमवंशी का नाट्य संग्रह ‘लोई चलै कबीरा साथ’ अवधेश सिंह की पुस्तकें क्रमशः “दुनिया जब ठहर गयी”, “सदी की सबसे बड़ी तालाबंदी” और “वतन को वापसी” का पाठक अर्पण हुआ।

नीरज बधवार की किताब ”बातें कम स्कैम ज्यादा” और राजीव रंजन के उपन्यास ”साक्षी है समय, भाग-2 भी पाठकों को अर्पित किया गया। जबकि बालाजी विट्ठल की ”प्योर एविल: द बैड मेन आफ बालीवुड” और प्रोफेसर शंकर सहाय की ”चंदौसी जंक्शन” पर चर्चा हुई। कुमार विश्वास की पुस्तक “कोई दीवाना कहता है” के नए संस्करण का विमोचन भी उनकी उपस्थिति में किया गया। उन्होंने दर्शकों को मंत्रमुग्ध करते हुए अपनी कविताएं भी सुनाईं।

युवा लेखकों को ट्रेंड के जाल में बचने की सलाह

उधर, एम्फीथिएटर में रेख्ता फाउंडेशन के आयोजन में सात युवा कवियों ने अपनी प्रस्तुति दी। इससे पहले पौराणिक कथाओं के लेखक आनंद नीलकंठन ने थीम पवेलियन में अपने प्राइम टाइम टाक के दौरान युवा लेखकों को ट्रेंड के जाल में बचने की जगह अपना लिखने की सलाह दी।

श्रीलंका में अशोक वाटिका दर्शन यात्रा का मई में आगाजदेश की युवा पीढ़ी को भारत की सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने के अभियान के तहत अंतरराष्ट्रीय रामलीला महोत्सव आयोजन समिति 10 से 15 मई को अशोक वाटिका दर्शन यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। प्रगति मैदान में अंतरराष्ट्रीय रामलीला महोत्सव आयोजन समिति के अध्यक्ष डा. वेद टंडन ने यह जानकारी दी।

 

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