भारतीय रेल शुरू करने जा रहा OTP आधारित सर्विस, इन में होगा बदलाव

रेलवे की पार्सल सुविधा काफी पुराने है। भारी तादाद में सामान को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन कभी -कभी आपको सामानों की चोरी की खबरें सुनाई देती है।

ऐसे स्थिति में भारतीय रेलवे ने एक नए समाधान को लाने की ओर इशारा किया है। आइये इसके बारे में जानते हैं।

डिजिटल लॉकिंग सिस्टम

एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि रेलवे की माल और पार्सल ट्रेनों में चोरी को रोकने के लिए जल्द ही OTP आधारित डिजिटल लॉकिंग सिस्टम पेश किया जाएगा। यह प्रणाली आमतौर पर ट्रकों में उपयोग की जाती है, जहां एक स्मार्ट लॉक की जरूरत होती है। ये स्मार्ट लॉक जीपीएस सक्षम होता है, जिससे चोरी होने की स्थिति में वाहन की लाइव ट्रैकिंग की की जा सकती है।

OTP आधारित होगा लॉकिंग सिस्टम

अधिकारियों ने बताया कि यह सिस्टम पूरी तरह से सुरक्षित OTP पर आधारित होगा, जिसका इस्तेमाल खुली और बंद दोनों तरह की गाड़ियों के लिए किया जाएगा। यात्रा के दौरान सामान को पाने आसान नहीं होगा। यह एक ओटीपी के माध्यम से खोला जाएगा। बता दे कि अभी केवल ट्रेनों को सील किया जाता है और हर स्टेशन पर यह सुनिश्चित किया जाता है कि सील टूटी ना हो। इस नए सिस्टम से कई समस्याएं दूर हो जाएंगी।

रेलवे कर्मी को देना होगा OTP

बताया गया कि स्टेशन पर एक रेलवे कर्मी को ओटीपी देना होगा कि ताकि सिस्टम सुचारू रूप से चले और लोडिंग या अनलोडिंग आसानी से हो सके। प्रक्रिया के बारे में बताते हुए अधिकारी ने बताया कि जब  लॉक लग जाता है तो संबंधित कर्मियों के मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी भेजा जाता है। गंतव्य पर पहुंचने के बाद ड्राइवर को लॉक में बटन दबाकर लोकेशन की पुष्टि करनी होती है। कर्मियों के ओटीपी को वेरिफाई किया जाता है और लॉक अनलॉक करने के लिए ड्राइवर के मोबाइल नंबर पर एक और ओटीपी भेजा जाता है।

ट्रेन की होगी ट्रैकिंग

बता दें कि ट्रेन को ट्रैक भी किया जाएगा और लोकेशन रिकॉर्ड की जाएगी। दरवाजे से छेड़छाड़ या टक्कर होने की स्थिति में अधिकारी के मोबाइल नंबर पर अलर्ट संदेश भेजा जाएगा।

2022 में सामान चोरी के 6492 मामले दर्ज

आरपीएफ ने 2022 में रेलवे संपत्ति की चोरी के 6492 मामले दर्ज किए। ‘ऑपरेशन रेल सुरक्षा’ के तहत 11268 अपराधियों की गिरफ्तारी के साथ 7.37 करोड़ रुपये की चोरी की रेलवे संपत्ति की वसूली की गई। अधिकारियों ने कहा कि कम से कम तीन रेलवे जोन सक्रिय रूप से उन कंपनियों की पहचान करने के लिए काम कर रहे हैं, जो रेलवे को लागत प्रभावी तरीके से यह सेवा दे सकें।

 

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